अपना सामान बेचकर भाग रहे बिहारी

जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
5 मार्च 2023

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को विधानसभा में खडे होकर ये कहते देखे गए कि तमिलनाडु में बिहारियों के साथ कुछ गलत नहीं हो रहा है। भाजपा और भाजपा प्रायोजित मीडिया पूरी तरह अफवाह फैला रही है। दरअसल, आरोप ये लग रहा है कि जिस समय तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले किये जा रहे थे,उसी वक्त तेजस्वी यादव चार्टर प्लेन से चेन्नई जाकर तमिलनाडु के सीएम का बर्थ डे मना रहे थे।
*जनपथ न्यूज** के भागलपुर ब्यूरो चीफ होने के नाते मैंने तमिलनाडु में काम करने वाले कई मजदूरों और उनके परिजनों से बात की है…पढ़िये क्या कह रहे हैं वे लोग!

*सामान बेचकर भागे बिहार*

दरअसल, मैं विवाह समारोह में शामिल होने वैशाली के देसरी गांव गया हुआ था, वहां फुर्सत के क्षणों में मैंने तमिलनाडु से भागकर आए कुछ मजदूरों का पता लगाया और फिर मुलाकात कर उनसे बातचीत भी की,पेश है उसके अंश…
गौरतलब हो कि तमिलनाडु से बिहार के वे मजदूर जान बचाकर पहले धनबाद पहुंचे, वे धनबाद-एलेप्पी एक्सप्रेस से भाग कर आये और फिर धनबाद से रांची तत्पश्चात वहां से वैशाली के देसरी स्थित वे लोग अपने घर पहुंच गए हैं। देसरी गांव के चार मजदूर इस रास्ते अपने घर पहुंचे चुके हैं। उनकी आंखों में खौफ साफ- साफ और स्पष्ट दिख रहा है। वापस लौटने वाले मजदूर रोनित ने बताया-वह वहां पर एक कपड़ा मिल में काम कर रहा था। उन्होंने बताया कि 20 दिन पहले से ही वहां माहौल खराब होने लगा था, जिसे देखने से लगा कि अब जान नहीं बचेगी तो भागकर वह यहां आ गये हैं। उसका भाई और दो चचेरे भाई अभी भी वहां फंसे हुए हैं। हमारा वहां पर बाइक औऱ दूसरा सामान भी है। वे इन सामानों को बेचकर बिहार लौटेंगे। उन्होंने बताया कि उसका पूरा परिवार दहशत में जी रहा है।

*घर पूछ कर हो रही पिटाई*

रोनित ने बताया- 24 फरवरी की बात है। हमलोग बिहार के मजदूर बस से मिल में ड्यूटी के लिए जा रहे थे। रास्ते में प्लाई बस स्टैंड पर तमिल युवकों का झुंड खडा था। उन लोगों ने बस रूकवाया और हम लोगों से पूछा कि कहां के रहने वाले हो,हमलोगों ने अपना घर बिहार बताया तो हमें गालियां दी गयी और धमकी भी दिया गया। वे कह रहे थे कि तुम लोगों के कारण हमारा मजदूरी कम हो गया है। तुम लोगों को काम नहीं करने देंगे। उनके धमकाने के बाद हमलोग रात भर डरे हुए रहे। रात में ही ट्रेन का टिकट बनवाया और एक दिन बाद दोपहर के डेढ़ बजे वहां से निकल गये। उन्होंने बताया कि वहां पर दिन में हमले कम हो रहे हैं, ज्यादा हमले शाम के बाद ही हो रहे हैं।
देसरी के मजदूरों ने बताया कि बीरापांडे इलाके में भी बिहार के मजदूर रह रहे हैं। वह जगह तमिलनाडु के अनपुरपालियम के टिकेरी मिल से आठ-दस किलोमीटर की दूरी पर है। वहां पर सारे बिहारियों में दहशत है। इन मजदूरों ने बताया कि तमिलनाडु के अम्मानगर, अंगेरीपालियम और पिचमपालियम में भी माहौल बहुत खराब है।

