जनपथ न्यूज डेस्क
जितेन्द्र कुमार सिन्हा
7 फरवरी 2023

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज कल बिहार में “समाधान यात्रा” पर हैं। इस यात्रा के माध्यम से वे अपने गृह राज्य में अपनी जमीन मजबूत कर रहे हैं। नीतीश कुमार का यह “समाधान यात्रा” 15 फरवरी तक चलेगी। इस यात्रा से यह कयास लगाया जा रहा है कि मार्च 2023 से नीतीश कुमार अन्य राज्यों की यात्रा पर निकल सकते हैं। नीतीश कुमार की यह “समाधान यात्रा” 14वीं यात्रा हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार “समाधान यात्रा” के क्रम में “योजनाओं से संबंधित क्षेत्र भ्रमण”, “चिन्हित समूहों के साथ बैठक” और “जिला स्तरीय समीक्षा बैठक” नियमित रूप से कर रहे है। इस यात्रा की शुरुआत 04 एवं 05 जनवरी को पश्चिमी चंपारण (बेतिया) से करते हुए, 06 जनवरी को शिवहर एवं सीतामढ़ी, 07 जनवरी को वैशाली, 08 जनवरी को सिवान, 09 जनवरी को सारण (छपरा), 11 जनवरी को मधुबनी, 12 जनवरी को दरभंगा, 17 जनवरी को जहानाबाद एवं अरवल,18 जनवरी को बक्सर, 19 जनवरी को भोजपुर, 20 जनवरी को नालंदा, 21 जनवरी को गया, 22 जनवरी को नवादा का, “समाधान यात्रा” कर चुके है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार “समाधान यात्रा” की दूसरी चरण 28 जनवरी को खगड़िया से शुरू किए है और यह 15 फरवरी तक चलेगा। इस क्रम में वे 29 जनवरी को कैमूर, 01 फरवरी को सुपौल, 02 फरवरी को सहरसा, 03 फरवरी को अररिया, 04 फरवरी को किशनगंज, 05 फरवरी को कटिहार, 06 फरवरी को बांका एवं 07 फरवरी को मुंगेर, लखीसराय और शेखपुरा, 10 फरवरी पूर्णिया एवं मधेपुरा, 11 फरवरी को रोहतास (सासाराम) एवं औरंगाबाद, 12 फरवरी को गोपालगंज एवं पूर्वी चंपारण (मोतिहारी), 13 फरवरी को भागलपुर एवं जमुई, 14 फरवरी को मुजफ्फरपुर एवं समस्तीपुर और 15 फरवरी को बेगूसराय एवं पटना में रहेंगे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के राजनीति में सबसे पहले “विकास यात्रा”, उसके बाद से “धन्यवाद यात्रा”, “प्रवास यात्रा”, “विश्वास यात्रा”, “सेवा यात्रा”, “अधिकार यात्रा”, “संकल्प यात्रा”, “सम्पर्क यात्रा”, “निश्चय यात्रा”, “समीक्षा यात्रा”, “जल जीवन हरियाली यात्रा”, “समाज सुधार यात्रा” करने के बाद, अब “समाधान यात्रा” पर निकले हुए है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी यात्रा के दौरान योजनाओं की धरातल पर क्या स्थिति है को देख रहे है। साथ ही वह चिह्नित समूहों के साथ बैठक भी कर रहे है और वहां की समस्याओं के बारे में जान रहे है। इसके बाद वह जिला स्तरीय समीक्षा बैठक भी करेंगे, जिसमें जिले के प्रभारी मंत्री और वहां के निवासी मंत्री तथा मुख्य सचिव, डीजीपी और संबंधित पदाधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा अन्य संबंधित मंत्री और पदाधिकारी बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ेंगे। इन बैठकों में स्थानीय सांसद, विधायक, विधान पार्षद अपने स्वेच्छा से भाग ले सकेंगे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी यात्रा के दौरान लोगों से जान रहे है कि उनकी समस्याएं क्या हैं। जो भी काम हुए हैं, उनकी आज की तिथि में क्या स्थिति है को जान रहे है और साथ ही यहां क्या कमी रह गई थी और कौन सी कमी है, इसको भी वह देख रहे है।

