जनपथ न्यूज डेस्क/पटना

4 सितंबर 2022

भारतीय जनता पार्टी को 2024 के आगामी लोकसभा आम चुनाव में 50 पर समेटने का दिवास्वप्न देखने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2014 के हश्र को भी याद करना चाहिए, जब जदयू 02 सीटों पर सिमट गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही प्रभाव था कि जदयू 2 से 16 सीट पर आ गयी।

उन्होंने कहा कि वस्तुतः मुख्यमंत्री व्यक्तिगत स्वार्थ और महत्वाकांक्षा के समुद्र में गोते लगा रहे हैं और जब व्यक्ति निजी स्वार्थ के चश्मे से चीजों को देखता है तो उसे हकीकत नजर नहीं आती। अवसरवादी नीति और सिद्धांतों के कारण दो राज्यों में जिनकी अपनी पार्टी अस्तित्व समाप्त हो गया, वे 2024 में विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं। जनता बखूबी जानती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विराट् व्यक्तित्व के सामने विपक्ष का कोई उम्मीदवार उनके बराबर व्यक्तित्व का नहीं है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेताओं के बयान से भी नीतीश कुमार को विपक्षी पार्टी के साझा उम्मीदवार घोषित किए जाने के मंसूबे पर पानी फिर गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आत्ममुग्धता में जी रहे हैं। 2024 तक उनकी पार्टी बचेगी कि नहीं उन्हें इसकी चिंता करनी चाहिए।

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