जनपथ न्यूज़:- मृत्युंजय कुमार सिंह✍? जिंदगी हमें बहुत खूबसूरत दोस्त देती है।लेकिन अच्छे दोस्त हमें खूबसूरत जिंदगी देते हैं।जीवन यात्रा क्रम में कभी भी दोस्ती में समझदार बनो, वफादार बनो , असरदार बनो, मगर दुकानदार मत बनो।कुछ रिश्ते ईश्वर बनाते है । कुछ रिश्ते लोग बनाते है ।पर कुछ लोग बिना रिश्ते के , रिश्ते निभाते है वही दुनिया में दोस्त कहलाते है ।दोस्ती वह रिश्ता है जो आप खुद तय करते हैं, जबकि बाकी सारे रिश्ते आपको बने-बनाये मिलते हैं।ख़ुद से बनाए रिश्ते की जड़ काफ़ी गहरी और मज़बूत होती है। जरा सोचिए कि एक दिन अगर आप अपने दोस्तों से नहीं मिलते हैं, तो कितने बेचैन हो जाते हैं और मौका मिलते ही उसकी खैरियत जानने की कोशिश करते हैं। आप समझ सकते हैं कि यह रिश्ता कितना खास है। आज जिस तकनीकी युग मोबाईल – इंटर्नेट के इस्तेमाल के बीच हम जी रहे हैं, उससे दोस्तो को एक-दूसरे से काफी करीब ला दिया है। लेकिन साथ-ही-साथ इसी तकनीक ने हमसे सुकून का वह समय छीन लिया है जो हम आपस में बैठ कर बांट सकें। आज हमने पूरी दुनिया को तो मुट्ठी में कैद कर लिया है, लेकिन इसके साथ ही हम खुद में इतने मशगूल हो गये हैं कि एक तरह से सारे दोस्तों से कट से गये हैं।सच्चे दोस्त दुख और कष्ट के क्षणों में हमारे साथ अपनी मौजूदगी से हमें जिंदगी में आगे बढ़ने, संघर्ष करने और दुख व पीड़ा को हराकर हर संघर्ष – जंग को जीतने की प्रेरणा देते हैं। दोस्त हमारे दुख व दर्द को हमसे छीन तो नहीं पाते, पर वे अपनी उपस्थिति से उस दर्द को सहने की हमारी शक्ति जरूर बढ़ा देते हैं। किसी ने बहुत ठीक कहा है- ‘‘मैं एक दोस्त ढूंढ़ने गया, लेकिन वहां किसी को नहीं पाया। मैं दोस्त बनने गया और पाया कि वहां कई दोस्त थे।’’मित्र, सखा, दोस्त, चाहे किसी भी नाम से पुकारो, दोस्त की कोई एक परिभाषा हो ही नहीं सकती। हमें तन्हाई का कोई साथी चाहिए, दुखो – पीड़ावो को सुनने वाला एवं खुशियों का कोई राजदार चाहिए और गलती पर प्यार से डांटने-फटकारने वाला दोस्त चाहिए। यदि यह सब खूबी किसी एक व्यक्ति में मिले तो निःसन्देह ही वह आपका दोस्त होगा । वही दोस्त, जिसके रिश्ते में कोई स्वार्थ या छल-कपट नहीं बल्कि आपके हित, आपके विकास, आपकी खुशियों के लिये जिसमें सदैव एक तड़प रहेगी। क़ुदरत का नियम है मित्र और चित्र दिल से बनाओगे तो उनके रंग निखर जाएगा।अगर जिंदगी को कामयाब बनाना हो तो याद रखें पाँव भले ही फिसल जाये पर दोस्ती को कभी मत फिसलने देना।किसी ने कहा है कि अच्छा मित्र प्राप्त करने से पहले अच्छा मित्र बनना आवश्यक है। मित्रता की इस भावना को बल देने के लिये दोस्तों के साथ माह में कही बैठने की आवश्यकता है, क्योंकि दोस्त हमें मजबूत बनाता है, हमारा संकल्प, हमारी संवेदना को महसूस कर अपनत्व की गर्माहट पैदा कर दोस्ती में ऊर्जा का संचार करता है ।