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 28 जनवरी को ‘समाधान यात्रा’ के क्रम में खगड़िया जिले में विभिन्न विभागों के अंतर्गत चल रही विकास योजनाओं का जायजा लिया। इस दौरान अलौली प्रखंड के रौन में राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय का शिलापट्ट अनावरण करने के पश्चात् राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय के परिसर एवं भवन का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय का भवन काफी अच्छा बना है। इसे मेंटेन रखें। परिसर में पौधारोपण कराएं। जल निकासी भी ठीक रखें।

लोगों की माने तो नीतीश कुमार की “समाधान यात्रा” से कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है। उनके भाषण में सालों साल तक एक ही बात दोहराई जाती है। जिसमें बालिका साइकिल वितरण, पोशाक वितरण योजना, नशा मुक्ति मुद्दा, दहेज हटाओ मुद्दा आदि शामिल रहता है। मिलाजुला कर कहा जाये तो नीतीश कुमार कोई न कोई मुद्दा खड़ा कर, उसे अपने केन्द्र में रखकर, उसी के सहारे संपूर्ण राजनीतिक रणनीति तैयार करते हैं। उदाहरण के रूप में जाना जा सकता है कि जैसे एक अच्छा बैडमिंटन खिलाड़ी, अपने कोर्ट का सेंटर पॉइंट बनाता है और वही से उछल उछल कर चारों ओर कॉर्क को स्ट्रोक करता रहता है। ठीक उसी प्रकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह यात्रा भी इसी रणनीति का हिस्सा है जिस प्रकार वे इस यात्रा से पूर्व 13 यात्रा कर चुके है।

देखा जाय तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब से राजद से हाथ मिला कर सरकार बनाई है तब से सियासी स्थिति में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है और दिनों दिन हो रहे है। लगता है कि इसी मायने में संपूर्ण सियासी परिस्थिति को विकेंद्रित करने के लिए ही “समाधान यात्रा” की योजना है अन्यथा “समाधान यात्रा” के कार्य योजना में कुछ नयापन नहीं है। क्योंकि जिस प्रकार वे जिलाधिकारी एवं पदाधिकारियों से वार्ता कर, विकास कार्यो का निरीक्षण कर, थोड़े बहुत हिदायत के साथ क्लीन चिट दे रहे है, यह पूरी यात्रा मात्र औपचारिकता पूरी होती लग रही है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहीं भी यह नहीं देख रहे है कि किसी नल में पानी है या नहीं। पानी टंकी सही है या नहीं। बोरिंग सही है या नहीं। तो यह “समाधान यात्रा” कैसी? केवल समाधान यात्रा का मुख्य उद्देश्य सियासी मामलों को विकेन्द्रित कर विपक्ष की रणनीति को कमजोर करने का तो नहीं है, क्योंकि उसमें वह काफी सफल होते नजर आ रहे है। इस बात का प्रमाण नीतीश कुमार के बयानों से ही मिलता है, जो अभी तक के “समाधान यात्रा” में घूम फिर कर एक ही बातें कहीं है कि हम आए हैं नजदीक से देखने के लिए समस्याओं को, गरीबी को, समाधान निकालने के लिए, लेकिन मुख्यमंत्री जिलों में घूम जरुर रहे है, स्थानीय अधिकारियों के साथ बैठक भी कर रहे है, निरीक्षण भी कर रहे है लेकिन सभी कहते है कि केन्द्र से हमें सहयोग नहीं मिल रहा है, जबकि राज्यों का समान विकास उनकी जिम्मेदारी है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए जो अभी तक नहीं मिला है। इस तरह का केन्द्र का रोना रोने में जो उनका अकाट्य तर्क दिखता है वह यह है कि जब तक राज्य का विकास नहीं होगा देश का विकास नहीं हो सकता है।

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