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नीतीश ’बच गए तो काम के नहीं, बचे तो राम के’ तर्ज पर लड़ रहे कोरोना से जंग – ललन

पटना । बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है वहीं सरकार सभी नियमों और कानूनों का ताक पर रखकर मरीजों के इलाज का दावा कर रही है।

अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के बिहार इकाई के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा कि वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) का कहना है कि जो लेाग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, उन्हें घर से अलग क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाए। अगर संक्रमित लोग घर में आइसोलेट किए जा रहे हैं तो इससे संक्रमित के परिजनों तथा आसपास के लोगों के भी संक्रमित होने का खतरा है।

कुमार ने कहा कि डब्लूएचओ से उलट बिहार सरकार कोरोना संक्रमितों को होम क्वरंटाइन की सलाह देकर उनसे छुटकारा पाने की कवायद में जुटी है। कुमार कहते हैं कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था देश के अन्य सभी राज्यों से फिसड्डी है। कोरोना की कौन कहे आम बीमारी की दवा भी शायद ही यहां के स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध है।

ऐसे में सरकार को राजधानी पटना में स्थित बिहार संग्रहालय भवन में क्वारंटाइन सेंटर बनाना चाहिए, जिससे कोरोना संक्रमित सभी लोगों को सुरक्षित और इलाजरत रखा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि ’लाॅकडाउन’ लगाकर ही सिर्फ कोरोना पर काबू नहीं पाया जा सकता है, लाॅकडाउन को कड़ाई से पालन भी करवाना हेागा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आवास जब कोरोना से सुरक्षित नहीं रहा है तो गांवों की स्थिति समझी जा सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केवल कोरोना की लड़ाई बैठकों के जरिए ’ बच गए तो काम के नहीं, बचे तो राम के’ तर्ज पर काम कर रहे हैं और स्र्फि उनकी नजर चुनाव पर है।

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