यह जीना सिखाता है, जीवन को रंग-बिरंगी शक्ल देता है। प्रेरणा देता है कि ऐसे जिओ कि खुद दुःख के पार चले जाओ जहाँ ख़ुशियों का ख़ज़ाना हो।दोस्त तुम ऐसा कर सके तो हर अहसास, हर कदम और हर लम्हा खूबसूरत होगा और साथ-साथ सुन्दर हो जायेगी जिन्दगी। पढ़ाई के वक़्त के कुछ दोस्त आज भी वैसे ही प्यारे लगते है जैसे उस वक़्त थे ।कुछ ख़ास दोस्त से हर विषय जो मर्यादित हो या अमर्यादित हो उस पर खुल के बातें होती थी।घर की बात हो या कोई गोपनीय बात दोस्त से शेयर ज़रूर होता था।पुलिस विभाग में आने के बाद हमें कुछ दोस्त मिले कुछ विभाग के तो कुछ विभाग से हट के मिले जिससे जुड़ाव काफ़ी गहरा हो गया। वो आज के वक़्त में सुख – दुःख में साथ खड़े दिखते है । इंसान की पहचान यदि करना हो तो उसकी दोस्ती की समीक्षा करे की दोस्त कैसे बनाए है ।आज के वक़्त में कुछ दोस्त वैसे मिलेंगे की यदि वे अचानक काफ़ी आगे यानी उन्नति कर गए तो वे अब अपने
हैसियत के हिसाब से नए दोस्त बनाते है और पुराने से दूरी बनाने लगते है। उस तरह के दोस्त पर अनुभव के साथ कहूँगा, ए ज़िंदगी का कड़वा सच है कि दोस्त जब बड़ा बन जाता है तो उन दोस्तों को छोटा समझने लगता है जो दोस्तों ने मिल कर बुलंदी पर पहुँचाया है । वैसे दोस्त किसी के भी सच्चा दोस्त नही होते।कुछ दोस्त वैसे भी मिलेंगे की आपके उन्नति को देख कर अंदर – अंदर जलने लगते है और आपके बुरे वक़्त का इंतज़ार करते है या बुरे वक़्त के रचनाकार होते है और आपके पीठ में चाकु मार देंगे।ज़िंदगी के सफ़र ने हर भाती के दोस्त मिलेंगे।आपको तए करना है की आपके लिए कौन सा दोस्त बुरे वक़्त में हाथ पकड़ें वाला है और कौन सा दोस्त टाँग खिचने वाला है।सुकरात ने कहा है कि दोस्ती करने में धीमे रहें लेकिन एक बार जब दोस्ती हो जाये और वो सचा हो तो दृढ़ और सतत बने रहें।दोस्ती मानव सभ्यता की संस्कृति है। संपूर्ण मानवीय संबंधों का व्याख्या-सूत्र है। जीवन में दोस्ती की खेती खुशियों की फसल लेकर आती है, लेकिन उसके लिये पारम्परिक विश्वास की जमीन और अपनत्व के बीज भी पास में होने जरूरी है। वास्तव में दोस्त उसे ही कहा जाता है, जिसके मन में स्नेह की रसधार हो, स्वार्थ की जगह परमार्थ की भावना हो, ऐसे दोस्त सांसों की बांसुरी में सिमटे होते हैं, ऐसे दोस्त संसार में बहुत दुर्लभ हैं पर हर के जीवन में कुछ होते है।श्रीकृष्ण और सुदामा की, विभीषण और श्री राम की दोस्ती इतिहास की अमूल्य धरोहर है। जीवन में एक दोस्त कृष्ण जैसा होना ही चाहिए जो दोस्त के लिए युद्ध न लड़े पर सच्चा मर्गदर्शन दिखता रहे । एक दोस्त कर्ण जैसा भी होना ज़रूर चाहिए जो तुम्हारे ग़लत होते हुए भी तुम्हारे लिए युद्ध करे । अनुभव कहता है कि ना दोस्ती बड़ी ना इंसान बड़ा जो सत्य के साथ बिना स्वार्थ के उसे निभा दे वो अनमोल दोस्त बड़ा।हम तो बस इतना जानते है हर दोस्त मोती , एक ख़ास दोस्त कोहिनूर होता है ।

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