नए डीजी साहब के लिए पार पाना आसान नहीं

जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
3 दिसंबर 2023

भागलपुर/पटना : 2022 में निगरानी ब्यूरो भ्रष्ट अधिकारियों पर कहर बनकर टूटी। निगरानी की आक्रामक कार्रवाई से धनकुबेर अफसर और इंजीनियरों के पसीने छूट गए। राजधानी पटना से लेकर सुदूर किशनगंज तक निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की ताबड़तोड़ छापेमारी की खूब चर्चा हुई।निगरानी ब्यूरो ने नकदी बरामदगी में अब तक का रिकार्ड बनाया है। 2022 के अंत में नीतीश सरकार ने निगरानी के चीफ यानि एडीजी सुनील कुमार झा का ट्रांसफर कर दिया। अब इस जगह पर डीजी की तैनाती की गई है। नए चीफ आलोक राज के लिए एडीजी द्वारा खींची गई लकीर को पार पाना आसान नहीं होगा। क्यों कि निगरानी ने पिछले साल कई धनकुबेर अफसरों के खिलाफ सफल ऑपरेशन कर करीब पंद्रह करोड़ की नकद राशि बरामद की है। इसके अलावे करोड़ों के जेवरात बरामद किये हैं। निगरानी के आक्रामक तेवर से अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले अधिकारी खौफ में जी रहे थे। अचानक सरकार ने निगरानी एडीजी का तबादला कर दिया है। अब नए डीजी आये हैं।अब देखना होगा कि आगे निगरानी किस तरह का एक्शन लेती है।

निगरानी के नए चीफ बने आलोक राज : बिहार सरकार ने 2021 मध्य से लेकर दिसंबर 2022 तक निगरानी ब्यूरो, विशेष निगरानी इकाई और आर्थिक अपराध इकाई को भ्रष्ट अधिकारियों के पीछे लगा दिया है। इन तीनों जांच एजेंसियों ने धनकुबेर ऑफिसरों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कर ताबड़तोड़ छापेमारी की है। विशेष निगरानी इकाई और आर्थिक अपराध इकाई की कमान एडीजी नैय्यर हसनैन खान के हाथों में है, जबकि निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की कमान एडीजी सुनील कुमार झा के हाथों में था। लेकिन सरकार ने इन्हें स्थानांतरित कर दिया है। अब इस जगह पर डीजी आलोक राज को बिठाया गया है। साल के अंतिम दिन यानि 31 दिसंबर को सरकार ने स्थानांतरण आदेश जारी किया है। निगरानी ब्यूरो के लिए 2022 का काल स्वर्णिम काल रहा। कई बड़े धनकुबेर अफसरों-इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई की गई। आधे दर्जन ऐसे ऑफिसर रहे, जिनके ठिकानों पर निगरानी ब्यूरो ने छापेमारी की तो करोड़ों रू० नकद मिले। नंबर वन पर एक इंजीनियर तो दूसरे नंबर पर ड्रग इंस्पेक्टर रहा।

नंबर-1 पर रहा आरडब्लूडी का भ्रष्ट इंजीनियर : एडीजी सुनील कुमार झा के नेतृत्व में निगरानी ब्यूरो ने 2022 में कई सफल ऑपरेशन किए।इन सफल छापेमारी में कुछ केस के बारे में बता रहे हैं। सितंबर 2022 में निगरानी ब्यूरो ने किशनगज में ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता संजय राय के ठिकानों पर छापेमारी की। किशनंगज से लेकर पटना तक हुई छापेमारी में धनकुबेर इंजीनियर के कई ठिकानों को मिलाकर 5.32 करोड़ रुपये बरामद किये गए। नंबर दो एक धनकुबेर ड्रग इंस्पेक्टर रहा। पटना में पदस्थापित रहे ड्रग इंस्पेक्टर जितेन्द्र कुमार के ठिकानों पर निगरानी ब्यूरो ने जून 2022 में छापेमारी की थी। छापेमारी करीब 4.25 करोड़ रू नकद मिले थे। एक ट्रग इंस्पेक्टर के यहां इतनी राशि मिलने की खूब चर्चा हुई थी।

पटना में हुई अंतिम बड़ी छापेमारी : दिसंबर 2022 में निगरानी ब्यूरो ने पटना में एक बड़ी मछली पर हाथ डाला। पटना में पदस्थापित भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता संजीत कुमार को निगरानी ब्यूरो ने पहले 2 लाख रू रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। इसके बाद जब धनकुबेर इंजीनियर के ठिकानों की तलाशी ली जाने लगी तो 1.08 करोड़ रू नकद मिले थे। 2022 की अंतिम बड़ी कार्रवाई थी। वैसे निगरानी ब्यूरो ने कई बड़े ऑफिसरों के ठिकानों पर छापेमारी की, जहां से 50-60 लाख रू बरामद किये किए।लेकिन 2022 में ग्रामीण कार्य विभाग का इंजीनियर, ड्रग इंस्पेक्टर और लास्ट में भवन निर्माण विभाग का कार्यपालक अभियंता के ठिकानों पर निगरानी छापेमारी की खूब चर्चा हुई।

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