अब खुद पर खतरा बता मांगा तबादला

जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
14 फरवरी 2023

भागलपुर : आईजी विकास वैभव ने पूर्व स्वीकृत अवकाश से लौटते ही डीजी शोभा अहोटकर के आसपास रहने से खुद और परिवार को खतरा बताया है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उस तीखी सलाह का भी जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने ऐसी शिकायतें उचित फोरम पर रखने कहा था,न कि ट्वीट करने।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को आईपीएस विकास वैभव की ओर से मिली चिट्ठी में साफ तौर पर बताया गया है कि उन्होंने डीजी शोभा अहोटकर की गालीबाजी की शिकायत उन्होंने न केवल सितंबर 2022 से कई बार की, बल्कि उनके साथ कई अन्य पदाधिकारी भी डीजी से बचाने की गुहार लेकर गृह विभाग के चक्कर लगा चुके हैं।
गृह विभाग को मिली इस चिट्ठी में तारीखों के साथ शिकायतों की जानकारी है। उन्होंने पूरी जानकारी देते हुए डीजी शोभा अहोटकर के मातहत काम करने में असमर्थता और डर दिखाते हुए अन्यत्र ट्रांसफर की मांग की है और ऐसा तत्काल नहीं होने की स्थिति में दो महीने के उस अवकाश को स्वीकृत करने की गुहार लगाई है, जो वह पहले से दे चुके हैं।

*’जनपथ न्यूज’ ने सबसे पहले जो लिखा,वही सच*

9 फरवरी को सबसे पहले जनपथ न्यूज’ ने इस खबर को ब्रेक किया था कि आईजी विकास वैभव को बिहारी कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है और मां-पत्नी के नाम पर उन्हें गालियां दी जा रही हैं। इस खबर को डीजी शोभा अहोटकर का बयान नहीं मिलने पर फिर दुसरे दिन इसे अपडेट किया गया। खबर में बताया गया था कि सारण मॉब लिंचिंग के दूसरे शिकार युवक की मौत की खबर को लेकर ‘जनपथ न्यूज’ की टीम रात में सोशल मीडिया पर एक्टिव थी, तभी यह ट्वीट दिखे।

डिलीट होने के पहले लिए गए स्क्रीनशॉट के आधार पर यह खबर लाने के साथ यह आशंका जताई गई थी कि संवेदनशीलता के लिए चर्चित और बिहारी अस्मिता जागरण के लिए प्रतिबद्ध ‘लेट्स इंस्पायर बिहार’ मुहिम चला रहे आईपीएस विकास वैभव उस रात सोए नहीं थे। विकास वैभव ने जनपथ न्यूज’ के बार-बार पूछने पर इसपर बात नहीं की, लेकिन अब गृह विभाग को मिली चिट्ठी में लिखा है- “8 फरवरी 2023 को क्रय समिति की बैठक के दौरान डीजी ने सभी लोगों के बीच तीन बार मुझे बलोडी आईजी कहा। इसके अलावा, डीआईजी बिनोद कुमार को अपमानित कर गेट आऊट कहते हुए सभा कक्ष से बाहर निकाल दिया।

इन कारणों से मैं अत्यंत विचलित था। मानसिक रूप से द्रवित था। बैठक में इस अपमान के कारण मुझे पूरी रात नींद नहीं आई। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। उसी मनोदशा में देर रात्रि 1:45 बजे ट्वीट करने की इच्छा हुई और मैंने ट्वीट कर भी दिया। परंतु, कुछ मिनट बाद मुझे लगा कि ऐसा नहीं करते हुए मुझे सरकार को अवकाश के लिए आवेदन देना चाहिए। इसपर मैंने ट्वीट को डिलीट कर दिया। उन ट्वीट्स के प्रसारण से मेरी कोई भूमिका नहीं रही है।”

*मुख्यमंत्री को यह पढ़ना चाहिए*

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को मिले पत्र में आईजी विकास वैभव ने बताया है कि- “आपके कार्यालय कक्ष में निजी रूप से मिलकर पहली बार दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में ही बताया था कि महानिदेशक मुझे निरंतर गाली दे रही हैं। अपमानित कर रही हैं। अत्यंत अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है तथा मेरी पत्नी के संबंध में भी अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं। फिर, 23 जनवरी 2023 को मैं डीआईजी बिनोद कुमार एवं समादेष्टा राजीव रंजन के साथ आपसे मिले। हम लोगों ने मिलकर सामूहिक रूप से बताया था कि डीजी शोभा अहोटकर प्रतिदिन अनावश्यक ही गालीगलौज करती हैं और क्रोध युक्त अमर्यादित भाषा का प्रयोग करती हैं। फिर, 24 जनवरी 2023 को डीआईजी विनोद कुमार व राजीव रंजन ने बिहार के मुख्य सचिव को भी ऐसे अमानवीय दुर्व्यवहार की शिकायत की थी।” यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी एक तरह से जवाब है, क्योंकि उन्होंने समाधान यात्रा में यह सवाल आने पर मजाकिया लहजे में कहा था कि किसी अधिकारी को ट्वीट नहीं करना चाहिए, बल्कि उचित फोरम पर बात रखनी चाहिए।

