जनपथ न्यूज़ डेस्क

दिल्ली: विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयुष्मान द्वारा आयुषकॉन-2024 का भव्य आयोजन किया गया, जिसका विषय था- विकसित भारत का आधार:आयुष से आरोग्य । इस आयोजन का उद्घाटन तेलंगाना के राज्यपाल महामहिम श्री जिशनु देव वर्मा जी ने किया। इस आयोजन के उद्घाटन सत्र में जदयू के वरिष्ठ नेता श्री के. सी. त्यागी जी, रामकृष्ण मिशन आश्रम नई दिल्ली के सचिव स्वामी सर्वालोकनंद जी, राज्य सभा सांसद श्री राम चंद्र जांगड़ा जी, इंटेग्रेटेड आयुष काउंसिल के अध्यक्ष डॉ शिष्टा नड्डा बसु जी, सीसीआरवाईएन,आयुष मंत्रालय के निदेशक डॉ राघवेंद्र राव जी उपस्थित रहे।

उद्घाटन वक्तव्य में आयुष्मान के संयोजक डॉ.विपिन कुमार जी ने मंच पर उपस्थित सभी विशेष अतिथियों को शॉल एवं प्रशस्ति चिन्ह देकर सम्मानित किया। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में महामहिम श्री जिशनु देव वर्मा, जदयू के वरिष्ठ मंत्री श्री के. सी. त्यागी जी, रामकृष्ण मिशन आश्रम नई दिल्ली के सचिव स्वामी सर्वालोकनंद जी, राज्य सभा सांसद श्री राम चंद्र जांगड़ा जी, इंटेग्रेटेड आयुष काउंसिल के अध्यक्ष डॉ शिष्टा नड्डा बसु,सीसीआरवाईएन के निदेशक डॉ राघवेंद्र राव जी का स्वागत किया और आयुषकॉन-2024 के इस आयोजन में उनकी उपस्थिति के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापन किया।

डॉ.विपिन कुमार जी ने अपने उद्घाटन भाषण में सबसे पहले आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज उन्हीं के प्रयासों से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है । यह क्षण हम सब भारतवासियों के लिए गौरव का क्षण है। आयुषकॉन-2024 के इस अवसर उन्होंने प्रधानमंत्री जी को साधुवाद देते हुए कहा कि वे एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने पद संभालते ही विकसित भारत का संकल्प किया और पूरे देशवासियों से विकसित भारत बनने में योगदान के लिए प्रेरित किया। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए भारतीय चिकित्सा ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने एवं उसे अपनाने के लिए आयुष मंत्रालय बनाया । उन्होंने कहा कि विकसित भारत केवल एक सपना नहीं है यह हमारे विश्वगुरु बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, विश्वगुरु बनने के लिए हमें अपनी परम्परा से जुड़ना होगा, आयुष के साथ ही हम इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं इसके लिए सरकार के प्रयास बेहद सराहनीय हैं। उन्होंने कहा कि आज आयुष का महत्व बढ़ा है। उन्होंने बताया कि आयुष्मान न्यास पूरे वर्ष आयुष संबधी कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है और लोगों को आयुष के प्रति जागरूक करता है। उन्होंने उपस्थित सभी श्रोताओं से यह संकल्प लेने को कहा कि वे आयुष के संदेश को लोगों तक पहुचाएं।

