जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
17 फरवरी 2022
भागलपुर : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले करीब 18 सालों से राज्य की राजनीति में खुद को अपरिहार्य बना चुके हैं। उनके आलोचकों का कहना है कि उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए बड़ी पार्टियों, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को परिस्थिति के अनुसार अपने साथ जोड़ लिया है। अब एक बार फिर से कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार कुछ नया करने वाले हैं।
सवाल यह है कि अब वह क्या नया करने जा रहे हैं। इसका जवाब वहां चल रहे ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से समझने की कोशिश करते हैं। दरअसल, एक तरफ नीतीश कुमार को अपनी पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा से बगावत का सामना करना पड़ रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ सीएम नीतीश कुमार यह भी बता चुके हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस हफ्ते की शुरुआत में फोन पर बातचीत हुई थी।
*बिहार में नए राज्यपाल की नियुक्ति की दी सूचना*
नीतीश कुमार इन दिनों अपनी राज्यव्यापी समाधान यात्रा पर हैं। इसी दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश कुमार को फोन किया और बताया कि फागू चौह्वान की जगह गोवा के राज्यपाल आरवी अर्लेकर को बिहार के नए राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया जा रहा है। फागू चौह्वान को मेघालय में स्थानांतरित कर दिया गया है। यहीं से एक बार फिर बिहार की सियासी फिजां में नीतीश कुमार की पलटी मारने की चर्चाएं गूंज रही है। यहां तक कि बिहार के नए राज्यपाल अर्लेकर ने एक बयान में कहा कि, “मुझे वहां नीतीश कुमार से किसी भी टकराव का कोई कारण नहीं दिखता है।”
*आखिर ये सब क्यों हो रहा है?*
दरअसल, बागी तेवर के लिए मशहूर उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में 19 फरवरी को चिंतन शिविर करने का एलान किया है। जिसमें जदयू के कई नेताओं को बुलावा भेजा है। वह इसे शोपीस इवेंट बनाने के लिए अभियान चला रहे हैं। राजद और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ नीतीश के रिश्ते में भी कुछ खटास आई है। एक तरफ राजद के कई नेता लगातार नीतीश पर खुलकर निशाना साध रहे हैं तो वहीं तेजस्वी यादव ने चुप रहने का विकल्प चुना है।
दूसरी तरफ, उपेंद्र कुशवाहा तेजस्वी पर लगातार हमला कर रहे हैं। खासकर तब से जब नीतीश कुमार ने संकेत दिए हैं कि तेजस्वी यादव अगले विधानसभा चुनाव में चेहरा होंगे। कुशवाहा का कहना है कि तेजस्वी अपने पिता लालू प्रसाद यादव की तरह बिहार को बर्बाद कर देंगे।
*राजद-जदयू नेताओं ने क्या कहा*
बिहार में चल रही राजनीति खींचतान के बीच जदयू के एक नेता ने कहा कि, “नीतीश ने हमेशा गठबंधन धर्म का पालन किया है। जिसके साथ रहे, पूरी इमानदारी के साथ रहे हैं।” वहीं, राजद ने कहा, ‘नीतीश कुमार जी पहले ही कह चुके हैं कि वह फिर से भाजपा से हाथ मिलाने के बजाय मरना पसंद करेंगे।’
*फोन पर बातचीत पर लग रहे फिर कयास*
राजनीतिक पर्यवेक्षक नीतीश कुमार और अमित शाह के बीच टेलीफोन पर हुई वार्ता की तुलना कर रहे हैं। सीएम के राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन में वापस जाने की अटकलों के बीच अगस्त 2022 में अमित शाह ने नीतीश कुमार से बात की थी। इसके बाद नीतीश ने कथित तौर पर शाह को आश्वासन दिया था कि “चिंता की कोई बात नहीं है।” इसके अगले दिन वह एनडीए से बाहर निकल गए थे और राजद के साथ गठबंधन बनाकर एक बार फिर सीएम बन गए।
*महागठबंधन में शामिल होने के बाद मोदी और शाह से बचते रहे नीतीश*
दरअसल, महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से कन्नी काटते नजर आए। छह महीने में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की चार बैठकों में शामिल नहीं हुए। तीन बार डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को बैठक में भेजा। जबकि एक बार तत्कालीन डीजीपी एसके सिंघल ने नीतीश कुमार का प्रतिनिधित्व किया।
*2022 में भी अमित शाह ने ही किया था नीतीश को कॉल*
गृह मंत्री अमित शाह ने ही 7 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार को फोन किया था। उस समय भी नीतीश ने अमित शाह को आश्वसन दिया था कि सब ठीक है। इस बात की जानकारी अमित शाह ने खुद ही दी थी। लेकिन दो दिन बाद ही 9 अगस्त 2022 को नीतीश ने पलटी मार ली और राजद के साथ सरकार बना ली। अगस्त 2022 के बाद ये पहली बार है कि एक बार फिर अमित शाह ने ही नीतीश कुमार को कॉल किया है। अब ये सियासी संयोग है या प्रयोग राजनीति गलियारे में चर्चा बनी हुई है।