वैशाली जिले के महुआ प्रखंड और आस-पास के गोविंदपुर, अख्तयारपुर और छितरौली जैसे गांवे के दो दर्जन मजदूर तमिलनाडु से वापस अपने घर लौट चुके हैं।उनमें खौफ इतना है कि वे बिहार आने वाली सीधी ट्रेनों से न आकर दूसरी ट्रेनों से भाग रहे हैं। इन गावों में मजदूरों के परिजनों ने बताया कि बिहार आने वाली ट्रेनों को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। उसमें सवार हिंदी भाषियों की पहचान कर स्थानीय लोग उन्हें पीट रहे हैं।
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली और आसपास के आधा दर्जन गांवों में भारी बेचैनी है। इस इलाके के ढेर सारे लोग तमिलनाडु में मजदूरी करने गये थे। तमिलनाडु में मौजूद कई लोगों के मोबाइल फोन बंद आ रहे हैं।सुगौली के बगल के निमुई, बेलइठ, बिशुनपुरवा जैसे गांवों के साथ- साथ इसी प्रखण्ड के कैथवलिया,भवानीपुर, गोड़ीगांवा जैसे गांवों के लोग बड़ी संख्या में तमिलनाडु के मिलों में काम करते हैं। जब से वहां हिंसा की खबर आय़ी है तब से घर के लोग लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं पर ज्यादातर लोगों से संपर्क नहीं हो नहीं रहा है।
सुगौली के सुगांव के उपेंद्र राम तमिलनाडु के तिरपुर राइस मिल में काम करते हैं। उन्होंने फोन पर बताया कि वे लोग जहां रह रहे हैं, वहीं पर सबसे पहले हिंसा की शुरूआत हुई है। हर रोज बिहारियों को पीटा जा रहा है। उपेंद्र राम ने बताया कि कोई भी मजदूर डर से मिल से बाहर नहीं निकल रहा है। मिल मालिक ने खाने-पीने का सामान दिया है, लेकिन अगर बाहर निकले तो फिर जान खतरे में है। उपेंद्र राम ने बताया कि वे लोग दिन में अपना मोबाइल बंद रख रहे हैं। डर लगता है कि हमलावर मोबाइल के सहारे वहां पर नहीं पहुंच जाये। किसी को घर में बात करनी होती है तो देर रात कॉल कर रहे हैं। तमिलनाडु के जोलाब,नामकल,कांगियन, मदुरई, सेलम जैसी जगहों पर बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर डर से कैद हुए पड़े हैं।

तमिलनाडु कमाने गये मजदूरों के परिजनों ने रो-रोकर वहां का हाल बताया। सुगौली और आस-पास के गांवों की प्रभा देवी, कौशल्या देवी, रजनी देवी, शालो देवी जैसी महिलाओं ने बताया कि उनके पति या बेटा पुत्र तमिलनाडु में कमाने गए हैं। अब उन्हें फोन कर रहे हैं लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। मोबाइल बंद मिल रहा है। कौशल्या देवी का बेटा तमिलनाडु में है। उन्होंने बताया कि बेटे को फोन किया तो दो-तीन बार घंटी बजी लेकिन फोन नहीं उठा। अब लगातार फोन बंद मिल रहा है।

सुगौली के कई परिवारों ने प्रखंड कार्यालय जाकर अधिकारियों को ये जानकारी दी है कि उनके परिजन तमिलनाडु में फंसे हुए हैं। बीडीओ तेजप्रताप त्यागी ने मीडिया के समक्ष स्वीकारा कि कई लोगों ने गुहार लगायी है।वरीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी जा रही है ताकि वहां से लोगों को सुरक्षित वापस लाया जा सके।

*फुटपाथी दुकानें बंद*

नवादा के कौआकोल के सोखोदेवरा गांव के कई युवक तमिलनाडु में फंसे हैं। उन्होंने फोन पर बताया कि हालात बहुत खराब है। वे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। उनके कई साथियों को पीटा जा चुका है। तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर बिहार के लोग फुटपाथ पर दुकानें लगाते हैं। सारे लोगों ने दुकानें बंद कर दी है। कुछ फैक्ट्री में मजदूर चोरी-छिपे काम कर रहे हैं। क्योंकि फैक्ट्री मालिक चाहते हैं कि उनके यहां काम हो। वे फैक्ट्री में ही खाना और रहने का इंतजाम कर दे रहे हैं।

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