बाबू धाम ट्रस्ट के संस्थापक और भारत सरकार के पूर्व नौकरशाह अजय प्रकाश पाठक का सेवा मोड़ फिर ऑन हो गया है।उन्होंने हर साल की भांति इस साल भी छठ व्रतियों को साड़ी और फल,डाला,और राशन सामग्री वितरित किया।दिल्ली से चम्पारण आगमन कर व्रतियों और महिलाओं को आवश्यक समान दे कर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया।
आपको बता दें विगत एक दशक से श्री पाठक अपनी पत्नी श्रीमती मंजूबाला पाठक के साथ हर साल छठ में गरीब छठ व्रतियों को व्रत में लगने वाले आवश्यक सामग्रियों के साथ कपड़े भी बांटते है जिससे कि किसी भी महिला/पुरुष को छठ करने में कोई दिक्कत ना आएं।इसके अलावा छठ घाटों की सफाई भी स्वयं करते है।पिछले साल छठ व्रत के परायण के बाद श्री पाठक और उनके बाबू धाम ट्रस्ट के कार्यकर्ताओ ने लगभग 20 से ज्यादा छठ घाटों की सफाई की थी जिसकी चारो तरफ वाहवाही हुई थी और जो स्वच्छता अभियान में एक बड़ा उदाहरण बनी थी।
इसके अलावा श्री पाठक ने अपने ट्रस्ट के कार्यकर्तओं को ट्रैक सूट दे कर उनका मनोबल मजबूत करने का काम किया है।उन्होंने अपने कार्यकर्ताओ में जोश भरते हुए छठ व्रतियों की सेवा का मूल मंत्र भी दिया।
आपको बता दें,चम्पारण के लोग श्री पाठक से चुनावो में उम्मीदवारी के लिए आग्रह कर रहे थे।कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता भी अजय पाठक की उम्मीदवारी चाहते थे पर अंतिम समय मे कांग्रेस हइकमान ने प्रवेश मिश्र को टिकट दिया जो लगभग एक लाख वोट से चुनाव हार गए।इस बाबत श्री पाठक से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरा कर्म और धर्म सिर्फ सेवा है और अभी मेरा सारा ध्यान इसी पर है कि छठ व्रतियों को कोई भी दिक्कत ना आये।