आयुष संवर्द्धन के लिए डॉ बिपिन कुमार ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों के लिए उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने महर्षि अरविंद के दर्शन के महत्व पर बात करते हुए कहा कि हम सबको महर्षि अरविंद के मार्ग पर चलना चाहिए। महर्षि अरविंद ने न केवल स्वाधीनता की लड़ाई लड़ी बल्कि उन्होंने समाज में मानवतावादी दृष्टिकोण देने का प्रयास किया। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज आयुष की ज़रूरत क्यों है? उन्होंने कहा कि आयुष स्वास्थ्य लाभ के लिए बेहद ज़रूरी है। यह स्वस्थ रहने का एकमात्र साधन है। डॉ बिपिन कुमार जी ने खानपान पर जोर देते हुए कहा कि यह मात्र जानकारी नहीं है; इस सम्मेलन का उद्देश्य जागरूकता फैलाना है। अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने इस दोदिवसीय सम्मेलन की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की और सभागार में उपस्थित विभिन्न शहरों, संगठनों, संस्थाओं से आये हुए श्रोताओं का अभिवादन किया और उनका स्वागत किया। अपने भोजन को दवा बनाओ न कि दवाओं को अपना भोजन। उन्होंने कहा कि आपका भोजन ही आपकी औषधि बननी चाहिए। जो व्यक्ति जहाँ जन्म लेता है उसको वही की औषधि हितकारी होती है। उन्होंने स्थानीय भोजन को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति हैं जहाँ जिस भौगोलिक परिस्थिति में रहता है, उसे उसी भौगोलिक परिस्थितियों में उत्पन्न भोजन अपनाना चाहिए। उन्होंने भारतीयों में बढ़ते रोगों का एक बड़ा कारण विषम परिस्थितियों में उत्पन्न भोजन को माना। उन्होंने कहा कि हम अपना भोजन छोड़कर विदेशी भोजन अपना रहे हैं। उन्होंने स्वस्थ जीवनशैली अपनाने पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को औषधि मुक्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना ने सिखाया कि औषधियों पर निर्भरता बेकार है।

स्वामी सर्वलोकानंद जी महाराज ने आयुर्वेद एवं अध्यात्म के आदर्शों एवं जीवन शैली को आज की बड़ी आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि आज कर्मयोग,ज्ञानयोग, राजयोग एवं भक्तियोग को बहुत ही सरलता व स्पष्टता से समाज में समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह ज्ञान आधुनिक जीवन शैली में अमृतपान के समान है। सीसीआरवाईएन के निदेशक डॉ राघवेंद्र राव जी ने कहा कि आज पूरी दुनिया ने योग के विश्वगुरु के रूप में हमें स्वीकार किया है।

उद्घाटन सत्र का अंतिम वक्तव्य तेलंगाना राज्य के राज्यपाल महामहिम श्री जिशनु देव वर्मा जी । उन्होंने इस सफल आयोजन के लिए संयोजक डॉ विपिन कुमार जी की प्रशंसा की और योग एवं आयुष को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सभागार में उपस्थित सभी लोगों को रोज़ टहलना चाहिए; विशेषता महिलाओं को। उन्होंने लड़कियों को साहसी और निडर रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने एक प्रसिद्ध कहावत से अपनी बात को आगे बढ़ाया- “धन जाए तो कुछ नहीं जाता। स्वास्थ्य चला जाये तो थोड़ा जाता है परंतु चरित्र चला जाए तो सबकुछ चला जाता है”। इन्होंने आयोजन समिति को इस सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं।

दोपहर भोजन के उपरांत डॉ. विनोद कुमार यादव जी, भारतीय योग संस्थान के डॉ. देशराज जी ने आयुष एवं योग के आधुनिक महत्व पर प्रकाश डाला। भारतीय योग संस्थान के श्री देशराज ने उपस्थित श्रोताओं को योग का महत्व बताते हुए प्राणायाम के बारे में भी बताया। आइसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नीता कुमार ने आयुर्वेद उपचार के साथ साथ नियमित खानपान के प्रति सजग रहने की बात रखी। उन्होंने कहा कि आज अगर हमें स्वस्थ जीवन शैली अपनानी है तो अनुशासित भोजन और योग को अपनाना चाहिए। प्रख्यात मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ विश्वरूप रॉय चौधरी ने आयुर्वेद के समकालीन महत्व को रेखांकित किया। डॉ विश्वरूप रॉय चौधरी ने अपने अंदाज में कैंसर के प्रति उपस्थित श्रोताओं को आगाह किया और बताया कि कैंसर सेल्स हमारे शरीर में पहले से ही विद्यमान हैं; गलत जीवन शैली की वजह से ये सेल्स शरीर को रोगी बना देते हैं।

