कोरोना काल में सब्जियों के दाम घटे, किसानों को हो रहा नुकसान
गौतम सुमन गर्जना
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भागलपुर : कोरोना महामारी ने सब्जी की खेती करने वाले किसानों की कमर तोड़ दी है.कच्चा माल रहने के कारण किसान औने-पौने दाम में अपने फसलों को बेचने के लिए मजबूर हो रहे है.किसानों की मजबूरी है कि वह अपनी फसल को खेत में भी नहीं छोड़ सकते हैं.खेत से सब्जी की फसल को तोड़कर बाजार लाने पर इसकी उचित कीमत इन्हें नहीं मिल पा रही है.जिसके कारण किसानों को पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी घाटा हो रहा है.
किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाए जाने के कारण बाहर के व्यापारी उनकी सब्जी खरीदने नहीं आ पाते हैं.जिसके कारण वे लोग स्थानीय विक्रेताओं के पास अपनी फसल को औने-पौने दाम में बेच देते हैं.पहले जहां इस मौसम में एक कद्दू की कीमत बाजार में 10 से 15 रुपये मिल जाती थी, उसे 5 से 6 रुपया में बेचना पड़ता है.महामारी के बाद लगातार हो रही बारिश भी उन लोगों के लिए आफत बनकर ही आई है.बारिश के कारण फल व सब्जी के पौधों पर लगे फूल गिर जा रहे हैं,जिससे उपज कम हो जाती है.किसान कोरोना एवं प्रकृति की मार से अपने आपको असहाय महसूस कर रहे हैं.
सब्जी की खेती करने वाले उपेंद्र सिंह,सीताराम सिंह,बबलू मंडल, बिंदेश्वरी शर्मा, सदानंद मंडल आदि ने कहा कि पहले इस मौसम में परवल की अच्छी कीमत मिल जाती थी.लेकिन अव 500 से 600 रुपया प्रति क्विंटल की दर से बिकती है,जिसके कारण हमलोगों को काफी घाटा हो रहा है.खेतों में फसल लगाने के बाद सिंचाई तथा सब्जी को तोड़ने में काफी लागत आती हैं.लेकिन बाजार में बेचने के बाद मुनाफा कम हो रहा है.जिसके कारण वे लोग लाचार और बेवश हो रहे हैं.इन लोगों ने कहा कि अगर यही स्थिति लगातार बनी रही तो अगले साल से कम सब्जी की खेती करेंगे. लोगों ने कहा कि लगातार दो सालों से सब्जी की फसल को काफी नुकसान हो रहा है.लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है,जिसके कारण किसान लाचार हो रह हैं.छोटे-मोटे सब्जी की खेती करने वाले किसान और सिर पर टोकरी लेकर अपना सब्जी बेचने के लिए विवश हो रहे हैं.जिससे कि कुछ लागत निकल सके और फसल लगाने में ली गई कर्ज को चुकाया जा सके.
फोटो : सब्जी की दुकान