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भागलपुर में भू-माफियाओं का बढ़ता दबदबा,हथियारों के बल पर हो रहा मिट्टी का खनन

*नहीं हो रही कोई ठोंस कार्रवाई*

जनपथ न्यूज़ डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
11 अप्रैल 2023

भागलपुर : जिले के दियारा इलाके में मिट्टी का अवैध खनन का कारोबार खुलेआम हो रहा है। इसमें एक दर्जन से अधिक भूमाफिया सक्रिय है। कसमाबाद, दुधैला, मोतीचक दियारा इत्यादि क्षेत्रों में पोकलेन से मिट्टी की कटाई करायी जाती है। यह मिट्टी हाइवा से थाना पुलिस के आगे से गुजरती है। नवादा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि ने बताया कि भू-माफिया खुले आम कमजोर किसानों के खेत की मिट्टी रात में काट रहे हैं। शिकायत करने पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। भू-माफिया हथियार के बल पर मिट्टी का खनन करते है और बेचते है। हैरानी की बात ये है कि इन सभी बातों कि जानकारी होने के बावजूद पुलिस प्रशासन कोई ठोंस कार्रवाई नहीं कर रही है।

*दर्जनों पोकलेन लगे है मिट्टी खनन करने में*

बहुत बड़े स्तर पर इस काम को किया जाता है। जिसके लिए अधिक संख्या में पोकलेन की आवश्यकता होती है। मिट्टी का अवैध खनन के लिए दियारा में एक दर्जन से अधिक पोकलेन मिट्टी खनन करने में लगे हुए हैं। इस दौरान मिट्टी ढुलाई में सैकड़ों हाइवा वाहन लगे हुए हैं।भूमाफिया को बड़ी-बड़ी कंपनी पोकलेन उपलब्ध कराती है, क्योंकि यह लाखों का कारोबार है। मिट्टी बड़े पैमाने पर ईंट भट्टा और सड़क निर्माण में बेची जाती है। प्रतिदिन लाखों का कारोबार होता है।

*अवैध खनन से बिगड़ रहा गंगा का प्रवाह*

दियारा क्षेत्र के बीचो-बीच अनवरत बहने वाली गंगा का भू-माफिया ने शक्ल और सूरत दोनों बदल दिया। गंगा की धारा को ऐसा तहस-नहस किया कि गंगा को अब पहचानने लायक भी नहीं छोड़ा है। गंगा के दोनों छोर पर मिट्टी और बालू का खनन माफिया कर लिये हैं। गंगा की धारा अब सीधी नहीं रही। किसानों ने बताया कि गंगा में सरकारी जमीन है।
उक्त जमीन का खनन करने से गंगा का पानी तितर-बितर हो रहा है, जिससे किसानों के खेत में बाढ़़ आने के पूर्व ही पानी आ जाता है।

*खनन विभाग का मामला बताकर पुलिस झाड़ लेती अपना पाला*

गंगा की जमीन को काट कर भू-माफिया रोज लाखों का कारोबार करते हैं। दियारा से मिट्टी लेकर हाइवा थाने के आगे से गुजरते हैं।स्थानीय लोगों के अनुसार खनन विभाग और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से मिट्टी का अवैध खनन कराया जा रहा है। एक हाइवा मिट्टी की कीमत तीन हजार रुपये ली जाती है,जबकि बेचने पर 10 हजार रुपये मिलता है। एक बच्चे की मौत शनिवार को होने के बाद ग्रामीण आक्रोशित होकर इस पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।

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