लालू ने दी है भागलपुर को नई पहचान
जनपथ न्यूज डेस्क
गौतम सुमन गर्जना
6 मार्च 2023
भागलपुर : श्रद्धा भारती,जय माता दी कैटरर्स,भागलपुर चैंबर ऑफ काॅमर्स और भागलपुर के दर्जनों सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, व्यवसायिक, शैक्षणिक आदि संगठनों के माध्यम से लोगों को लाभान्वित कर भागलपुर जिले को राज्य स्तर पर नई पहचान स्थापित करने वाले संजीव कुमार शर्मा उर्फ लालू के स्वयं घोषणा व सार्वजनिक सूचना से जिले में भर में मायूसी छाई हुई है!
गौरतलब हो कि सोशल मीडिया के जरिये 4 दिन पूर्व श्री शर्मा ने लिखा है कि ” मैं लालू शर्मा उर्फ संजीव कुमार शर्मा प्रोपराइटर जय माता दी कैटरर्स भागलपुर वासियों से कहना चाहता हूं कि मैंने लगभग 28 वर्षों तक लगातार कैटरिंग/इवेंट व डेकोरेशन के माध्यम से बिहार/झारखंड/बंगाल के विभिन्न शहरों सहित पूरे भागलपुर में आधुनिक सुविधाजनक सेवा दी है,अब मैं विभिन्न कारणों के साथ-साथ अपने निजी व स्वास्थ्य कारणों से और कुछ समाज के प्रबुद्ध स्वघोषित महंत के रंजिश वाले कारनामों के कारणों से, तो कुछ कुछ प्रशासनिक परेशानियां व शासन के व्यवहारिक लाइसेंस प्रणाली के कारणों से भी अपने प्रसिद्ध कैटरिंग के व्यापार से सन्यास ले रहा हूं। अब मैं “आगामी 15 मार्च 2023” के बाद से कोई भी कैटरिंग सेवा कार्य व्यवसायिक दृष्टिकोण से नहीं करूंगा,मेरे प्रशंसक व मेरे समर्थक कृप्या मुझे क्षमा करेंगे। आप लोगों का जो भरपूर सहयोग आशीर्वाद व बड़ा प्यार सहित सम्मान मुझे मिला, उसके लिए मै अंग जनपद भागलपुर सहित बिहार के तमाम गणमान्य लोगों के प्रति अपनी संवेदना सहित शुक्रिया व्यक्त करता हूं। मैं बिहार के माननीय मुख्यमंत्री आदरणीय नीतीश कुमार जी को भी साधुवाद देता हूं, जिनके कड़े प्रयास से बिहार में व्यापार करने की सुगम रास्ते तैयार हुए और जिसका हमलोगों को भी भरपूर फायदा मिला। अब मैं सभी को प्रणाम करते हुए अपने आचरण या मेरे व्यवहार से जो भी जाने-अनजाने में गलती हुई, उसके लिए क्षमा मांगता हूं। मेरी आंतरिक इच्छा तो यही है कि मेरे जीवन का अंत भागीरथी गंगा किनारे अंग जनपद रेशमी शहर भागलपुर में ही हो और मैं यहीं से मां गंगा की गोद में समाकर अपने इष्ट देव महादेव शंकर की शरण में जाऊं। वहीं अब मैं केवल सामाजिक व आध्यात्मिक जीवन जीते हुए अपने परिवार का संचालन करने के लिए केवल इवेंट मैनेजमेंट व डेकोरेशन के साथ-साथ शुद्ध घी की मिठाइयां एवं विभिन्न प्रकार के शुद्ध नमकीन के ऑर्डर पर उपलब्ध कराने की सेवा दूंगा, वह भी कुछ चंद मेरे खास लोगों एवं निजी संपर्क के परिवार के लिए ही यह सेवा रहेगी और खास-खास लोगों को अपनी शर्तों अपने सिद्धांत के अंतर्गत छोटी-छोटी सेवा देता रहूंगा एवं ऐसे व्यवसाय के कार्य भी मैं अपनी शर्तों पर स्वतंत्र होकर