जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
4 मार्च 2023

भागलपुर : त्याेहाराें पर जिले का फूड सेफ्टी विभाग खाद्य पदार्थाें का सैंपल लेकर सिर्फ दुकानदाराें में खाैफ पैदा करता है। इसकी न ताे जांच रिपाेर्ट कभी सार्वजनिक होती है और न समय से सिविल सर्जन काे रिपाेर्ट सौंपी जाती है। अबतक एक भी दुकानदार पर ऐसे मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पिछले वर्ष दुर्गा पूजा व दिवाली पर लिए गए सैंपलाें में गड़बड़ी के बाद भी आरोपी दुकानदाराें पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। अब हाेली पर भी सैंपलिंग लेकर सिर्फ रस्म अदायगी की तैयारी है। जबतक रिपाेर्ट आएगी, उपभोक्ता उन सामानाें का इस्तेमाल कर चुके हाेंगे।

2022 में दर्जनाें मिठाई दुकानदाराें के सैंपल लिए गए। लेकिन रिपाेर्ट क्या आई किसी को पता नहीं। सरकारी रिकाॅर्ड के मुताबिक जिले में करीब 1200 से ज्यादा मिठाई की दुकानें निबंधित हैं। शहरी इलाके में 150 से ज्यादा दुकानें हैं। 26 सितंबर 2022 काे तिलकामांझी चाैक के पास बसंत बहार,न्यू वैष्णव हाेटल, भवानी मिष्ठान,सरकारी बस स्टैंड के पास व तिलकामांझी चाैक स्थित मंदिर के बगल वाली दुकानाें से करीब 18 सैंपल लिए गए। माैके पर चलंत प्रयाेगशाला वैन में दाे सैंपलाें की जांच की तो गड़बड़ी मिली थी।इसके बाद इन सैंपलाें काे पटना रजिस्टर्ड लैब में भेजा गया। लेकिन रिपाेर्ट का अब तक काेई पता नहीं है। दिल्ली के एशियन साइंटिफिक इंडस्ट्रीज से एक वैन जिला काे मिली है। इसके लिए जिला अभिहित पदाधिकारी ने अंडमान निकाेबार में जाकर ट्रेनिंग भी ली। टेक्नीशियन व ड्राइवर की तैनाती भी हुई, लेकिन यह व्यवस्था फेल हो गई है। फूड सेफ्टी विभाग के जिला अभिहित पदाधिकारी माे. इकबाल का तर्क है कि वह अकेले हैं और उनके पास तीन जिलाें का प्रभार है। लिहाजा हर जगह दाे-दाे दिन समय देना पड़ता है इसी में सप्ताह बीत जाता है। रिपाेर्ट सार्वजनिक करने के नाम पर कभी फाइल देखने ताे कभी बाहर रहने समेत तमाम तरह की बहानेबाजी की जाती है।
*वैन से ये लाभ हाेता*: समय से जांच हाेने पर सैंपलाें के खराब हाेने की संभावना कम रहती है। रिपाेर्ट भी जल्द मिल जाती है, जिससे समय रहते ऐसे खाद्य पदार्थाें को जब्त किया जा सकेगा और मिलावटी सामान बेचने वाले दुकानदाराें के बीच विभागीय कार्रवाई का डर भी बना रहेगा।

*अभी यह है व्यवस्था*: त्याेहाराें से पहले खाद्य पदार्थाें के लिए गए सैंपलाें काे पटना व काेलकाता की लेबाेरेट्री में भेजा जाता है। वहां पहले से ओवरलाेड सैंपल रहता है। इस वजह से समय पर जांच रिपाेर्ट नहीं मिलती है। नतीजतन मिलावटी दुकानदारों की चांदी रहती है।

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