जनपथ न्यूज़ :- बिहार की सियासत में बड़ा खेल हो गया है. विधानसभा में आज फिर से तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच बंद कमरे में बातचीत हुई. इसके बाद मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी ने कहा कि बिहार में सरकार को अस्थिर नहीं होने देंगे. कुछ दिनों पहले तक नीतीश को खुलकर कोसने वाले तेजस्वी यादव उनसे फिर से तालमेल के सवाल को टाल गये. इशारा साफ था RJD और JDU के बीच खिचड़ी पकने लगी है.
बंद कमरे में तेजस्वी-नीतीश की मुलाकात
इससे पहले आज विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात हुई. दोनों बारी-बारी से अध्यक्ष के कमरे में पहुंचे. सूत्र बता रहे हैं अध्यक्ष के कमरे में भी वे भीतर में बने छोटे कक्ष में गये और वहां दोनों के बीच बात हुई.
इससे पहले कल तेजस्वी यादव नीतीश कुमार से मिलने उनके कक्ष में मिलने पहुंच गये थे. वहां भी भीतरी कक्ष में दोनों के बीच अकेले में बात हुई थी. कहा जाता है कि विधानसभा से कल NRC और NPR के बीच जो प्रस्ताव पारित हुआ था उसे नीतीश और तेजस्वी ने मिलकर ही तैयार किया था. उस प्रस्ताव की औपचारिक जानकारी तक बीजेपी को नहीं दी गयी थी.
तेजस्वी बोले- नीतीश सरकार को अस्थिर नहीं होने देंगे
नीतीश से मिलकर बाहर निकले तेजस्वी यादव ने कहा कि वे औपचारिक तौर पर विधानसभा अध्यक्ष के चेंबर में चाय पीने गये थे. सत्र चलता है तो सारे नेता विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में जाते हैं. वे भी औपचारिक तौर पर अध्यक्ष के चेंबर पर गये थे. अगर अरविंद केजरीवाल अमित शाह से मिलने जा सकते हैं तो क्या वे नीतीश कुमार से नहीं मिल सकते.
पत्रकारों ने पूछा कि क्या दोनों के बीच फिर से दोस्ती हो सकती है. तेजस्वी ने पत्रकारों से ही पूछा कि वे सुनना क्या चाहते हैं. वे इस मसले पर कुछ नहीं बोलेंगे. पत्रकारों ने जब जोर दिया तो तेजस्वी बोले “एक बात समझ जाइये. स्थिरता रहनी चाहिये न सरकार में. चार साल में चार बार सरकार बदल चुकी है. सरकार अगर अस्थिर होगी तो नुकसान किसका होगा. हम इस नुकसान को नहीं होने देंगे.”
विधानसभा में आज राज्यपाल के अभिभाषण पर जवाब देते हुए नीतीश कुमार ने एक बार फिर भी लालू-राबड़ी के शासन काल का जिक्र नहीं किया. इससे पहले के उनके हर भाषण में इसका जिक्र जरूर होता था. नीतीश ने आज एक दफे भी आरजेडी पर हमला नहीं बोला.
इन तमाम बातों को जोड़ने के बाद सियासत की दूसरी तस्वीर सामने आ रही है. हालांकि इसे नीतीश का प्रेशऱ पॉलिटिक्स भी माना जा रहा है. नीतीश कुमार बीजेपी से सीट शेयरिंग में अपने मनमाफिक सीट चाह रहे हैं. वे मुसलमानों के हमदर्द की अपनी छवि को भी नहीं समाप्त होने देना चाहते. लिहाजा वे बीजेपी पर प्रेशर डाल कर उसे अपने रास्ते पर लाने की कवायद में लगे हैं.