करूंगा। अब मैं किसी भी जगह या भवन या किसी भी व्यवस्था के बंधन में बंधकर या किसी जगह के अधीनस्थ होकर अब भविष्य में कोई भी काम शुद्ध व्यवसायिक रूप से नहीं करूंगा। मैं आज भी निर्भीक होकर कहता हूं कि मैं एक ऐसा मदारी हूं,जो आग को आग से ही बुझाता हूं,मैं स्वतंत्र हूं मैं कल भी आज भी और कल भी व नित्य दिन पूरी उर्जा से लबालब होकर नए-नए अपने खेल दिखाऊंगा। अब मैं जमाने के सामने नए रूप में आऊंगा,मैं आज अपने व्यवसाय की बुलंदियों पर विराजमान हूं,तब मैं उक्त बिजनेस को अलविदा कर रहा हूं,जो समाज मैं अपार धन-संपत्ति के लिए नित्य ने द्वंद करने वाले लोगों को एक संदेश भी है। मित्रों सब कुछ हमें ही नहीं करना, दूसरों के लिए जगह छोड़ना भी प्रकृति के नियम के तहत आवश्यक है।
उक्त जिम्मेदारी को निभाने में ज्यादातर हम लालच और स्वार्थ में अनदेखी करते हैं,जो सर्वदा सनातन धर्म में वर्जित है!*
श्री शर्मा ने अपने समर्थकों को आगे बताते हुए कहा है कि मेरे समर्थक और आलोचक दोनों समझ लें व जान लें कि मैं अपने लेख “बतरस” को अपने जीवन के अंतिम पल तक लिखने हेतु प्रयासरत रहूंगा।मैं एक स्वतंत्र निर्भीक पत्रकार के रूप में आगे का जीवन जीने का ईमानदार प्रयास करूंगा।मेरी निर्भीक लेखनी, मेरी खुद की आत्म संतुष्टि की एक बड़ी वजह है।मित्रों मैंने यह कैटरिंग सेवा बंद करने का कठोर निर्णय 26 जनवरी 2023 की सुबह 4:00 बजे लिया है,अब आगामी 15 मार्च 2023 के बाद मेरे द्वारा,संचालित विवाह भवन “श्याम कुंज” द्वारकापुरी कॉलोनी,डॉक्टर आर,पी,रोड,भागलपुर में कोई भी व्यवसायिक संचालन नहीं किया जाएगा और ना ही मेरे द्वारा किया संपादित करवाया जाएगा व ना ही मेरा वहां पर किसी भी प्रकार का कोई लेन-देन या व्यवसायिक रिश्ता रहेगा। मैं अब एक छोटा सा व्यवसाई बनकर ही अपना आगे का जीवन व्यतीत करने का प्रयास करते हुए व अपने कुछ मित्र शुभचिंतक बंधुवर व हमारे समाज के पीड़ित गरीब कुचले आवाम के हितों की रक्षा हेतु,हमेशा जागृत रहूंगा व अपना रचनात्मक सहयोग समाज के प्रति लगातार देता रहूंगा। मैं तमाम गंदी राजनीति से दूर रहूंगा व कभी भी जिंदगी में कोई भी चुनावी प्रक्रिया में भाग नहीं लूंगा,ऐसा मैंने इसलिए लिखा है कि मेरे कई बहुत ज्यादा चाहने वाले लोग अक्सर कहते हैं कि यह नेता बनना चाहता है,लेकिन कल भी मेरा जवाब यही होता था,आज भी है और मेरे जीवन तक रहेगा,हां मैं आज भी वर्तमान मुख्यमंत्री इंजीनियर नीतीश कुमार जी का व राष्ट्रभक्त कठोर अनुशासन प्रिय भाई नरेंद्र मोदी जी का प्रशंसक हूं। मैं आदरणीय नेता लालू प्रसाद यादव जी का भी प्रशंसक हूं, कारण उन्होंने अंतिम पंक्ति में बैठने वाले लोगों को अग्रिम पंक्ति में बैठाने हेतु एक बड़ी लड़ाई निर्भीक होकर लड़ी है, जो निश्चित प्रशंसा के योग्य मैं मानता हूं!
