जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
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18 नवम्बर 2022

भागलपुर/पटना : कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन को टक्कर देने के लिए भाजपा ने पूरी तरह से अपनी कमर कस ली है। पार्टी ने वैश्य समाज से आने वाले केदार गुप्ता को प्रत्याशी बनाने के साथ ही पूरे चुनाव प्रबंधन की कमान विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सम्राट चौधरी को सौंप दी है। इसके साथ ही श्री चौधरी के नेतृत्व में ही उपचुनाव लड़ने का निर्णय लिया हुआ है। श्री चौधरी कुशवाहा समुदाय से आते हैं। ऐसे में महागठबंधन के कुशवाहा प्रत्याशी को शिकस्त देने के लिए भाजपा ने यह रणनीति तय की है। अहम बात यह है कि सम्राट चौधरी के लिए समाज को साधने की जिम्मेदारी बड़ी चुनौती भी है। इसके अलावा सामाजिक स्तर पर समुदाय विशेष को साधने के लिए प्रदेश संगठन से भी अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसमें मुख्य रूप से पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा और प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश वर्मा के अलावा पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष व महामंत्री रहे राजेंद्र सिंह को संगठन के स्तर पर समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं, संगठन के स्तर पर पंचायतवार विधायकों को कैंपेंनिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। संगठन स्तरीय मंडल में पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों को लगाया गया है.विस्तारकों की फील्डिंग बूथ स्तर पर सजाई गई है।

समीकरण पर भाजपा को भरोसा: भाजपा को वर्तमान राजनीतिक समीकरण के कारण कुढ़नी की जनता से ज्यादा उम्मीद है। इसका कारण यह है कि पिछले दो चुनाव से जदयू, जिसके पक्ष में रहा, उस प्रत्याशी की कुढ़नी में हार हुई और यह बातें 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में प्रमाणित हो चुका है। 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू महागठबंधन के साथ था जदयू के मनोज कुशवाहा को भाजपा के केदार गुप्ता ने पटकनी दे थी। वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ) के साथ था। ऐसे में भाजपा के प्रत्याशी केदार गुप्ता महज 712 मतों से राजद प्रत्याशी अनिल साहनी से हार गए थे। अब भाजपा को इस बार कुढ़नी में सत्ता विरोधी समीकरण से लाभ मिलने की उम्मीद है। खासकर व्यवसायी वर्ग के बीच बढ़े आपराधिक घटनाओं को भाजपा भुनाने की तैयारी कर रही है।

साहनी की उपेक्षा को भुनाएगी भाजपा : भाजपा अनिल साहनी के परिवार के उपेक्षा को कुढ़नी में मुद्दा बनाएगी। भाजपा का आरोप है कि महागठबंधन जब राजद के बाहुबली अनंत सिंह, राजबल्लभ यादव, पूर्व मंत्री इलियास हुसैन और शहाबुद्दीन के सजायाफ्ता होने बाद सभी के परिवार पर भरोसा किया था। उपचुनाव में उनके परिवार से प्रत्याशी बनाया था तो फिर अनिल साहनी के परिवार की उपेक्षा क्यों ? साहनी समाज के बीच भाजपा ने इसे मुद्दा बनाने की रणनीति तय की है।

एलटीसी घोटाले में कोर्ट ने सुनाई थी सजा : राजद विधायक अनिल साहनी के खिलाफ कोर्ट ने एलटीसी घोटाले में सजा सुनाई थी। इस वजह से साहनी की सदस्यता चली गई। इसके बाद अनिल साहनी की मांग थी कि परिवार के सदस्य को प्रत्याशी बनाया जाए, पर ऐसा नहीं हुआ। इस वजह से राजद और महागठबंधन से अनिल साहनी परिवार ने दूरी बना ली है।

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