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काश मौत के बाद भी कोई ‘मां’ कहकर लिपट जाए…लावारिश विमला की खुली आंखों को अपनों का इंतजार…….

जनपथ न्यूज डेस्क

Reported by: गौतम सुमन गर्जना, भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
4 अगस्त 2022

भागलपुर : कहते हैं पूत सपूत तो क्या धन संचय और पूत कपूत तो क्या धन संचय… ऐसे ही कपूतों को जन्म देने वाली अभागिन विमला (बदला हुआ नाम) की कहानी बेहद दर्दनाक है। विमला अब इस दुनिया में नहीं हैं. उन्हें अब किसी का इंतजार नहीं लेकिन इसकी आस उन्हें जरुर होगी कि वो आज भले ही लावारिश हालत में अस्पताल में पड़ी हैं लेकिन एक दिन उसे लेने जरुर कोई अपना आएगा। अस्पताल में हर आने-जाने वाले से वो इसी उम्मीद में बात करतीं, कि शायद एक आवाज किसी की आए… मां, मैं लेने आया हूं लेकिन अफसोस विमला का यह इंतजार अधूरा रह गया। लेकिन मौत के बाद भी आंखें मानो अपनों के इंतजार में ही खुली हुई हो…

*वृद्धा को भर्ती कराकर भाग गये अपने*
मीडिया ने जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (मायागंज) में परिजनों द्वारा लावारिस की तरह छोड़ दिये गये बुजुर्गों का मुद्दा उठाया था। इन बुजुर्गों को अब शांति कुटीर में शिफ्ट किया जा रहा था। विमला को भी मंगलवार को वहां भेजा जाना था लेकिन उसने इससे पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया। विमला को मायागंज अस्पताल में किसी ने भर्ती कराया और छोड़कर भाग गया। विमला अपने बारे में कुछ भी नहीं बता पाती थीं लेकिन हमेसा पूछती कि- मुझे लेने आए हो क्या..

*मौत के बाद भी इंतजार*
विमला की बीमारी तो डॉक्टरों ने दूर कर दी लेकिन अंदर ही अंदर मानो वो इस पीड़ा से खोखली हो चुकी थी कि उसका यहां कोई नहीं। उसके अपनों ने ही लावारिश छोड़ दिया और फरार हो गये। वो शायद अंदर ही अंदर पूरी तरह टूट चुकी थी। विमला की सांस रूक गयी। लोग उन्हें अस्पताल में जानने लगे थे।

*काश कोई मां कहकर सीने से लिपट जाए*
सबकी जुबान पर एक ही बात थी, ये वियोग में ही तड़पती रही और आखिरकार इस दुनिया से चली गयी लेकिन उसके बाद भी इनकी आंखें खुली है। ऐसा लग रहा है मानो आज भी इंतजार है इन्हें कि कोई आएगा अपना और मां कहकर सीने से लिपट जाएगा। जिंदा रहते तो नहीं हुआ, शायद मौत के बाद ही ऐसा हो तो भी आत्मा को शांति मिले…

*जिन्हें अपनों ने ठुकराया उनका शव हजारों मेडिकल छात्रों का भविष्य संवारेगा*
महिला से मिलने तीन माह के अंदर कोई नहीं आया था। मौत के बाद शव के दावेदार की तलाश शुरू की गयी लेकिन लाख प्रयास के बाद भी कोई क्लेम करनेवाला देर शाम तक सामने नहीं आया। आखिरकार अस्पताल अधीक्षक डॉ दास ने शव को एनोटॉमी विभाग को सौंपने का निर्णय लिया। इसकी जानकारी विभाग के एचओडी को देते हुए शव भेज दिया गया। अस्पताल अधीक्षक डॉ० असीम कुमार दास ने बताया शव पर क्लेम करनेवाला कोई नहीं था इसलिए शव को एनाटोमी विभाग को सौंप दिया गया है। इसका उपयोग मेडिकल छात्र पढाई के लिए करेंगे।

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