शरद यादव ने की थी शांति बहाल की कोशिश

जनपथ न्यूज डेस्क
गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
17 जनवरी 2022

पिछले कुछ दिनों से ठंड के कारण मैं बीमार चल रहा हूं। इस तरह जब कभी बीमार अवस्था में घर बैठने की फुर्सत रहती है तो इन फुर्सत के क्षणों में मैं कुछ किताबों को पढ़ने का शौक रखता हूं। इसी क्रम में पिछले 2 दिनों से मैंने संकर्षण ठाकुर की किताब ‘द बिहारी ब्रदर्स’ को पढ़ना शुरू किया था। जिसे पढ़कर बहुत सारी चौकाने वाली बातें पढ़ने को मिली। इन बातों को संस्मरण के रूप में आज मैं अपने इस जनपथ न्यूज www.janpathnews.com के जरिए आप लोगों के बीच साझा कर रहा हूं…

साल 1992 के दिसंबर की बात है। बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार थी। लालू प्रसाद यादव दिल्ली स्थित बिहार भवन में गए हुए थे। वहीं उनसे मिलने कुछ नेता पहुंचे और थोड़ी ही देर बाद बिहार भवन में एक बहुत भद्दी, गाली गलौज भरी घटना घट गई थी। हल्ला-गुल्ला बिहार भवन के ग्राउंड फ्लोर के वी.वी.आई.पी गलियारे में किसी विस्फोट की तरह गूंज रहा था मां-बहन की गालियां गोलियों के माफिक छूट रही थीं।

*सीएम से मिलने पहुंचे थे नीतीश कुमार व अन्य*

नालंदा और सोन क्षेत्र के किसान लंबे समय सिचांई और बिजली संबंधी मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। नीतीश कुमार समेत बिहार के कई बड़े नेता चाहते थे कि महीनों से चले आ रहे किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन का कोई नतीजा निकले। विशेष रूप से नीतीश कुमार चाहते थे कि किसानों की मांग पर ध्यान दिया जाए। तब नीतीश कुमार मंत्री पद पर नहीं थे, क्योंकि वी.पी. सिंह की सरकार गिर गयी थी। वह बिहार के नेताओं के एक गुट के साथ लालू प्रसाद यादव से भेंट करने पहुंचे थे। इस गुट में नीतीश कुमार के अलावा शिवानंद तिवारी, बिशन पटेल, लल्लन सिंह शामिल थे। इन नेताओं के पास किसानों के मुद्दों के अलावा कुछ और कार्यों की भी सूची थी।

*अचानक शुरू हुई गाली-गलौज और मुक्केबाजी*

संकर्षण ठाकुर की पुस्तक ‘द बिहारी ब्रदर्स’ के अनुसार वहां मौजूद लोगों में से किसी को याद नहीं कि मुख्यमंत्री के कमरे में दाखिल होने के कुछ मिनट के अंदर ही ऐसा क्या हुआ कि बैठक अचानक गाली-गलौज बदल गई और मुक्केबाजी होने लगी। लालू प्रसाद यादव की चीख चिल्लाहट सबसे ऊपर थी, उनका सारा गुस्सा लल्लन सिंह पर फूट रहा था, जिसे उन्होंने बड़े आक्रोश के साथ इशारा करते हुए कहा था कि, “निकल बाहर, बाहर निकल साला”

*लल्लन सिंह को बिहार भवन से बाहर फेंकने का मिला आदेश*

तब भाजपा नेता सरजू राय बिहार भवन में ही गेस्ट हाउस के दूसरे कमरे में बैठे हुए थे। हल्ला-गुल्ला सुन सरजू राय माजरा समझने के लिए बाहर निकले। उन्होंने वी.वी.आई.पी दरवाजे पर धक्का-मुक्की होते देखी। लालू प्रसाद यादव को अपने सभी सुरक्षाकर्मियों को आवाज लगाते सुना गया, “पकड़ के फेंक दो बाहर, ले जाओ घसीट के” संकर्षण ठाकुर ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि लालू प्रसाद यादव शायद लल्लन सिंह को ही बाहर ले जाने के लिए चीख रहे थे। जब ये सब हो रहा था, भाजपा नेता सरजू राय बिहार भवन में ही गेस्ट हाउस के दूसरे कमरे में बैठे हुए थे।

*आखिर क्यों हुआ था बवाल?*

श्री ठाकुर ने लिखा है कि लल्लन सिंह को अपनी जुबान पर नियंत्रण नहीं रहता है। बहुत जल्दी कड़वाहट उगलने लगते हैं। वह बहुत जल्दी बेइज्जती करने पर उतारू हो जाते हैं। उन्होंने तब या पहले कभी कुछ ऐसा कहा होगा, जिससे लालू प्रसाद यादव भड़क गए थे।

हालांकि, लालू प्रसाद यादव के सुरक्षाकर्मी लल्लन सिंह को बाहर करते उससे पहले ही नीतीश कुमार अपने साथ आए लोगों को लेकर वहां से हट गए। वह वहां निकलते हुए यह बड़बड़ा रहे थे कि अब साथ चल पाना मुश्किल है।

*बीच बचाव के लिए आए शरद यादव*

जनता दल के तत्कालीन अध्यक्ष शरद यादव को जैसे ही बिहार भवन में हुई घटना की खबर लगी, वह शांति बहाल करने के लिए तुरंत दौड़ पड़े। उन्होंने लालू प्रसाद यादव को बुलाया और माफी मांगने के लिए कहा.लालू प्रसाद यादव इसके लिए तैयार भी हो गए। शरद यादव ने नीतीश कुमार को भी बुलाया और उन्हें लालू प्रसाद यादव से मिलने तथा मेल मिलाप करने की सलाह दी, लेकिन नीतीश कुमार ने मना कर दिया।

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