मेरे स्वर्गीय दादा बनवारी लाल जी शर्मा (कंपाउंडर) वं मेरे पिता स्वर्गीय डॉक्टर विश्व कांत शर्मा (कंपाउंडर) राजस्थान के जिला-झुंझुनू गांव-बगड़,पीरामल नगर से चलकर भागलपुर पहुंचे थे,हम लोग जाति से राजस्थानी “ब्राह्मण” हैं,मेरे स्वर्गीय पिताजी दादाजी वं अन्य वंशजों का जन्म-गांव “बगड़” (पिरामल नगर) जिला-झुंझुनू,राजस्थान ही था,अपने परिवार के जीवन-यापन वं परिवार के भरण-पोषण हेतु उन्होंने भागलपुर (बिहार) को चुना था वं हम बहन/भाई का जन्म भागलपुर के “मोती मातृ सेवा सदन अस्पताल” सखीचंद घाट गंगा किनारे स्थित नया बाजार भागलपुर बिहार में हुआ,मेरे स्वर्गीय पूर्वजों ने लगातार निवासी वर्तमान चुनिहारी टोला में रहकर जीवन भर (लगभग 60वर्ष)अपनी मेडिकल सुविधा वं अन्य सेवा समाज को दी,मेरे स्वर्गीय दादाजी वं पिताजी स्वर्गीय डॉक्टर कातू बाबू (दवाई पट्टी)के मुख्य कंपाउंडर हुआ करते थे,उस जमाने में मेरे दादा जी वं पिताजी शहर के जाने-माने प्रतिष्ठित मेडिकल सेवा प्रदाता चिकित्सक रहे,वही से हमारा वंश भागलपुर में प्रतिष्ठा प्राप्त कर स्थापित हुआ, जिसका मैं अंतिम व्यक्ति या परिवार का अंतिम पुरुष सदस्य अब भागलपुर में हूं,क्योंकि मेरे बच्चे भी बंगलुरु वं अन्य शहर में रहते हैं व छोटा भाई/बहन सूरत कानपुर दिल्ली बगैरा विभिन्न शहरों में बिहार से बाहर रहते हैं। मेरी शादी भागलपुर के कहलगांव में गंगा किनारे किला दुर्गा स्थान निकट के निवासी पंडित किशन लाल शर्मा की पुत्री से हुई। अब प्रार्थना है कि शहर के तमाम लोग मेरे द्वारा जाने-अनजाने में हुई त्रुटियां को नजरअंदाज करेंगे व मुझे क्षमा करते हुए मेरे पूरे परिवार पर अपना दयाभाव और कृपाभाव बनाए रखेंगे। वक्त अब विदाई का आया व व्यवसायिक रिश्तो से जुदाई का आया, जो असहनीय कष्टदायक सहित पीड़ादायक तो है,परंतु आत्मसंतोष है कि मैंने व्यापार के माध्यम से भी कहीं न कहीं कुछ ना कुछ जन सेवा व अखंड समाज के हितों की सुरक्षा हेतु जागृत सहयोग कार्य भी किया है और मोन रहकर सोसाइटी/समाज को धर्म या जातिगत सोच से ऊपर उठकर सहयोग भी किया है। मैंने लगातार अपने जीवन में गैर-जिम्मेदार लोगों व समाज में दुर्भावना फैलाने वाली रीति-रिवाज और गैर-सामाजिक कार्यों का गैर-जिम्मेदाराना गतिविधियों का निर्भीक होकर विरोध किया है,जो संभवत:आगे भी जारी रहेगा,मेरे इस निर्णय से एक बड़ी संख्या के लोगों को बड़ी आंतरिक खुशी के साथ-साथ संतोष प्राप्त होगा,उन्हें काफी प्रसन्नता होगी,परंतु यह कार्य भी मुझे भविष्य के लिए और मजबूती प्रदान करेगा और मेरे अंदर नई ऊर्जा का संचार होगा,वं मुझे बड़ा संतोष होगा कि कुछ परिवार वं चंद लोगों को तो मेरे इस निर्णय से व्यक्तिगत खुशी प्राप्त हुई,चंद घरों में ही सही मगर खुशियां तो मेरे निर्णय से उनके घरों में पहुंची!
