जनपथ न्यूज़ नई दिल्ली : कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए देश की सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मुसलमानों से नमाज को लेकर एक अपील की है. मौलाना मदनी ने मुसलमानों से कहा कि कल जुमे के दिन मस्जिद में इकट्ठा होकर नमाज ना पढें. उन्होंने कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ने से बढ़िया है कि घर के अंदर जाकर नमाज पढ़े. मस्जिद के अंदर इमाम अजान दे सकता है खुदबा पढ़ सकता है, लेकिन नमाजियों को मस्जिद में नमाज पढ़ने से बचना चाहिए. बता दें कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रधानमंत्री ने भी अपील की थी कि मस्जिदों में एक साथ इकट्ठा होकर नमाज ना पढे़ं और जमीयत-उलेमा-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी सभी मुसलमानों से कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ने से बचें.
वहीं, मौलाना ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस से पीड़ितों के लिए जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने मदद करनी शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हमने काम शुरू कर दिया है कि गरीबों की मदद की जाए. उन्होंने कहा कि हम तो पहले कह चुके हैं, दारुल उलूम भी कह चुका है की दुनिया के अंदर यह बड़े-बड़े डॉक्टर कह रहे हैं कि किसी भी मरीज के करीब जाना मर्ज के फैलने का खतरा होता है इसीलिए सारी दुनिया ठहरी हुई है. बाजार बंद हैं. ट्रेनें बंद हैं. बसें बंद हैं. ट्रैफिक बंद हैं और हवाई जहाज तक बंद है ताकि कोई एक दूसरे के करीब ना जाए और फासला बनाए रखें.
इसका तरीका भी उलेमा ने यह निकाला है की मस्जिद में अजान दीजिए और अजान देने के बाद मस्जिद के इमाम और मस्जिद के और एक दो आदमी वह जमात कर ले बाकी के लोग जमात अपने घर पर करें. यहीं पांच वक्त की नमाज के अंदर है और जुमे की नमाज के अंदर भी इसका खतरा है कि अगर मुसलमान इस सिलसिले में सावधानी नहीं बरतेगा तो ऐसा हुआ है हिंदुस्तान में कि वहां की मस्जिदों के अंदर सरकारें ताले लगवा दिए हैं तो अजान भी खत्म हो जाएगी और जो जमात दो चार आदमियों की वह भी खत्म हो जाएगी. हमारी ऐहतियात की वजह से मुसलमानों को जुमे की नमाज में भी एहतियात बरतनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि यह बात नहीं है कि जुमे की नमाज सिर्फ मस्जिद में ही होती है. अपने घर के अंदर भी अगर 4 आदमी हैं, 5 आदमी हैं तो वह भी उनमें एक खुत्बा दे सकता है और नमाज को अदा कर सकता है. अल्लाह का रहम होगा तो कुछ दिनों के अंदर यह बीमारी खत्म हो जाएगी आफत टल जाएगी, बादल छट जाएंगे तो फिर जैसे हम पहले नमाज अदा करते थे फिर उसी तरह से मस्जिदों के अंदर नमाज अदा करेंगे.