राजनीतिक रोटी सेंककर किसान आंदोलन का फायदा तलाश रहे अश्विनी कुमार चौबे… ?

*86 दिनों तक किसान आंदोलन से दूर रहे..चौसा में खदेड़े गए केंद्रीय मंत्री तो पटना जाकर कर रहे पीसी*
जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
17 जनवरी 2023
बक्सर में किसान आंदोलन अनवरत जारी है और यह आंदोलन करीब 90 दिनों से चल रहा है। जमीन के बदले उचित मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन करने वाले किसानों की सुध लेने वाला अब तक कोई नहीं था। वहां के स्थानीय सांसद सह केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी किसान आंदोलन से अपने आप को दूर रखते रहे और उन्होंने किसानों को अपना समर्थन देना मुनासिब नहीं समझा। पिछले हफ्ते जब बक्सर पुलिस की गुंडागर्दी सामने आई और बेकसूर किसानों की पिटाई की गई, तब जाकर कहीं उनकी नींद खुली और राजनीतिक लाभ लेने वे चौसा पहुंच गए। हालांकि इस दौरान किसान आंदोलन में पहुंचे केंद्रीय मंत्री को स्थानीय लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। लोगों के भारी विरोध के बाद अश्विनी चौबे उल्टे पांव वहां से भाग खड़े हुए। किसानों की अब तक सुध नहीं लेने वाले अश्विनी कुमार चौबे पटना जाकर ऐलान कर रहे हैं कि किसान विरोधी नीतीश सरकार को जब तक सत्ता से बेदखल नहीं करूंगा, शांत नहीं बैठूंगा।
*86 दिनों तक अता-पता नहीं और अब किसानों की कर रहे बात*
बिहार भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में अश्विनी कुमार चौबे ने कहा है कि बक्सर के चौसा में किसानों पर जो अत्याचार हुआ है, उसको लेकर वे 24 घंटे उपवास में रहे.बक्सर में उनके ऊपर जानलेवा हमला हुआ। किसानों के लिए वे जो आंदोलन कर रहे हैं, उसे रोकने के लिए ही यह हमला हुआ है। उनके बॉडीगार्ड ने उसे वहां पर बचाया। स्थानीय पुलिस के तरफ से उसे कोई सहायता नहीं मिली। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि किसानों की समस्या का समाधान किसानों के बिना राय लिए हुए नहीं होगी। उन्होंने कहा कि बक्सर में एक अदना अधिकारी किसानों का दमन कर रहा है। वे बिहार से सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री भी। उसके बावजूद भी उसे सुरक्षा नहीं दी गई। उनके सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया। यह प्रोटोकॉल नियमों का उल्लंघन है। चौसा में किसानों को चुप कराने के लिए पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण कार्य हुआ है। जिन पुलिसकर्मियों ने किसान की मां और बहन और बेटियों की पिटाई की है, उनको राज्य सरकार नौकरी से हटाए। किसानों के आंदोलन के पीछे साजिश के तहत हिंसा की गई…इसका खुलासा होना चाहिए।
*सांसद को किसानों से क्या मतलब…आग लगने पर राजनीतिक रोटी सेकना मकसद*
इस बारे में बिहार के जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता सह बक्सर निवासी शिवप्रकाश राय से हमने अपने *जनपथ न्यूज** की ओर से बात की तो उन्होंने कहा कि अब तो चौसा का बनारपुर राज नेताओं के लिये तीर्थ से भी बड़ा स्थान हो चुका है। 86 दिन से चल रहे धरना में स्थानीय एमपी, विधायक या फिर आज जो नेता आ रहे हैं, वे यदि पहले शामिल हुए होते तो किसानों की ये दुर्दशा नहीं होतीं। मगर नेता तो आग लगने के बाद ही राजनीतिक रोटी सेकने पहुँचते हैं। उन्होंने कहा कि 10 जनवरी को जब पुलिस किसानों के घर में घुसी तो स्थानीय सांसद अश्विनी कुमार चौबे 12 तारीख को बनारपुर पहुँचे थे। लेकिन वहां इनको विरोध का सामना करना पड़ा। इनको किसानो से क्या मतलब है, अगर स्थानीय सांसद सह केंद्रीय मंत्री को मतलब रहता तो यह घटना कतई नहीं होती।