बिहार सरकार की दोहरी नीति का मार झेल रहे बाहर फंसे मजदूर व कोटा के छात्र 

विकास सिंह बड़हियावाले

पटना, 29 अप्रैल 2020 : लॉकडाउन के दौरान कोटा में फंसे बिहार के छात्रों को वापस लाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इसको लेकर विकासशील इंसान पार्टी ने प्रदेश की नीतीश सरकार पर हमला बोला है और कहा कि बिहार सरकार की दोहरी नीति का मार आज कोटा में फंसे बिहार के मेधावी छात्र और दूसरे राज्‍यों में फंसे मजदूर झेल रहे हैं। इस बाबत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सवर्ण प्रकोष्‍ठ के अध्‍यक्ष विकास सिंह बड़हियावाले ने कहा कि जब उत्तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकार अपने बच्‍चों को कोटा से वापस अपने घर ले जा सकती है, तो बिहार सरकार क्‍यों नहीं।

विकास सिंह बड़हियावाले ने कहा कि असंवेदनशील,निकम्मी और क्रूर बिहार सरकार की प्रशासनिक विफलता के कारण आज 25 लाख अप्रवासी बिहारीवासी बाहर फंसे हैं। ये कितना दुर्भाण्‍यपूर्ण है कि सरकार की संवेदनहीनता के खिलाफ जहां एक ओर कोटा में कुछ छात्र अनशन पर बैठे थे, वहीं विजयवाड़ा में फंसी बच्चियों का रो – रो कर मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार लगाने वाला वीडियो वायरल हुआ था। आखिर क्‍यों बिहार सरकार 35 दिन बाद भी उन्हें वापस बुलाने की कोई समग्र योजना व वैकल्पिक उपाय नहीं पाई है। हम सरकार से मांग करते हैं कि संकट की इस घड़ी में निर्दयी बनें और उन्‍हें लाने का कोई उपाय करें।

उन्‍होंने कहा कि सरकार दावा करती है कि उनकी ओर से अब तक लाखों लोगों को एक हजार रूपये उनके अकाउंट में भेजे, लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है। सबसे पहले तो इसके लिए जारी एप की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि गरीब – मजदूर इसको एक्‍सेस नहीं कर पा रहे हैं। दूसरा कि कई मजदूरों के पास आज भी सिर्फ वाइस कॉल वाला फोन है। वे इसका लाभ कैसे उठा पायेंगे।

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