आयुषकॉन-2024 दूसरे दिन डॉ बिपिन कुमार जी ने राष्ट्रीय सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार जी, विश्व हिन्दी परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री डी. पी. मिश्र जी, डॉ डी. सी. जैन जी, श्री शैलेश वत्स जी. विश्व हिन्दी परिषद की शैक्षणिक परकोष्ठ की अध्यक्ष प्रो. संध्या वात्स्यायन जी, श्री राहुल देव जी का सम्मेलन में उपस्थित होने तथा सभी का मार्गदर्शन करने के लिए ध्यानवाद किया । सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने आयुष को भावी पीढ़ी तक पहुँचाना है, मैं आज यह इतने लोगों को देख कर आयोजक के नाते काफी प्रसन्न हूँ। डॉ डी. सी. जैन भी यहाँ उपस्थित हैं जो भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करते रहते हैं वास्तव में उनका यहाँ आना और हम लोगों का उनको सुनना हमारा सौभाग्य है। विदेशों में लोग आज भारतीय संस्कृति को अपनाना, समझना चाहते हैं, हिन्दी भाषा को सीखना चाहते हैं। इसी कड़ी में उन्होंने “निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूलबिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल” की बात की तथा हिन्दी भाषा एवं आयुष को साथ बढ़ाने की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि निज संस्कृति, खानपान, चिकित्सा पद्धति को अपनाने से ही बदलाव संभव है। हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री के के प्रयासों से ही आज पूरा विश्व “विश्व योग दिवस” मन रहा है। इसी के साथ डॉ बिपिन कुमार जी नए सभा में उपस्थित सही जनों का धन्यवाद किया।

श्री राहुल देव जी ने मंच पर उपस्थित सभी वक्ताओं का स्वागत किया एवं सभा को संबोधित करते हुए वर्क लाइफ बैलन्स की बाद की बाद की। अपने सम्बोधन में उन्होंने आयुष के साथ विकसित राष्ट्र बनने की बाद की और हम सभी को अपनी दिनचर्या में आयुष को अपनाने के लिए प्रेरित किया। श्री दीपक ठाकुर जी ने अपने निजी अनुभवों के आधार पर बताया कि किस प्रकार असाध्य रोगों से योग, प्राकृतिक चिकित्सा एवं स्वयं पर नियंत्रण रखकर निपटा जा सकता है।
विश्व हिन्दी परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री डी. पी. मिश्र जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की डॉ बिपिन कुमार जी ने प्रधान मंत्री जी के उद्देश्य को पूरा करने के लिए आयुष एवं भारतीय भाषाओं हिन्दी एवं अन्य भाषाओं को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है इसके लिए उनका बहुत-बहुत साधुवाद। उन्होंने आगे कहा कि यदि भारत को जानना है तो यहाँ की भाषा, संस्कृति, आयुष आदि को जानना जरूरी है। आयुष और हिन्द के माध्यम से भारत को जान सकते हैं। हमें प्राचीन आचार्यों को जानने की आवश्यकता है। हमारे पास विश्व के सबसे प्राचीन एवं महान विश्वविद्यालय हैं हमें उनको जानने की आवश्यकता है। भारतीय पद्धतियों की अच्छाइयों को लेकर हमें विकसित भारत के संकल्प को पूरा करना है।

राष्ट्रीय सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार जी ने अपने वक्तव्य सभी को भाई-बहन एवं दोस्त कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा की घर एवं समाज इन्हीं से निर्मित होता है। उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य, प्रसन्नता, एवं सुंदरता के दुश्मन विभिन्न प्रकार के विकार ही हैं जिन्हें हम क्रोध, नफरत, गाली, मोह आदि कह सकते हैं। विकार मस्तिष्क में बैठता है नफरत हृदय में घर करती है। इन्हें दूर करने के लिए योग एक सफल पद्धति है। इससे दैनिक जीवन में हमें उपचार की आवश्यकता नहीं पड़ती। आयुष में दैनिक जीवन में इन विकारों को दूर करने का समाधान है। हमें अपने जीवन में संयम एवं नियंत्रण की आवश्यकता है आयुष इसी की बात करता है। भारतीय संस्कृति में प्रकृति के विरुद्ध कुछ भी करने की प्रवृत्ति नहीं रही है। आज विकसित भारत के लिए हुमए आयुष से आरोग्य की आवश्यकता है। श्री इंद्रेश कुमार जी ने अपने वक्तव्य के साथ साथ सभा में उपस्थित सभी को योग का अभ्यास भी करवाया।
डॉ डी. सी. जैन जी ने बीमारियों के विषय में चर्चा की एवं उन्होंने बताया की छुआछूत जैसा कई बीमारियाँ अब समाप्त हो गई हैं इसमें भारतीय पद्धतियों का ही साथ रहा। उन्हीं के द्वारा ऐसा करना संभव हो पाया। उन्होंने बीमारियों का कारण अधिक कहना एवं शारीरिक मेहनत और व्यायाम की कमी को बताया। उन्होंने सभा में उपस्थित सभी जनों का धन्यवाद किया।
विश्व हिन्दी परिषद की शैक्षणिक प्रकोष्ठ की अध्यक्ष एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. संध्या वात्स्यायन जी ने सभी अतिथियों एवं सभा में उपस्थित श्रोताओं को धन्यवाद किया। उन्होनें कहा कि ऐसा लग रहा है की यहाँ एक मंथन चल रहा है जिससे अमृत बरस रहा है। सभी “आयुष्मान भवः” चाहते हैं, सभी स्वस्थ और निरोग्य आयुष की कामना करते हैं। यह दो-दिवसीय सम्मेलन इसी विषय को सार्थक करने तथा सभी तक आयुष को पहुँचाने के उद्देश्य ही आयोजित किया गया है। उन्होंने इस कॉन्फ्रेंस “आयुष से आरोग्य” को एक महान यज्ञ की संज्ञा दी। अंत में संयोजक एवं सभी अथितियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु वर्मा ने रोगों को दूर करने हेतु आयुर्वेद पद्धति को अपनाने की वकालत की। उनका कहना था कि एलोपैथी की ज़रूरत तब पड़ती है, जब हम आयुर्वेद के अनुशासन का पालन करना छोड़ देते हैं।

