पटना,  वंचित समाज पार्टी के चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन ललित सिंह ने कहा कि आजादी के बाद से कोई भी सरकार किसानों की हित की नहीं सोची। यही कारण है कि अन्य सभी वर्ग आगे बढ़ गए लेकिन किसान वहीं के वहीं खड़ा है।
उन्होने कहा कि जो भी पार्टियों सत्ता में आई है, सभी ने किसानों के साथ धोखा ही किया है। सिंह ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को सातवां वेतन आयोग, महंगाई भत्ता तो कभी चिकित्सकीय भत्ता मिलता है लेकिन किसानों को सिर्फ उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1970 में सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 70 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था जबकि 2019-20 में गेंहूं का समर्थन मूल्य 1750 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया। इधर, सरकारी अधिकारी जो एयर कंडिशन कमरों में बैठे रहते हैं, उनके वेतन में इस दौरान 200 प्रतिशत से अधिक वृद्धि की गई। आखिर इन अन्न्दाताओं के साथ ऐसा सौंतेला व्यवहार क्यों? क्या किसान इस देश के नागरिक नहीं हैं?
सिंह ने इसके लिए किसी एक पार्टी को दोष नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आज अर्थव्यवस्था का डिजायन ही ऐसा बनाया गया है कि किसान गरीब के गरीब ही रहें। उन्होंने कहा कि कई सरकारीकर्मियों को कपड़ा धोने तक के भत्ते मिलते हैं, लेकिन किसान क्या कपड़े नहीं पहनते? उन्हे आज तक ऐसी सुविधा क्यों नहीं दी गई, जबकि कहा जाता है कि किसान ही देष की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
उन्होंने कहा, ’’मैं यह नहीं कहता कि भत्ता किसे मिले या नहीं मिले, लेकिन वे सरकारी सुविधाएं किसानों को भी मिलनी चाहिए।’’

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