जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
6 मार्च 2023

भागलपुर : शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक,शब-ए-बारात शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात को मनाई जाती है,जो इस साल 07 मार्च 2023 को सूर्यास्त से शुरू होकर 08 मार्च सुबह तक मनाई जाएगी।
शब-ए-बारात इस्लामिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होती है। मुस्लिम समुदाय के लोग रात भर जागकर इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के लिए इबादत,फजीलत, रहमत और मगफिरत की रात मानी जाती है।यानी इस रात में लोग इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।

*शब-ए-बारात का अर्थ*

शब-ए-बारात का अर्थ कुछ इस प्रकार है. शब यानी रात और बारात का मतलब होता है बरी होना। शब-ए-बारात के दिन इस दुनिया को छोड़कर जा चुके लोगों की कब्रों पर उनके प्रियजनों द्वारा रोशनी की जाती है और दुआ मांगी जाती है।इस दिन अल्लाह से सच्चे मन से अपने गुनाहों की माफी मांगने से जन्नत में जगह मिलती है।
मुस्लिम समुदाय के लोग शब-ए-बारात के अगले दिन रोजा रखते हैं।यह रोजा फर्ज नहीं है बल्कि नफिल रोजा कहा जाता है। यानी रमजान के रोजों की तरह ये रोजा जरूरी नहीं होता है, कोई ये रोजा रखे तो इसका पुण्य तो मिलता है, लेकिन न रखे तो इसका गुनाह नहीं होता।

*शब-ए-बारात है मगफिरत की रात : सैयद हसन*

इस बावत खानकाह-ए-पीर शाह दमड़िया के सज्जादानशीं सैयद शाह फखरे आलम हसन ने बताया कि शब -ए- बारात की मुबारक रात को अल्लाह की तरफ से माफीनामे दिए जाने का ऐलान होता है। गुनाहगारों के लिए यह बेहतरीन मौका है कि निदामत के आंसू बहाकर अल्लाह की दरगाह में सच्ची व पक्की तौबा करते हुए वे अपनी बख्शीश और मगफिरत करवा लें।
सैयद हसन ने कहा कि इस मुबारक रात में ईमान वालों को चाहिए कि वह रात को ईबाबत नमाज तिलावत और जिक्रोअजगार में वक्त गुजारें और हर ऐसे काम से खासकर आतिशबाजी से पूरी तरह परहेज करें! इसके साथ ही किसी को कोई तकलीफ ना पहुंचे इसका पूरा ख्याल रखें। उन्होंने कहा कि होली का पावन त्यौहार भी साथ ही साथ मनाया जाएगा, इसलिए चाहिए कि हम सब सदभावना पूर्वक एक दूसरे का आदर व सम्मान करते हुए त्योहारों की खुशियां बाटें।

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