जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 03 दिसम्बर :: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट से बिहार के बाहुबली एवं पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन को, किसी भी तीन दिन, छह-छह घंटे की, कस्टडी पैरोल की अनुमति मिली है। इसके लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए जाने का भी निर्देश दिया गया है।

सूत्रों ने बताया कि शहाबुद्​दीन ने कस्टडी पैरोल की मांग की थी। पीठ ने कहा कि शहाबुद्​दीन 30 दिन के भीतर इच्छानुसार कोई भी तीन तारीख चुन सकता है और उसे सुबह छह बजे से शाम चार बजे के बीच छह घंटे के लिए मुलाकात करने की अनुमति (दिल्ली में ही) होगी। इन छह घंटों में यात्रा समय भी शामिल होगा। याचिककर्ता इस दौरान अपनी मां, पत्नी व अन्य रिश्तेदारों के अलावा किसी से भी मुलाकात नहीं कर सकेगा।

सूत्रों ने बताया कि मो. शहाबुद्दीन बिहार के सिवान में दो भाइयों की तेजाब से नहला कर हत्‍या के मामले में तिहाड़ जेल में है।

उलेखनीय है कि बिहार का सीवान अस्सी के दशक में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ0 राजेंद्र प्रसाद, सिविल सर्विसेज़ टॉपर आमिर सुभानी और ठग नटवर लाल के लिए जाना जाता था। कम्युनिस्ट और बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ खूनी मार-पीट के लिए चर्चित हुए शहाबुद्दीन पर 1986 में हुसैनगंज थाने में पहली FIR दर्ज हुई थी और आज उसी थाने में A-लिस्ट हिस्ट्रीशीटर है (मतलब वैसा अपराधी जिसका सुधार कभी नहीं हो सकता)।

मात्र 23 की उम्र में 1990 में शहाबुद्दीन ने राजद के साथ होकर विधायक बने। अपराध के दुनियाँ में रहते हुए इन्होंने दो बार विधायक और चार बार सांसद बने।

शहाबुद्दीन की तूती सिवान जिला में ऐसी थी, कि डर के चलते, सीवान जिले की हर दुकान में,उनकी फोटो टंगी होती थी। शहाबुद्दीन ने भाजपा के ओमप्रकाश यादव को पंद्रह वर्ष पहले सरेआम दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था। शहाबुद्दीन बोलने में विनम्र हैं, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू के शब्दों का प्रयोग करते हैं, ‘न्यायिक प्रक्रिया’ में भरोसा रखते हैं, चश्मे, महंगे कपड़े और स्टाइल के शौकीन के साथ साथ राजद के लालू प्रसाद का आशीर्वाद भी उनके साथ था। लोगों की समस्याओं को मिनटों में निपटना, डाइवोर्स प्रॉब्लम निपटा……, जमीन की समस्याओं के निपटारे के लिए तो वे विशेषज्ञ माने जाते थे। जनता छोटे-छोटे फायदों में या यूं कहें कि डर और थोड़े से फायदे के लिए देखना बंद कर दिया था।

शहाबुद्दीन पर हत्‍या व अपहरण सहित दर्जनों संगीन मामलों में मुकदमा दर्ज है। फिलहाल सिवान में दो भाइयों को तेजाब से नहला कर निर्मम हत्‍या के मामले में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शहाबुद्दीन को साल 2018 में बिहार की सिवान जेल से दिल्‍ली की तिहाड़ जेल में स्‍थानांतरित किया गया था।

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