मैं यह सोचकर कुछ विचलित भी हो रहा हूं कि मेरे समर्थक मेरे चाहने वाले क्या सोचेंगे,परंतु हो वही जो राम रचि राचा,अब मैं खुशी मन से नि:संकोच होकर अपने संपूर्ण परिवार की तरफ से तमाम अंग वासियों को धन्यवाद कहते हुए हृदय से कोटि-कोटी”अभिनंदन”करता हूं,सभी का कल्याण हो-हम एक रहे-हम नेक रहे,मैं अपने तमाम कर्मचारी सहयोगी वं व्यापारिक रिश्तेदार और मेरे मैनेजर सभी का जिंदगी भर शुक्रगुजार रहूंगा कि उनकी बदौलत मैंने काफी ख्याति प्राप्त की है,मैं जब तक जीवित रहूंगा उन लोगों की जरूरी आवश्यक सहायता सहयोग हमेशा करता रहूंगा,मेरे सहयोगीयों का वं उनके परिवारों का एहसान में इस जनम में नहीं चुका सकता हूं परंतु हर संभव सहायता उनकी परिवार की करने हेतु मैं अपनी क्षमता के अनुरूप उपलब्ध रहूंगा,यह मेरा मेरे सहयोगी के परिवारों को वचन है,मैं नवनीत-अतुल बाबू के परिवार सहित मेरे कई शुभचिंतक/संरक्षक/अभिभावक परिवारों का शुक्रगुजार वं एहसानमंद रहूंगा क्योंकि इन्हीं चंद परिवारों की बदौलत मैं कंकर से शंकर बना हूं,मेरा एक ही कहना है मित्रों की मैं जो आज लिख रहा हूं या निर्णय जो कर रहा हूं उस निर्णय को या मेरे द्वारा घोषित भाषा के अर्थ को भौतिक जमाने के लोग 100 बाद समझेंगे,क्योंकि मैं 100 बरस बाद समझ में आने वाली भाषा को आज लिख रहा हूं!
मैं भी समझता हूं कि ऊंची उड़ान भरने वाले तमाम पक्षियों को मालूम होता है कि उनके लिए आसमान में कोई जगह ना तो बैठने की ना रहने की है,परंतु उनके अंदर का मजबूत आत्मविश्वास हमेशा उन्हें नित्य नई ऊंची-ऊंची उड़ान उड़ने के लिए प्रेरित करता है,भरोसा उन्हें खुद पर वं अपने रब पर होता है,मैं खुद का जीवन सूर्य देव के अनुरूप समझता हूं,ना तो मुझे उगते हुए चमकने का घमंड था,और ना ही मेरे अंदर अस्त होते हुए डूबने का दर्द है,मैं किसी न किसी रूप में फिर जमाने के सामने प्रगट होता रहूंगा,यह ईश्वर की प्राकृतिक है,मैं भी तो प्रभु की बनाई इस महान प्रकृति का एक अंश ही हूं!जय हिंद-जय बिहार “जय हो बिहारी”
लालू शर्मा के उक्त स्वयं घोषणा व सार्वजनिक सूचना से जिले के हजारों बुद्धिजीवियों के बीच स्पष्ट रुप से छाई मायूसी देखी जा रही है! इसे लेकर भागलपुर के डिप्टी मेयर डॉक्टर सलाउद्दीन अहसन,प्रो० रतन मंडल,संगीता तिवारी,शबाना दाऊद,पप्पू यादव,सुड्डू साईं,राकेश ओझा ने बताया कि सोशल मीडिया पर लालू जी के उक्त घोषणा को पढ़कर वे काफी दुखी व परेशान होकर उनके आवास पर गए थे, जहां ज्ञात हुआ कि लालू जी अभी वृंदावन गए हुए हैं ,वहां से वे इलाज के सिलसिले में बाहर जाएंगे। इन लोगों ने बताया कि लालू जी के आने के बाद वे उनसे बात करेंगे और फिर सब कुछ पहले जैसा ही कायम रहेगा क्योंकि इस जिले को लालू जी जैसे कर्मठ पारदर्शी जुझारू और बेबाक सेवक की जरूरत है!