जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
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23 नवम्बर 2022
भागलपुर/पटना : बिहार विधानसभा की कुढ़नी सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं। 2022 में इसके पहले दो दफे विस उप चुनाव हो चुके हैं। मार्च-अप्रैल 2022 में बोचहां सीट पर हुए उप चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई थी और तब भाजपा और जदयू का गठबंधन था। राजद के सामने भाजपा चारों खाने चित्त हो गई थी। बोचहां के बाद गोपालगंज और मोकामा में उप चुनाव हुए। गोपालगंज सीट भाजपा बचाने में कामयाब रही तो मोकामा में राजद। अब कुढ़नी सीट पर हो रहे उप चुनाव में भाजपा और जदयू आमने-सामने है.राजद ने इस बार अपनी सीटिंग सीट सहयोगी दल जदयू के हवाले कर दिया है, लेकिन बोचहां की तरह कुढ़नी सीट पर भी भाजपा पॉलिटिकल चक्रव्यूह में फंसी दिख रही है।
कुढ़नी में कैसे पार पाएगी भाजपा ?: कुढ़नी के रण में भाजपा एक बार फिर से फंसती हुई दिख रही है। बोचहां में जिस चक्रव्यूह में भाजपा उलझी हुई थी, कुछ वैसी ही घेराबंदी कुढ़नी के रण में देखने को मिल रहा है। बोचहां की तरह यहां भी मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने चाल चली है। वीआईपी ने भाजपा के कोर वोटरों में सेंध लगाने की कोशिश की है। मुकेश सहनी ने भूमिहार समाज से अपना प्रत्याशी दिया है। इस विस क्षेत्र में भूमिहार वोटरों की अच्छी आबादी है। इस वर्ग के वोटर भाजपा से थोड़े नाराज भी हैं, ऐसे में अगर इस वर्ग का वोट बंटा तो सीधा नुकसान भाजपा प्रत्याशी को होगा। मुकेश सहनी ने कुढ़नी से चार बार विधायक रहे साधु शरण शाही के पोते निलाभ कुमार पर दांव खेला है। वीआईपी इस रणनीति पर काम कर रही कि अगर बहुसंख्यक मल्लाह और भूमिहार साथ हो गए तो फिर भाजपा रेस से ही बाहर हो जायेगी।
बोचहां में भाजपा के कोर वोटरों ने ही बताई थी हैसियत : गौरतलब है कि बोचहां में कोर वोटरों की नाराजगी का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा था। जब इस वर्ग के लोगों ने अपना पूर्ण समर्थन भाजपा प्रत्याशी को नहीं दिया, लिहाजा वोटों में बंटवारा हो गया था। भाजपा की हार का अँतर काफी बड़ा हो गया और अब कुढ़नी में मुकेश सहनी ने भूमिहार समाज से उम्मीदवार दिया हुआ है। ऐसे में संभावना है कि अगर वोट बंटा तो सीधा फायदा जदयू कैंडिडेट को मिल सकता है। हालांकि, भाजपा इस चाल को समझ चुकी है और शुरू से ही मुकेश सहनी की पोल खोलने में वह जुटी हुई है। भाजपा नेतृत्व यह बताने की कोशिश में जुटी हुई है कि मुकेश सहनी जदयू के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। इनकी सेटिंग नीतीश कुमार के साथ है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, मुजफ्फरपुर सांसद अजय निषाद समेत कई नेता मुकेश सहनी पर हमलावर होते दिख रहे हैं।
भाजपा ने चक्रव्यूह तोड़ने की बनाई रणनीति : बोचहां में भूमिहार वोटर भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ थे। तमाम कोशिशों के बाद भी इस वर्ग की नाराजगी खत्म नहीं हुई थी। मुजफ्फरपुर के पूर्व विधायक सुरेश शर्मा भी अपने नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। प्रत्याशी को लेकर भी इस वर्ग में नाराजगी थी। नतीजा यह हुआ था कि इस वर्ग का 30-35 फीसदी से अधिक वोट राजद कैंडिडेट अमर पासवान के पक्ष में चला गया। इस बार कुढ़नी में मुकेश सहनी ने भूमिहार कैंडिडेट को उतारा है। भाजपा इस चाल को भांप गई है। लिहाजा शुरू से ही वह पूरा दम लगाते हुए नजर आ रहे हैं। भूमिहार वोटर साथ रहें इसको लेकर भाजपा नेतृत्व ने इस वर्ग से आने वाले नेताओं की ड्य़ूटी लगा दी है। पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा को भी मनाने की कोशिश की गई। हालांकि, सुरेश शर्मा के बेटे को जदयू ने तोड़ने की कोशिश की है, काफी हद तक उसमें जदयू को सफलता भी मिली। सुरेश शर्मा के अलावे भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा, विधान पार्षद देवेश कुमार, पूर्व विधायक मनोज शर्मा समेत कई अन्य भूमिहार समाज से आने वाले विधायकों व अन्य नेताओं को कुढ़नी में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी है। वहीं, मल्लाह वोटरों पर भी भाजपा डोरे डाल रही है। अनिल सहनी के परिवार को आउट किए जाने के बाद भाजपा ने साफ कर दिया है कि महागठबंधन ने अति पिछड़ों का अपमान किया है। इस उप चुनाव में अति पिछड़ा समाज अपमान का बदला लेगा।
चक्रव्यूह में फंसकर बुरी तरह हार चुकी है भाजपा : बोचहां विधानसभा उप चुनाव में राजद ने शानदार जीत दर्ज की थी। राजद के अमर पासवान ने भाजपा प्रत्याशी बेबी कुमारी को 36653 वोटों से हराया था। अमर पासवान को यहां वोट 82562 तो वहीं भाजपा को 45909 वोट मिले हैं। तीसरे स्थान पर वीआईपी की डॉ० गीता कुमारी रही हैं और उन्हें 29279 वोट मिले हैं। बोचहां में मुकेश सहनी को सहनी समाज और प्रत्याशी गीता कुमारी जिस वर्ग से आती हैं उस वर्ग का वोट मिला था यानि वीआईपी ने दो वर्ग के मास वोट पर कब्जा जमाते हुए 29279 वोट लाया। इस बार कुढ़नी में मुकेश सहनी की नजर मल्लाह और भूमिहार वोटरों पर है। बोचहां में कोर वोटरों के टूटने और विपक्ष के चक्रव्यूह की वजह से भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी भाजपा उसी घेराबंदी में फंसी हुई है। अब देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व इस चक्रव्यूह को कैसे तोड़ पाता है।
कुढ़नी के रण में ये हैं प्रमुख उम्मीदवार : मालूम हो कि कुढ़नी में जदयू ने जहां पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने पूर्व विधायक केदार प्रसाद गुप्ता पर एक बार फिर से दांव आजमा रही है। जबकि वीआईपी ने कुढ़नी से चार बार विधायक रहे शाधु शरण शाही के पोता निलाभ कुमार पर दांव खेला है। ओवैसी की पार्टी ने पूर्व जिला पार्षद गुलाम मुर्तजा अंसारी को मैदान में उतारा है। गुलाम मुर्तजा जदयू के साथ-साथ राजद में भी रह चुके हैं।