जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
24 जनवरी 2023

भागलपुर : बिहार में शोषितों के सबसे मुखर आवाज रहे शहीद जगदेव बाबू ने वर्षों पहले ही कहा था कि- “सौ में नब्बे शोषित हैं, शोषितों ने ललकारा है, धन-धरती और राजपाट में,नब्बे भाग हमारा है।

दस का शासन नब्बे पर,नहीं चलेगा, नहीं चलेगा…”
श्रद्धेय जगदेव बाबू के इस कथन को कनफूकवा गिरोह का कोई विश्लेषक गलत साबित नहीं कर पायेगा, क्योंकि यह उस दौर की भारतीय राजनीति, समाज और व्यवस्था की एक कड़वी हकीकत थी। आज स्थिति में जो बदलाव आया है, उसके लिए जगदेव बाबू जैसों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। जगदेव बाबू की राह पर चल कर लालू प्रसाद जी ने अपने पहले कार्यकाल में सामाजिक बदलाव का बिगुल फूंका था। पिछड़े-दलितों के बच्चे स्कूल से कॉलेज तक पहुंचने लगे।
एक दिन पहले बिहार सरकार के मंत्री आलोक मेहता जी मेरे गांव से सटे काशिल गांव में जगदेव बाबू के शताब्दी वर्ष जयंती समारोह को लेकर जनसंपर्क के क्रम में अपनी बात रख रहे थे। वहां उन्होंने जगदेव बाबू के उपरोक्त नारे ‘सौ में नब्बे शोषित’ को कोट करते हुए कहा कि देश से अंग्रेज तो चले गये, लेकिन 10 प्रतिशत लोगों ने व्यवस्था को हथिया लिया है। ये 10 प्रतिशत वे लोग थे, जो अंग्रेजों के आगे- पीछे करते थे। इस बयान को कनफूकवा गिरोह ने 10 प्रतिशत इडब्ल्यूएस आरक्षण पाने वालों से जोड़ दिया। जिस समय की बात आलोक जी कर रहे थे, उस समय ई आठ लखिया गरीब सवर्ण आरक्षण कहां आया था…?
आलोक मेहता बोले आन और कौआ लेकर उड़ गया कान। ऊपर से कुछ आंखतिरवा प्रवक्ता भभुआने लगे हैं। आलोक मेहता जी बिहार के पढ़े-लिखे,समझदार और शालीन नेताओं में से एक हैं। उनका राजनीतिक जीवन व्यवहारिक कुशलता के साथ विचारों के प्रति इमानदारी बरतते हुए बिता है। उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है, उड़ता तीर अपने ऊपर लेना छोड़ दीजिए बंधु लोग। बाकी तो जो होना है,वह तो होकर ही रहेगा।

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