ये भ्रष्टों के खिलाफ चला सकते हैं ‘बुलडोजर’

जनपथ न्यूज़ डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
5 फरवरी 2023

भागलपुर : मद्य-निषेध व निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक विवादों में घिरे हुए हैं।‌ गाली वाला वीडियो सामने आने के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ बिहार प्रशासनिक सेवा संघ ने विरोध का बिगूल फूंक दिया है। इधर, सत्ता पक्ष भी अधिकारी के खिलाफ हो गए हैं। नीतीश कैबिनेट के मंत्री अशोक चौधरी ने तो खुल्लम खुल्ला विरोध जताया है। के. के. पाठक पर कार्रवाई की मांग को लेकर मुख्यमंत्री पर दबाव बनाया जा रहा है। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि के.के पाठक प्रकरण की जांच मुख्य सचिव कर रहे हैं। इधर, के.के पाठक की कड़क और ईमानदारी की चर्चा भी जोरों पर है। अब यह मांग उठने लगी है कि ऐसे कड़क व ईमनादार ऑफिसर को निगरानी विभाग की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। जहां कलम की ताकत का अहसास करा सकें। मांग उठने लगी है कि के.के पाठक को अधिक शक्ति साथ निगरानी महकमे का प्रधान बनाया जाना चाहिए।

*पटना के ट्रैफिक नियम पर के. के.पाठक ने सही कहा*: एक वरिष्ठ पत्रकार होने के नाते मैं गौतम सुमन गर्जना के.के पाठक के बारे में अपनी इच्छा जाहिर करना चाहता हूँ। अपने इस सोशल मीडिया के पोर्टल न्यूज़ चैनल जनपथ न्यूज डाॅट काॅम के माध्यम से मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहना चाहता हूं कि के.के.पाठक को अधिक शक्ति के साथ निगरानी महकमे का प्रधान बनाया जाना चाहिए। अच्छा हुआ जो के.के.पाठक ने अपनी अमर्यादित टिप्पणी के लिए खेद प्रकट कर दिया है।उन्हें ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी। राजधानी पटना में ट्रैफिक नियम की धज्जियां उड़ाने से संबंधित श्री पाठक की बात बिल्कुल सही है। दूसरे राज्य के लोगों काफी मानना है कि गैर जरूरी हाॅर्न बजाने के मामले में बिहार का पटना देश में पहले नंबर पर है। ऐसा मानने वाले लोग वाहनों के हाॅर्न के भारी शोर से काफी क्षुब्ध नजर आते हैं।

*के. के. पाठक जैसे अफसर देश में विरले*: मेरा मानना है कि कुल मिलाकर वास्तविकता यह है कि पाठक जी जैसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ ऑफिसर इस देश में विरले हैं। कोई ईमानदार ऑफिसर जब यह देखता है कि उसके जायज बातों का भी पालन नहीं होता है तो उसे बड़ा गुस्सा आता है। पर,पाठक जी जैसे बड़े ऑफिसर को अपने गुस्सा पर काबू रखना सीखना चाहिए। बिहार सरकार को चाहिए कि पाठक जी को अब ऐसे पद पर तैनात करें, जहां उन्हें व्यक्तियों पर नहीं बल्कि फाइलों पर अपने निर्दोष रोष का अधिक इस्तेमाल करना हो। वैसा एक पोस्ट मेरे दिमाग में है। मेरी समझ से निगरानी महकमे के प्रधान यानी आयुक्त पद पर पाठक जी राज्यहित में कारगर साबित होंगे। क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में के.के.पाठक जीरो सहनशीलता वाले ऑफिसर हैं। बिहार का निगरानी ब्यूरो पहले से भी अच्छा काम कर रहा है। किंतु वहां और भी अच्छा काम करने की जरूरत है। यदि के. के. पाठक को पूरे अधिकार के साथ वहां कमिश्नर पद पर बिठायें तो भ्रष्ट सेवकों की नानियां मरने लगेंगीं। बशर्ते पाठक जी को वहां जांच शुरू करने, जांच बंद करने का पूरा अधिकार हो। चार्ज शीट दाखिल करने का आदेश देने का पूरा अधिकार कमिश्नर को मिले।काम करने के लिए इस तरह के जो भी अधिकार पाठक जी चाहें, उन्हें दिया जाए।

*भ्रष्टाचार पर बुलडोजर चला सकते हैं केके पाठक*: मेरा मानना है कि योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर चलवाकर उत्तर प्रदेश में परिवर्तन ला दिया है। उन्होंने देश-विदेश में नाम कमाया है और ऐसा होने से यू.पी.में निवेश बढ़ रहा है।पाठक जी भ्रष्टों के खिलाफ कार्रवाई का बुलडोजर यदि चला दें तो बिहार के आम लोगों को बड़ी राहत होगी। क्योंकि उससे सरकारी महकमे के रग -रग में फैले भ्रष्टाचार के दानवों में भय पैदा होगा। खुद मुख्य मंत्री नीतीश कुमार भी चाहते हैं कि शासन का भ्रष्टाचार कम हो। पर,इस काम में उनकी ठोस सहायता करने वाले ऑफिसरों की भारी कमी दिखाई पड़ती है।

*साला शब्द के लिए मांग ली है माफी..विरोधी कहीं का गुस्सा कहीं और नहीं उतारें* : अब उनके द्वारा बोले गए ‘शाला’ शब्द पर आते हैं। एक फिल्म मेें दिलीप कुमार ने जो गीत गाया था, उसका मुखरा था-‘‘शाला मैं तो साहेब बन गया,साहेब बनके ऐसा तन गया……..।’ यानी,फिल्म के हीरो ने शाला शब्द का इस्तेमाल खुद अपने लिए किया था। खैर, फिर कहता हूं कि पाठक जी को मर्यादित शब्दों का ही इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन उनके विरोधियों को भी कहीं का गुस्सा, कहीं और नहीं उतारना चाहिए। पाठक जी में जो विरल गुण है, उसका इस्तेमाल शासन की बेहतरी के लिए होना ही चाहिए।

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