जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
www.janpathnews.com
20 नवम्बर 2022

भागलपुर : ‘ये मत कहो खुदा से, मेरी मुश्किलें बड़ी है बल्कि उन मुश्किलों से कह दो कि मेरा खुदा बड़ा है।’ ई-रिक्शा पर बैठी एक सवारी ने इन पंक्तियों को उस समय गुनगुना दिया, जब उन्होंने इसका हैंडल एक महिला को संभाले हुए देखा। ई-रिक्शा चालक महिला को देख लगभग सभी यात्री एक पल के लिए उसकी हिम्मत को सराहने लगते हैं। सुल्तानगंज प्रखंड अंतर्गत बाथ थाना क्षेत्र के नयागांव पंचायत स्थित उत्तर टोला ऊंचागांव निवासी मजदूर अमरजीत शर्मा की 30 वर्षीय पत्नी पिंकी देवी घर से ई-रिक्शा लेकर निकलती हैं और पूरे दिन मेहनत और इमानदारी के दम पर धन अर्जित करती हैं।

मालूम हो कि यह आत्मनिर्भर पिंकी महिलाओं के लिए प्रेरणा की श्रोत बन चुकी हैं। पिंकी ने बातचीत के क्रम में अपनी स्थिति को साझा करते हुए www.janpathnews.com को बताया कि वो मुंगेर जिला अंतर्गत वह असरगंज थाना के ममई गांव की रहने वाली है.चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी है। वो पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहती थी, लेकिन उसके पिता सुरेन शर्मा की आर्थिक स्थिति ठीक नही रहने के कारण आठवीं तक ही पढ़ाई कर सकी। वर्ष 2010 में उसकी शादी ऊंचागांव में सुबोध शर्मा के पुत्र अमरजीत से हो गई। यहां उसके पति के पास रहने के लिए अपनी जमीन भी नही है। उनके गोतिया ने रहने के लिए मौखिक रुप से कुछ जमीन दी है, जिसमें सास-ससुर सहित पति-बच्चों के साथ रहती है। पिंकी के चार बच्चे हैं, इनमें दो पुत्री 10 वर्ष की वर्षा और सात वर्ष की रिया व दो पुत्र पांच वर्ष का शिवम और तीन वर्ष का सत्यम है।

*हो जाती है अच्छी कमाई*

• चार बच्चों की मां पिंकी ने बच्चों को बेहतर शिक्षा और घर की आर्थिक स्थिति मजबूत करने का लिया संकल्प
• सब्जी बेचकर खरीदा ई-रिक्शा,अब सवारी बिठाकर कमाती प्रतिदिन 500-800 रुपये
• 8वीं पास पिंकी बच्चों को बनाना चाहती है डाक्टर और इंजीनियर

*मैं नहीं पढ़ सकी तो क्या… बच्चों को पढ़ाऊंगी*

महिलाओं की प्रेरणास्रोत बनी आत्मनिर्भर पिंकी देवी ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण आगे की पढ़ाई नहीं करने पर मेरी सपना भी अधूरी रह गई थी लेकिन, जब मुझे पहली पुत्री प्राप्त हुई तो मेरा सपना फिर जागृत हो उठा। तब सोचने लगी कि मैं तो पढ़ाई नहीं कर सकी लेकिन, अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाकर काबिल बनाऊंगी। लेकिन मेरे पति की मजदूरी राशि घर और बच्चों की भरण-पोषण में ही सिमट कर रह जाती थी। तब मैंने संकल्प लिया कि मैं भी मेहनत करुंगी और आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हुए अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाऊंगी और उसे डॉक्टर-इंजीनियर व ऑफिसर बनाऊंगी।

पिंकी देवी ने बताया कि पहले वह सात वर्ष से करहरिया, असरगंज और लखनपुर हाट में सब्जी बेचने का काम करती थी और थोड़ा-थोड़ा कर राशि जमा कर रही थी। पति भी दिल्ली में फर्नीचर का काम करता है। बीते वर्ष लाॅक डाउन में हम दोनों की जमा पूंजी से एक ई-रिक्शा निकलवा लिया है, जिसे मैं प्रतिदिन चलाकर कभी सवारी बिठाकर तो कभी सब्जी ढोकर हर दिन 500 से लेकर 800 रुपये तक कमा लेती हूं।

उन्होंने बताया कि फिलहाल तो अपने तीन बच्चों को सरकारी स्कूल भेजती हूं लेकिन प्राइवेट ट्यूशन भी पढ़ने भेज रही हूं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार उनकी आर्थिक सहयोग करें, तो बच्चों के पठन-पाठन में और बेहतर सुविधा मुहैया कराने में सफल हो पाऊंगी।

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