पटना। पूर्वांचल महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र कुमार ने कहा है कि कोरोना संकटकाल,अर्थव्यवस्था की चरमराई स्थिति और करोड़ों लोगों के बेरोजगार हो जाने के बीच भाजपा नेताओं द्वारा वर्चुअल रैली करना ठीक उसी प्रकार है, जैसे श्मसान घाट या कब्रिस्तान में शहनाई बजाना है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज ही नहीं, दुनिया भर के सभी समाज की यह परंपरा रही है कि शोक और मातम के माहौल में नाच-गान या जश्न का कोई कार्यक्रम नहीं होता है, लेकिन सत्ता के नशे में चूर भाजपा नेता कभी केंद्र में सरकार गठन के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जश्न मना रहे है, तो कभी बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सारी मर्यादाओं को ताक पर रखकर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर गरीब, परेशान और बेरोजगार हो चुके लोगों का उपहास करने में जुटे है।
रविन्द्र कुमार ने कहा कि वर्चुअल रैली में भाजपा द्वारा जितनी राशि खर्च की जा रही है, उतनी राशि से हजारों प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी सुनिश्चित हो सकती थी, लाखों जरूरतमंद परिवारों को अनाज और भोजन उपलब्ध कराया जा सकता था। इसके बावजूद भाजपा नेताओं की वर्चुअल रैली को जनता द्वारा खारिज कर दिया गया है। वहि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि अमित शाह की एक वर्चुवल रैली में 72 हजार एलईडी स्क्रीन लगाई गई थी जिसमें 160 करोड़ रुपया खर्च किए गए जो पूरी तरह से अनावश्यक था एवं भाजपा के दम्भ और सामंती सोंच व जनता के प्रति असंवेदनशील होने का परिचायक है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र कुमार व प्रदेश अध्यक्ष आनंद कुमार ने कहा कि छह साल पहले सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेता कांग्रेस शासन में शुरू किये गये मनरेगा योजना का उपहास उड़ाने में जुटे थे, लेकिन आज यही मनरेगा योजना देशभर के करोड़ों श्रमिकों के लिए वरदान साबित हुआ है। बिहार में भी मनरेगा योजनाओं के माध्यम से अभी 6.42लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है, वहीं दस लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।

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