जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
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9 दिसंबर 2022

भागलपुर: बाजार में नयी कतरनी चूड़ा की खुशबू फैलने लगी है। इसके साथ ही अन्य किस्म के धान का बना चूड़ा भी बाजार में आ चुका है। कम मात्रा में आयी नयी फसल के कारण यह महंगे हैं। मालभोग चूड़ा 120 रुपये, तो कतरनी चूड़ा 100 से 150 रुपये किलो तक बिक रहा है। पिछले साल की अपेक्षा 40 से 50 रुपये किलो तक दाम में वृद्धि हुई है।

हरे धान का चूड़ा तैयार करवा रहे किसान : चूड़ा कारोबारी चंदन विश्वास ने बताया कि नये धान की फसल अभी खेत से निकल रहे हैं. पूरी तरह से इसकी तैयारी नहीं हुई है। हरे धान का लोग चूड़ा तैयार करा रहे हैं। यह चूड़ा अधिक दिनों तक नहीं टिकता। इसी कारण लोग कम मात्रा में हरे धान का चूड़ा तैयार करा रहे हैं। कम मात्रा में तैयार चूड़ा की मांग बढ़ गयी। कम मात्रा में उपलब्धता और अधिक मांग के कारण अभी इसका भाव आसमान पर है। दूसरे चूड़ा कारोबारी रंजीत झुनझुनवाला ने बताया कि उनके यहां 100 से 120 रुपये तक नया कतरनी चूड़ा उपलब्ध है। हरा चूड़ा 120 रुपये में बेचा जा रहा है। यह कम मात्रा में उपलब्ध है। चंदन विश्वास ने बताया कि सोनम व संभा चूड़ा 45 से 60 रुपये तक उपलब्ध है। जो कतरनी की तरह थोड़ा छोटा होता, उसे 60 रुपये तक बेचा जा रहा है।

जैविक कतरनी 170 रुपये किलो तक बिका: कतरनी उत्पादक संघ से जुड़े मनीष सिंह ने बताया कि पिछले साल से ही जैविक कतरनी की मांग बढ़ गई है। इस बार सुखाड़ को देखते हुए कतरनी का उत्पादन भी कम हुआ। जबकि अन्य धान से अधिक उपज हुई है। हरा जैविक कतरनी चूड़ा 170 रुपये किलो तक बिका। अब 150 रुपये किलो में बिक रहे हैं। पिछले साल 100 से 110 रुपये किलो तक बिका था। वहीं दूसरे कतरनी उत्पादक संघ से जुड़े जगदीशपुर के किसान राजशेखर ने बताया कि जगदीशपुर में सुखाड़ का प्रकोप अधिक था। इससे यहां अधिक देर से कतरनी की खेती हुई। हालांकि, अब कतरनी धान की कटनी शुरू हो गयी है। बाजार में अधिक मुनाफा कमाने के लिए हरा चूड़ा की बिक्री शुरू हो गयी। हालांकि, कम दाम में मिल रहे कतरनी चूड़ा में मिलावट है। अधिकतर चूड़ा कारोबारी मिलावट की बात स्वीकार करके ही कम दाम में कतरनी चूड़ा बेच रहे हैं। ऑरिजनल कतरनी 120 से 150 रुपये किलो तक बेच रहे हैं।

कतरनी व मालभोग में टक्कर : दूसरे चूड़ा कारोबारी ने बताया कि मालभोग का चूड़ा सालों भर नहीं बिकता है। नयी फसल का चूड़ा ही स्वादिष्ट होता है। इसलिए इसका भाव कतरनी से भी महंगा रहता था। इस बार कतरनी व मालभोग में टक्कर चल रहा है। दोनों की कीमत लगभग बराबर है। कतरनी का उत्पादन कम होने के कारण ऐसा हुआ। वहीं, उन्होंने बताया कि अभी बाजार में सोनम व संभा के नयी फसल का चूड़ा पिछले साल 38 से 42 रुपये किलो तक बिक रहे थे, इस बार 45 से 60 रुपये किलो हो गये है। अधिकतर लोग छोटे दाने वाला चूड़ा ही मांग रहे हैं।

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