इसी क्रम में इस कॉन्फ्रेंस में अन्य कई विद्वानों ने अपने अनुभव एवं ज्ञान को सभा में उपस्थित लोगों के साथ साझा किया जिनमें डॉ नीता कुमार जी, डॉ अरुणिमा सिन्हा जी, डॉ देवेन्द्र त्रिगुना जी, डॉ अखिलेश शर्मा जी एवं अन्य विद्वान सम्मिलित थे।

आखिरी सत्र में डॉ. बिपिन कुमार ने बताया कि सारे रोगों की जड़ आधुनिक जीवन शैली है। उन्होंने कहा बीमारी में लोग सात्विक भोजन की अपेक्षा मसालेदार एवं फास्ट फूड खाना नहीं छोड़ते; यही बीमारी की जड़ है। उन्होंने छात्रों के बीच बढ़ रहे तनाव के प्रति चिंता प्रकट की और बताया कि योग से उनकी समस्या से लड़ा जा सकता है।
कॉन्फ्रेंस के अंत में इंटीग्रेटेड आयुष काउन्सिल के महासचिव डॉ.विपिन कुमार ने डॉ. बिपिन कुमार ने आयुष संवर्द्धन के क्षेत्र में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों की सराहना करते हुए उनके प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। यह तथ्य प्रधानमंत्री द्वारा आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी) को प्रोत्साहित करने के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्यों को दर्शाता है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने आयुष चिकित्सा पद्धतियों के वैश्विक प्रचार-प्रसार और आयुष को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।डॉ. बिपिन कुमार ने आयुष संवर्द्धन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों की सराहना करते हुए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा, और होम्योपैथी) पद्धतियों को न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिली है। प्रधानमंत्री जी की पहल से पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
डॉ. बिपिन कुमार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा, आयुष मंत्री श्री प्रताप राव जाधव और आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा को भी उनके समर्पित प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इन सभी के सामूहिक प्रयासों से आयुष क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में मदद मिली है।
यह पहल न केवल भारत की प्राचीन चिकित्सा परंपराओं को जीवंत बनाए रखने में सहायक है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य, रोग-निवारण और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने में भी एक क्रांतिकारी कदम है।

यह पहल न केवल भारत की प्राचीन परंपराओं को जीवंत बनाए रखने में सहायक है, बल्कि यह जन-स्वास्थ्य और समग्र जीवन शैली को बेहतर बनाने की दृष्टि से भी एक क्रांतिकारी कदम है।
सभी विद्वत अतिथियों एवं इस अवसर पर पूरे देश के विभिन्न राज्यों से उपस्थित सैकड़ों प्रतिनिधियों – श्रोताओं का धन्यवाद किया और भविष्य में होने वाले इसी प्रकार के कार्यक्रम में पुनः आमंत्रण का आश्वासन दिया।
दिल्ली से रंजीत कुमार की रिपोर्ट

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