जनपथ न्यूज़ डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
22 मई 2023

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्सी पर बने हुए हैं। हवा-हवाई राजनीतिक प्रेक्षकों की नजर में वह बहुत पहले उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपनी कुर्सी देकर जा रहे थे। वह होना नहीं था। अभी हिलने की उम्मीद भी नहीं। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होना है। लेकिन, बिहार के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी में मुख्यमंत्री की कुर्सी की फेंका-फेंकी चल रही है। कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को यह कुर्सी दी और अब सम्राट इसे राज्यसभा सांसद व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के नाम कर रहे हैं। भाजपा में तय क्या है, यह जानने से पहले जानें कि कैसे ऑफर आया और कैसे ट्रांसफर हुआ।

*सम्राट के नाम की चर्चा शुरू यहां हुई*

बिहार में सीएम की कुर्सी पर नीतीश कुमार विराजमान हैं। दूसरी तरफ, भाजपा में इस कुर्सी की चर्चा उसी दिन से शुरू हो गई, जब बिहार विधान परिषद् में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी को सांसद डॉ. संजय जायसवाल की जगह प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। स्वागत में पोस्टर लगे, जिनमें सम्राट चौधरी को बिहार का योगी बताया गया। पोस्टर आधिकारिक नहीं था, क्योंकि अपेक्षाकृत बहुत छोटे कार्यकर्ता ने उत्साह में यह लगवा दिया था।

*गिरिराज सिंह ने इस तरह लगाई मुहर*

सम्राट के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद पोस्टर में जो हुआ, उसपर बिहार भाजपा के दिग्गजों की प्रतिक्रिया नहीं आई। इतना ही कहा गया कि भाजपा में कई लोग सीएम बनने लायक हैं। लेकिन, इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने संसदीय क्षेत्र बेगूसराय में सम्राट चौधरी के स्वागत समारोह में यह नारे लगवाकर समां बांध दिया- “मैं देख रहा हूं सम्राट चौधरी जिस दिन से अध्यक्ष बने हैं, नारे लग रहे हैं सम्राट चौधरी बिहार का? बिहार का? बिहार का? बिहार का?” इसपर जवाब मिला- “योगी है” और “मुख्यमंत्री हो”। मतलब, साफ तौर पर प्रोजेक्ट कर दिए गए सम्राट चौधरी।

*गिरिराज की गैरहाजिरी में ‘पद’ ट्रांसफर*

शनिवार को भाजपा की बिहार प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह नहीं आए और उनकी गैरहाजिरी में बिहार के मुख्यमंत्री का आभासी यह पद सम्राट चौधरी ने राज्यसभा सांसद व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के नाम कर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने जातीय जनगणना के लिए कानून नहीं बनाने का ठीकरा भाजपा पर फोड़ा था। कहा था कि उस समय वह लोग साथ थे। दरअसल, कानून नहीं बनाने को लेकर सुशील कुमार मोदी राज्य सरकार को जातीय जनगणना रुकने का दोषी बता रहे थे। चूंकि, मुख्यमंत्री का इशारा सुशील मोदी की ओर था, इसलिए सम्राट ने कहा कि जब नीतीश कुमार सबकुछ इन्हीं से पूछकर या इनके बताए जाने पर करते हैं तो अपना पद इन्हें ही दे दें।

*लेकिन,भाजपा में तो यह तय ही मानिए*

पिछले नौ साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अमित शाह और देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नरेंद्र मोदी के बैठने के बाद से एक परंपरा स्थापित हो गई है- कोई संभावित चेहरा मुख्यमंत्री नहीं बनता। यह कई राज्यों में साबित हो चुका है कि जिसकी चर्चा चली, उसकी कुर्सी नहीं। भले ही भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा बन गए हों, लेकिन परंपरा नहीं बदली। यूपी में योगी आदित्यनाथ न चुनाव लड़े थे, न सीन में थे। अचानक सांसदी छुड़वा कर मुख्यमंत्री बनाए गए। बिहार में जब नीतीश कुमार को 2020 के चुनाव के बाद भी मुख्यमंत्री बनाने पर भाजपा अटल रही तो उप मुख्यमंत्री को लेकर सारी संभावनाओं को दरकिनार कर दो नए चेहरे सामने कर दिए गए। ऐसे उदाहरण भाजपा की कुर्सी वाले बाकी राज्यों में भी सामने आए। इस गणित के हिसाब से देखें तो गिरिराज ने जिन्हें कुर्सी का दावेदार बताया और सम्राट ने जिन्हें पद ट्रांसफर करने कहा, दोनों की संभावना शून्य हो गई है।

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