तय किए गए तीन सेक्शन

जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
4 मार्च 2023

भागलपुर : राज्य के 599 अनुदानित इंटर काॅलेजों में अब हर संकाय में 120 सीटें पर ही छात्राें का नामांकन हाेगा। हरेक काॅलेज में हर संकाय साइंस, आर्ट्स और काॅमर्स में 40-40-40 सीटाें पर नामांकन हाेगा। काॅलेज हर संकाय में अधिकतम दाे बार सेक्शन का विस्तार कर सकेंगे और हर सेक्शन भी अधिकतम 40 सीटाें का हाेगा। इस तरह एक संकाय में अब अधिकतम 120 सीटें और काॅलेज में कुल 360 सीटाें पर ही नामांकन हाेगा। बिहार बाेर्ड ने नए सिरे से कॉलेजों का निरीक्षण करने के बाद अब तक जिन्हें एफिलिएशन दिया है, उनके लिए यह व्यवस्था बनाई है।
जिन काॅलेजों काे आगे एफिलिएशन मिलेगा, उनमें भी यह व्यवस्था लागू हाेगी। इससे पहले काॅलेज 384 सीटाें पर नामांकन लेते थे। फिर दाे बार सेक्शन बढ़ाकर 128-128 और छात्राें का नामांकन लेते थे। ऐसे में तब एक कॅालेज में 640 सीटें पर नामांकन हाेता था। बाेर्ड ने इसका पत्र संबंधित काॅलेजों काे भेजा है। यह कमी सिर्फ इंटर काॅलेजों में की गई है। इसका असर यह हाेगा कि 599 काॅलेजों में जहां पहले 11,50,080 सीटें थीं। अब नई व्यवस्था से इन काॅलेजों में 2,15,640 सीटें ही बचेंगी। 9,34,440 सीटें कम हाे जाएंगी। इन सीटाें पर हाेने वाले दाखिले का भार इंटर की पढ़ाई कराने वाले डिग्री काॅलेजाें और सरकारी प्लस टू स्कूलाें पर बढ़ेगा। साथ ही, छात्राें के रिजल्ट के आधार पर इन काॅलेजाें काे मिलने वाला अनुदान भी कम हाे जाएगा। शिक्षक नेताओं का कहना है कि अनुदान कम करने के लिए ही बाेर्ड ने यह कदम उठाया है। न ज्यादा छात्र रहेंगे न ज्यादा अनुदान देना पड़ेगा।

*जिले में अभी इंटर की 55 हजार सीटें हैं*

जिले में सरकारी प्लस टू स्कूलाें और इंटर काॅलेजाें काे मिलाकर 26,000 सीटें हैं। इसके अलावा टीएमबीयू के काॅलेजाें में इंटर की 29000 सीटें हैं। सभी काे मिलाकर जिले में इंटर की कुल 55000 सीटें हैं। पिछले साल सरकारी प्लस टू स्कूलाें की करीब 10000 सीटें रिक्त रह गई थीं क्याेंकि शिक्षकाें और संसाधन की कमी के कारण छात्र वहां नामांकन नहीं कराना चाहते हैं। डीईओ संजय कुमार ने पिछली बार प्लस टू स्कूलाें में दाखिला बढ़ाने के लिए अभियान चलाने काे भी कहा था।

*डिग्री से इंटर अलग करने की चल रही कवायद*

बार-बार यूजीसी और नैक डिग्री काॅलेजाें से इंटर काे अलग करने काे कहते रहे हैं। पटना विवि में इंटर की पढ़ाई डिग्री काॅलेजाें में नहीं हाेती है। लेकिन बाकी विवि में हाेती है। टीएमबीयू की एकेडमिक ने भी यहां अलग पढ़ाई का प्रस्ताव पास कर सरकर काे भेजा है। हाल ही नए कुलाधिपति से मिले टीएमबीयू के वीसी प्राे. जवाहर लाल ने भी डिग्री काॅलेजाें में इंटर की पढ़ाई का मामला उठाया था। ऐसा हुआ ताे जिन सीटाें पर अभी इंटर काॅलेजाें में नामांकन हाेत रहा है उन सीटाेंें के कम हाेने पर छात्राें काे डिग्री काॅलेजाें में भी नामांकन नहीं मिलेगा।

*प्लस-टू स्कूलाें में शिक्षकाें के 49361 सीटें रिक्त*

राज्य के प्लस-टू स्कूलाें में शिक्षकों की 49361 सीटें रिक्त हैं। यह संख्या राज्य के 6421 स्कूलाें काे प्लस-टू में प्राेन्नत करने से बढ़ी है।

*काॅलेज अधिकतम दाे बार बढ़ा सकेंगे सेक्शन*

नए नियम में कहा गया है कि किसी संकाय में पहली बार 40 नामांकन हाेने के बाद छात्र बढ़ेंगे ताे काॅलेज एक बार 40 सीटाें के एक सेक्शन का विस्तार कर सकेंगे। दूसरा सेक्शन भी फुल हाे जाए और छात्र नामांकन के लिए आएंगे ताे काॅलेज एक बार और 40 सीटाें का सेक्शन विस्तार ले सकेंगे। इसके बाद सेक्शन विस्तार नहीं मिलेगा।
वित्तरहित अनुदानित शिक्षक कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष डाॅ. प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि पूरे राज्य में अभी तीन दर्जन काॅलेजाें काे नए सत्र का एफिलिएशन मिला है। भागलपुर में फिलहाल एक काॅलेज काे एफिलिएशन मिला है जिसके लिए 40 सीटाें की शर्त रखी गई है। जैसे-जैसे बाकी काॅलेजाें काे एफिलिएशन मिलेगा, यह व्यवस्था उनमें भी लागू हाेगी। इसके विराेध में वे लाेग 17 मार्च काे पटना में प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं।

*पहले 50 लाख अनुदान अब 8 से 10 लाख मिलेगा*

बिहार इंटरमीडिएट शिक्षक-कर्मचारी महासंघ के महासचिव गणेश प्रसाद सिंह ने कहा कि अनुदानित इंटर काॅलेजाें में छात्राें के रिजल्ट के आधार पर अनुदान मिलता है। फर्स्ट डिवीजन के लिए प्रत्येक छात्र 4500, सेकंड डिवीजन पर 4000 और थर्ड डिवीजन के लिए 3500 रुपए मिलते हैं। अभी तक सरकार प्रत्येक अनुदानित काॅलेज काे 50 लाख रुपए देती थी। नई व्यवस्था के बाद काॅलेजाें काे 8 से 10 लाख रुपए मिलेंगे।

*बाेर्ड का छिपा एजेंडा अनुदान कम करना है*

इस बाबत बिहार इंटरमीडिएट शिक्षक कर्मचारी महासंघ के महासचिव गणेश प्रसाद सिंह ने बताया कि अनुदानित इंटर काॅलेजाें में सीटें कम हुई हैं। बाेर्ड का यह छिपा हुआ एजेंडा है कि छात्र कम हाेंगे ताे अनुदान भी कम देना हाेगा। निरीक्षण और संसाधन के बहाने ऐसा किया गया है। नामांकन की पुरानी स्थिति में बदलाव हाेता रहा है। एफिलिएशन भी राेक दिया जाता है। इन पर राेक के लिए महासंघ ने हाईकाेर्ट में केस किया था। काेर्ट ने 22 पन्नाें का आदेश जारी किया है। हालांकि बाेर्ड इस पर डबल बेंच में गया है।

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