अब जब केंद्र की सरकार ने भी ये ऐलान कर दिया है कि “लोकल को ही ग्लोबल” बनाया जाय ऐसे में बिहार की डबल डेकर सरकार को भी कुछ फैसले कर ही डालने चाहिए।पिछले 2 महीनों से लगातार मैंने किसानों की बात रखी है।अगर हम अपने किसान भाइयों को प्रोत्साहित कर रहे होते तो बिहार की स्थिति इतनी भयावह नही होती।जो तस्वीरे सामने आईं हैं उसने 15 साल के सुशासन रूपी ढोल की पोल खोल कर रख दी है।अब भी सरकार चाहे तो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कुछ इज़्ज़त बचा सकती है।किसानों को गन्ने का भुगतान कराया जाए।इसके अलावा बीज़ और खाद की व्यवस्था की जाए सब्सिडाइज़्ड रेट पर।हमारे पश्चिमी चम्पारण का मिर्चा का चिवड़ा(पोहा) विश्व प्रसिद्ध है इसकी उत्पादन बढ़ाने में किसानों की मदद की जाए।कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हमारी महिलाओं को प्रोत्साहित किया जाए।महिलाओं को मास्क बनाने की ट्रेनिंग दी जाए और सरकार इसे स्वयं खरीदे।युवा शक्ति को गाँवों में ही स्मार्ट गाँव बनाने की ट्रेनिंग दे।इंटरनेट से गाँवों को जोड़कर गाँवों के विकास का रास्ता साफ किया जाए।पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए ब्लॉक स्तर पर लोगो को ट्रैंड किया जाय।दुध की पैकेजिंग के साथ दूध से बने प्रोडक्ट्स के लिए माहौल तैयार किया जाए।लोगो को उत्साहित किया जाय की वो अपने लोगो के यहां बनी चीज़ों से ही अपनी आवश्यकता पूरी करें।अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए हमारी बहनों का भी आवाहन किया जाए।तरह तरह के अचार,मुरब्बा,पापड़ और ब्यूटी प्रोडक्ट्स को अगर गांव स्तर पर बनाने की शुरुवात अगर हमने कर दी।तो बिहार को अग्रडी राज्यो में जरूर खड़ा कर पाएंगे।ये कांग्रेस पार्टी का शुरू से ही मानना है कि बिना महिलाओं के भागीदारी के अर्थव्यवस्था का विकास संभव नही है।बिहार सरकार को चाहिए कि अब हवा हवाई की बातों को छोड़ कर ज़मीन पर कुछ काम करे।और एक ऐसा माहौल तैयार करे जिसमे सबकी भागीदारी समान हो और किसी को भी गांव छोड़ कर किसी और राज्य में जाने की जरूरत ना पड़े।

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