जनपथ न्यूज़ डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
19 जुलाई 2023

भागलपुर : अंडमान निकोबार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भाषण बहुत निराशाजनक था. भाषण देते समय संभवतः वे भूल गए थे कि वे भारतीय जनता पार्टी के नेता के साथ- साथ दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री भी हैं. उनकी भाषा और तेवर सभ्यता की सीमा का अतिक्रमण कर रहे थे.

उनके संपूर्ण भाषण के निशाने पर बैंगलोर में हो रहे छब्बीस दलों का गठबंधन और उनके नेता थे. जिस रोष के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी विरोधी दल के नेताओं पर हमला कर रहे थे, उससे प्रमाणित हो रहा था कि विपक्षी एकता के अभियान ने उनको भीतर से विचलित कर दिया है. दरअसल,मोदी सरकार के संपूर्ण कार्यकाल ने देश को बहुत नुक़सान पहुँचाया है. इनकी नासमझी और ग़लत समझ ने देश की अर्थव्यवस्था और इसके सामाजिक तानाबाना को बहुत कमजोर किया है.

मणिपुर में अबतक लगभग दो सौ के लोग मारे जा चुके हैं. मोदी सरकार में शामिल मंत्री के घर के साथ-साथ हज़ारों घर जलाए जा चुके हैं. गृह युद्ध की स्थिति है. वहाँ जाकर आग बुझाने का प्रयास करना तो दूर, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अब तक वहाँ के लोगों से शांति की अपील तक करना मुनासिब नहीं समझा है.

पीएम मोदी जी अब बेरोज़गारी की, किसानों के पस्त हालत की चर्चा तक नहीं करते. लगभग नौ वर्ष इन्होंने एक से बढ़कर एक डिज़ाइनर कपड़ा पहनते और भाषण देते काट दिया. जनता में उनको लेकर उब का माहौल है. ऐसे में विरोधी दलों के महा जुटान ने उनके पैरों तले से ज़मीन खिसका दिया है. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जब अंडमान निकोबार में भाषण दे रहे थे, उस समय उनकी सत्ता के समक्ष दिखाई देने वाले आसन्न ख़तरा उनकी आँखों के सामने था. इसी के प्रभाव ने उनकी भाषा और तेवर को शायद अनियंत्रित कर दिया था.

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