*खुद व परिवार के लिए खतरा बताया*

आईजी विकास वैभव ने इस पत्र में साफ लिखा है कि जबरन दंडित करने की मंशा के साथ बिहारी और पत्नी के नाम से गाली देने वालीं डीजी शोभा अहोटकर के साथ काम करने में वह खतरा महसूस करते हैं। उन्होंने लिखा है कि- कार्यस्थल पर ही मेरे साथ अप्रिय घटनाएं घट सकती हैं,क्षति पहुंचाई जा सकती है। ऐसे वरीय पदाधिकारी के अधीन कर्तव्य पालन संभव और सुरक्षित नहीं है। निर्दोष पारिवारिक सदस्यों के साथ मेरी सुरक्षा पर विचार करते हुए अस्थाई तौर पर भी उक्त वरीय पदाधिकारी के नियंत्रण से मुक्त किसी अन्य पद पर पदस्थापित करने हेतु राज्य सरकार की स्वीकृति प्राप्त करने की कृपा की जाए यदि किसी कारणवश वैकल्पिक व्यवस्था संभव नहीं हो तो 13 फरवरी 2023 के पूर्वाह्न से 60 दिन का अवकाश दे दें।” इसके लिए उन्होंने पूर्व में दिए अवकाश आवेदन की स्वीकृति का आग्रह किया है।

*डीजी की मंशा को किया जाहिर…*

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को मिली चिट्ठी में विकास वैभव की ओर से लिखा गया है कि जब 3 फरवरी 2023 को स्वीकृत अवकाश के तहत वह 9 फरवरी 2023 के अपराह्न में प्रस्थान कर गए थे। इसी बीच उसी तारीख को डीजी ने स्पष्टीकरण में 24 घंटे के अंदर जवाब देने का आदेश दिया और 10 फरवरी को जवाब नहीं मिलने के आलोक में अनुशासनिक कार्यवाही करने के संबंध में गृह विभाग को पत्र लिख दिया। यह किया जाना मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के युद्ध स्तर पर उनके प्रयास के साथ किसी भी तरह से दंडित करने की उनकी मंशा को दिखाता है।

*खुद पर लगे आरोपों पर चुप क्यों डीजी*

गृह विभाग को मिले पत्र में आईजी विकास वैभव ने लिखा है कि अनुशासनहीन तथा मर्यादाहीन पदाधिकारी होने संबंधित अपना अपराध महसूस नहीं किया और तत्काल मुझसे ही स्पष्टीकरण की मांग कर दी और सुप्रीम कोर्ट के तय मानकों के विरूद्ध जवाब के लिए महज 24 घंटे का समय दिया गया, वह भी तब जबकि मैं पूर्व स्वीकृत अवकाश के तहत राज्य से बाहर था।

*डीआईजी के बेहोश होने का भी जिक्र*

इस पत्र में आईजी विकास वैभव ने यह भी बताया है कि डीजी शोभा अहोटकर के अमानवीय दुर्व्यवहार के कारण ही डीआईजी बिनोद कुमार उनके कार्यालय कक्ष में बेहोश भी हो गए थे और लगभग 45 मिनट के बाद ही पूर्णत: होश में आ सके थे। तब से उनकी तबीयत लगातार खराब ही चल रही है।

*डीजी कहती हैं- बिहारी कामचोर होते हैं*

इसके बाद भी डीजी द्वारा क्रोधित होकर दुर्व्यवहार और टिप्पणियां की जाती हैं। यहां तक कि बिहारी मूल के अफसरों को ‘बिहारी’ बोल कर अपमानित करने का प्रयास किया गया है बताया गया कि बिहारी कामचोर होते हैं। लेट्स इंस्पायर बिहार मुहिम से जुड़े लोगों के साथ ही बिहारी अस्मिता पर खड़े होने वाले नेताओं और आम लोगों ने इस मुद्दे को हाथ में उठा रखा है। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक आंदोलन चल रहा है, जिसे डीजी के खिलाफ आईजी की साजिश के रूप में भी प्रचारित किया जा रहा है।

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