जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना, भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
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8 अक्टूहर 2022
भागलपुर : बस इतनी सी बात है, हम कलम के साथ हैं और वो तलवार के साथ है। संघर्ष का मौसम था, आजादी कि लड़ाई थी, किसी के गले फांसी तो किसी के हाथों में माफी थी।
इस दरमियान हमें गांधी और गोडसे दोनों में से किसी एक को चुनना था, हमने गांधी को चुना; क्योकि सत्य और अंहिसा के मार्गों पर हम सबको चलना था। आज का जो समय है, ठीक उसी दोनों विचारधाराओं में से किसी एक को चुनने की बारी है और आज भी हमने गांधी को ही चुना है। आज भी हमारे लिए शांति का मार्ग सबसे उत्तम मार्ग है। आज भी हमारे लिए सत्य का मार्ग सर्वोच्च स्थान के लिए प्रतिष्ठित है। आज भी गांधी हमारे अंदर जीवित है। आज भी गांधी हमारे लिए पूजनीय, वंदनीय और आदरणीय है।
कुछ दिन पहले आरएसएस का स्थापना दिवस था और गोडसे को मानने वाले लोगों के मुखिया ने भेदभाव और रोजगार पर कुछ बातें कही थी, जिसका जिक्र हम आगे करेंगे। फिलहाल उनके इतिहास पर एक नजर डालते हैं। जब देश के सपूतों का लहू अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उबाल मार रहा था, तब मनुस्मृति को मानने वाले लोग जेल से माफी का पत्र लिख रहे थे। जब देश के सपूत वीरों की भांती लड़ रहे थे, तब ये लोग माफी वीर बनकर अंग्रेजों के साथ दे रहे थे। जिन माफी वीरों का देश की आजादी में कोई योगदान नहीं है, वो इस देश की कीमत आखिर क्या समझेंगे ? आज देश की संपतियो को बेचकर क्या हालत कर दी है इन लोगों ने, इसे न केवल हम अनुभव कर आंखों से देख रहे हैं, बल्कि इनके दंश को भी हम और हमारे होनहार बच्चे भुगत भी रहे हैं।
बिहार के उज्जवल भविष्य उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि भाजपा कि सरकार “आंगन बेचकर घर चला रही है।” उन्होंने बताया था कि ये जो माफी वीर लोग रोजगार पर ज्ञान दे रहे है, वही लोग 2014 मे “हर साल 2 करोड़ नौकरी देने के वायदों” के साथ सरकार में आये थे। इस सदी में भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी/रोजगार ही नहीं मिलेगा तो आखिर क्या मिलेगा? कितने आराम से ये लोग बोलते हैं भाई “कि समाज में सबको रोजगार नहीं दे सकते हैं।” क्या मजाक है, भाई! जो लोग आपके भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं, क्या उन्हें सचमुच ये नहीं पता कि वे हिन्दुस्तान के भविष्य से भद्दा खिलवाड़ कर रहे हैं।
इसके पीछे की इनकी असली मंशा को समझिए। ये चाहते हैं कि आप रोजगार/नौकरी से दुर रहकर बस इनके मनुस्मृति वाले एजेंडे में शामिल होकर अपना और अपने बच्चों का भविष्य बर्बाद कीजिये। आपसे ये झूठे राष्ट्रवाद और सांप्रदायिक्ता का ब्यापार कराना चाहते हैं। आपके हाथों मे कलम कि जगह तलवार पकड़ाना चाहते हैं। बस इनके झूठ-फरेब का प्रचार कीजिए और अपना आज और कल तबाह कीजिए। चंद मुठ्ठी भर माफी वीर लोग आपको मानसिक गुलाम बनाना चाहते हैं। इनके बच्चे तो विदेश मे पढ़ रहे हैं,कोई गोवा में रेस्टोरेंट चला रहा है, तो कोई 60 हजार करोड़ के बीसीसीआई का सचिव बनकर अपना और अपने सात पुष्तों के भविष्य को गारंटी के साथ सुरक्षित कर रहा है। बाकी इनके मित्रों का हाल तो सर्वाविदित है ही।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के कुशल नेतृत्व वाली “महागठबंधन की रोजगार वाली सरकार के कर्तव्य निर्वहन” से ये लोग डरे हुए हैं। यह सरकार जनसरोकार को कर्तव्य मानकर जनहित में नौकरी/रोजगार देकर आपके भविष्य को उज्जवल और सुरक्षित बना रही है। इसकी खबर पूरे भारत में फैल चुकी है, वरना मनुस्मृति को मानने माफी वीर लोग अपनी संस्था के स्थापना दिवस समारोह में नौकरी/रोजगार की चर्चा क्यों करेंगे? पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है कि जब बिहार जैसा राज्य 20 लाख नौकरी/रोजगार दे सकता है, तो बाकी लोग क्यों नही दे सकते। इनको तो डर कर माफी मांगने की आदत है, एकबार फिर से ये डर चुके हैं। ये लोग पिछड़े-दलित-गरीब के राज को बर्दाश्त ही नहीं कर पा रहे हैं। नौकरी/रोजगार की शुरूआत क्या हुई है, ये माफी वीर लोगों का सिंहासन डोल रहा है इसलिए तो आपको दिग्भ्रमित करने के लिए बिहार आए थे और अब लगातार आने की घोषणा किये हुए हैं।
आपको और हमें अब हर हाल में आदरणीय मुख्यमंत्री नितीश कुमार और आदरणीय यशस्वी उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के दिखाये रास्तों पर चलना है। इन्हीं के साथ अब अपने समाज को संभालकर खुद को भी संभालना है। फिर एक दिन धीरे-धीरे यह घना अंधेरा छटेगा और प्रकाश ही प्रकाश होगा। आपके जीवन में बेशुमार खुशियां होगी और तब आपका जीवन सुखमय होगा और तभी अच्छे दिन की परिकल्पना साकार होगी और तब हमसब जीत जायेंगे, मिलकर मुस्कुराएंगे और आपका भविष्य उज्जवल होगा, मिलकर तेजस्वी बिहार बनायेंगे।