*राजद और जदयू में कलह बढ़ी, बिहार में सरकार गिराने वाले दावों की हकीकत*

जनपथ न्यूज़ डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
12 जुलाई 2023

क्या बिहार में सरकार गिर जाएगी…? नीतीश कुमार भाजपा के साथ जाएंगे…? इन दिनों ऐसे कई सवाल आम और खास लोगों के बीच किए जा रहे हैं। कारण राजनीतिक बयानबाजी और बड़े नेताओं की गतिविधियां हैं। सरकार को लेकर बड़े-बड़े राजनीतिक दावे किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक के बाद अब बिहार की हलचल तेज हो गई है। सुशील मोदी और सम्राट चौधरी ही नहीं, राज्य के राजनीतिक पंडित भी बदलाव का संकेत दे रहे हैं। पढ़िए सरकार गिराने वाले राजनीतिक दावों की पूरी पड़ताल करती आज की रिपोर्ट..

*नीतीश कुमार घबराए हुए हैं : मोदी*

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी कहते हैं कि-आनेवाले दिनों में कुछ भी हो सकता है ।कोई भी इसकी गारंटी नहीं ले सकता है कि जदयू में कुछ नहीं होने वाला है।उनका मानना है कि बिहार में महाराष्ट्र जैसे हालात हो सकते हैं।एनसीपी की तरह जदयू में भी विद्रोह होना तय है।

*नीतीश से विधायकों का भरोसा टूटा : सम्राट*

भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी कहते हैं कि- बिहार के विधायकों का नीतीश कुमार से भरोसा घट गया है और यह स्पष्ट हो चुका है कि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के कोई फैक्टर नहीं हैं।

*कम दिनों का है साथ : कुशवाहा*

कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहने वाले रालोजद के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा का मानना है कि- कांग्रेस के लोग तो तैयार बैठे हुए हैं, जबकि जदयू के लोग नीतीश कुमार थोड़ा बहुत चेहरा भी देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब देखना यह होगा कि कितने दिनों का साथ है।

*तेजस्वी को बना चुके हैं उत्तराधिकारी : पारस*

केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस कहते हैं कि- नीतीश कुमार ने तो मौखिक रुप से तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है । उनका मानना है कि बिहार में जितने भी सांसद और विधायक हैं, वे अपने भविष्य की चिंता में फंसे हुए हैं कि अब वे जीत भी पाएंगे या नहीं

*भविष्य की चिंता में हैं जदयू के सांसद-विधायक : चिराग*

लोजपा(रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान कहते हैं कि-नीतीश कुमार की पार्टी के सांसद-विधायकों को अपने भविष्य की गहरी चिंता है।वह कई और दलों के साथ मेरे संपर्क में भी हैं।

*विधायकों और सांसदों की मुलाकात से राजनीतिक हलचल*

बिहार में राजनीतिक हलचल तब तेज हो गई है,जब सीएम नीतीश कुमार जदयू के विधायकों और सांसदों से वन टू वन मुलाकात करने लगे हैं। इस घटनाक्रम के बाद सरकार में टूट की चर्चा तेज हो चुकी है। विधायकों और सांसदों से सीएम नीतीश कुमार की मुलाकात के कई पॉलिटिकल मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि पार्टी के सांसद-विधायक इसे चुनाव की तैयारी बता रहे हैं।

*आखिर क्यों हो रहे टूट के दावे*

जदयू में टूट के दावे को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट गौतम सुमन गर्जना यानि कि खूद मैं कई बड़ी वजह मानता हूं। तर्क है कि गठजोड़ के बाद जदयू पर कई सवाल खड़े किए गए हैं। जदयू के लोग खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। एक बड़ी वजह ये भी है कि नीतीश कुमार ने 2025 में तेजस्वी को विरासत सौपने की भी बात कही थी। इससे भी जदयू के लोगों में अंदर ही अंदर नाराजगी है।मेरा का मानना है कि बिहार में राजनीतिक हलचल के पीछे महाराष्ट्र का बड़ा परिवर्तन है। राजनेताओं के लिए सत्ता सब कुछ है। बिहार में बदलाव कोई आश्चर्य की बात नहीं है। पूर्व में भी ऐसा हो चुका है। सत्ता सुख के लिए कुछ भी और कोई भी बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हो सकता है।

*आखिर भाजपा को कहां से मिला मौका*

बिहार सरकार में कई मुद्दों पर अंतर्कलह दिख रही है। राजद और जदयू में आपसी खींचतान का मामला ट्रांसफर पोस्टिंग में साफ झलक रहा है। अफसरों के साथ मंत्रियों का विवाद भी इसी कड़ी का एक हिस्सा बताया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर के आदेश को 24 घंटे में बदल दिया गया और एक मंत्री का सचिव से टकरा जाना। यह सरकार में सब कुछ ठीक चलने का संकेत नहीं है।
भाजपा को सरकार में चल रहे इस खेल से ही मौका मिल गया और वह बयानों से सरकार पर दबाव बनाने लगी। इसी बीच महाराष्ट्र में सरकार के उलट फेर ने बीजेपी के बयानों को मजबूत कर दिया। अब तो भाजपा नेता राजद और जदयू के नेताओं के संपर्क में होने का दावा करते हुए सरकार में टूट की बात कर रहे हैं।

*क्या है नीतीश कुमार की पोलिटिकल मजबूरी*

बिहार की राजनीति पर काम करने वाले सोनभद्र एक्सप्रेस के भागलपुर ब्यूरो चीफ सह राजनीतिक विशेषज्ञ गौतम सुमन गर्जना बिहार की मौजूदा राजनीति को काफी संवेदनशील मान रहे हैं। नीतीश कुमार अजीब संकट की स्थिति में हैं। नेतृत्व से लेकर कई तरह के संकट हैं। नीतीश कुमार ऐसे संकटों से घिर गए हैं। वह जिस तेजी के साथ विपक्षी एकता को लेकर चल रहे थे, वह भी टूटती सी दिख रही है। कुल मिलाकर स्थितियां डांवाडोल बनी हुई हैं। अब नीतीश कुमार के सामने कोई चारा नहीं है,तेजस्वी के साथ राजद पर ही उन्हें भरोसा के साथ चलना होगा। हालांकि कुछ फैक्ट हैं, जो टूट की संभावना बढ़ा रहे हैं।

*महाराष्ट्र की तरह हो सकती हैं भगदड़*

मेरा मानना है कि बिहार में महाराष्ट्र की तरह भगदड़ हो सकती है। नेतृत्व को लेकर जदयू में बड़ा सवाल है। जदयू को भाजपा तोड़ सकती है, इसके बाद वह सरकार बना सकती है। जिस तरह से महाराष्ट्र में टूट हुई है, उसकी पुनरावृत्ति बिहार में भी हो सकती है।भाजपा इसके लिए काम भी कर रही है,उनके नेताओं के बयान भी मेरे बात की पुष्टि कर रहे हैं। नीतीश कुमार द्वारा उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद अब जदयू के नेताओं के सामने संकट हैं कि उनका नेता कौन होगा। ऐसे सवाल से पार्टी के सीनियर लीडर परेशान हो रहे हैं। ऐसे में नेता पार्टी तोड़ सकते हैं या छोड़ सकते हैं। भाजपा नेताओं के बयान में ऐसे संकेत भी मिल रहे हैं।

*अब समझें सरकार और ब्यूरोक्रेट्स के द्वंद के मायने*

सरकार और ब्यूरोक्रेट्स का द्वंद भी सब कुछ सामान्य नहीं होने का संकेत दे रहा है। शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर और अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक के बीच हुए विवाद को भी सरकार के दो फांड़ होने का संकेत दे रहा है। शिक्षा विभाग में हुए विवाद को देख आम लोगों को भी लग रहा है कि सरकार में आपसी तालमेल की कमी हो गई है। ऐसे सवालों को एमएलसी सुनील सिंह ने और पक्का कर दिया है।

एमएलसी सुनील सिंह ने कहा है कि के.के. पाठक को जानबूझ कर शिक्षा विभाग में लाया गया है। इशारा नीतीश कुमार की तरफ है। ऐसे में यह साफ है कि राजद और जदयू के बीच अंदरूनी कलह चल रही है, इस कारण से बड़े नेताओं के बयान भी ऐसे ही आ रहे हैं। इस बारे में भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद का कहना है कि शिक्षा मंत्री ने ट्रांसफर पोस्टिंग की सूची बना रखी थी। इस सूची से ही कमाई होनी थी, लेकिन के.के. पाठक ने उनकी मंशा पर पानी फेर दिया,जिससे यह विवाद हो गया है।

*लालू परिवार के करीबी से कलह का संकेत*

राजद एमएलसी सुनील कुमार सिंह लालू परिवार के काफी करीबी माने जाते हैं। वह हर सुख-दुख में लालू परिवार के साथ खड़े रहने के साथ राबड़ी के मुंहबोले भाई भी हैं। मौजूदा राजनीतिक हालात पर उनकी बयानबाजी भी सरकार में कलह का संकेत दे रही है। शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव के विवाद के बाद सुनील सिंह लगातार विवादित बयान दे रहे हैं।
के.के. पाठक की पोस्टिंग को भी उन्होंने विवाद बढ़ाने के लिए बताया था। अब वह सोशल मीडिया पर पोस्ट से मौजूदा सरकार में कलह का संकेत दे रहे हैं। सुनील सिंह ने ट्वीट में कई पदाधिकारियों की डाकू से तुलना की है। उन्होंने खुद को ईमानदार बताते हुए पदाधिकारियों को भ्रष्ट होने का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर ऐसे सार्वजनिक पोस्ट को लेकर सीनियर जर्नलिस्ट श्रवण कुमार की राय है कि सरकार में फिर कुछ बड़ा होने वाला है।

*अमित शाह ने नवादा में कहा था…नीतीश के लिए भाजपा के दरवाजे बंद*

गौरतलब हो कि अपैल महीने में बिहार रामनवमी के बाद हुई हिंसा की आग में जल रहा था। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बिहार दौरा हुआ था। वह नवादा में आयोजित राजनीतिक सभा में तब 21 मिनट के भाषण के दौरान बिहार की मौजूदा सरकार पर हमला करते रहे थे। अमित शाह ने यह भी साफ कर दिया था कि नीतीश के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। उन्होंने उसी समय संकेत दे दिया था कि लोकसभा चुनाव के बाद राज्य की गठबंधन सरकार गिर जाएगी। अब सवाल यह है कि अगर नीतीश के लिए भाजपा के दरवाजे बंद हैं तो क्या भाजपा जदयू में सेंध लगाकार सरकार बनाने की तैयारी में है। क्योंकि नीतीश के लिए भाजपा का दरवाजा बंद होने की बात कई नेता कर चुके हैं, लेकिन वह ये भी कह रहे हैं कि जदयू के कई नेता उनके संपर्क में हैं। मैं इस गणित को ही जदयू में टूट की बुनियाद बता रहा हूं।

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