जनपथ न्यूज डेस्क
Written by: गौतम सुमन गर्जना
12 मार्च 2023
भागलपुर : देश की बजटीय व्यवस्था में एक शब्द आता है गिलोटीन,जो फ्रांसीसी भाषा का एक शब्द है। हिंदी में इसके लिए मुखबंद शब्द का इस्तेमाल होता है। छ:-सात दिन पहले 4 मार्च को बिहार विधान सभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में हुए निर्णय से संबंधित एक पत्र प्राप्त हुआ। इसमें कहा गया था कि 10 मार्च को विधान सभा की बैठक नहीं होगी और इस दिन के जल संसाधन विभाग से संबंधित आय व्यय के अनुदान की मांग 24 मार्च को मुखबंद (गिलोटीन) के माध्यम से निष्पादित किये जाएंगे।
इस सूचना में मेरे लिए गिलोटीन नया शब्द था। आम बोलचाल की भाषा में इस शब्द का इस्तेमाल नहीं के बराबर होता है, लेकिन वित्तीय मामलों में इसका इस्तेमाल खूब होता है। इसका शाब्दिक अर्थ समझ से परे था। हमने विधायी मामलों के कई जानकार लोगों से गिलोटीन के बारे में जानने की कोशिश की,लेकिन हर जगह निराशा ही हाथ लगी। गिलोटीन के लिए हिंदी में इस्तेमाल हो रहे शब्द मुखबंद का बजटीय प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है। इसका सामान्य अर्थ यही था कि बिना बहस के ही सदन में किसी भी अनुदान मांग को स्वीकृति प्रदान कर देना। मतलब यह हुआ कि अनुदान मांग के संबंध में विस्तृत जानकारी के बिना ही उसे स्वीकृति प्रदान कर देना यानी अंधेरे में माल पर मुहर लगा देना।
विधान सभा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गिलोटीन का जो शाब्दिक अर्थ बताया, वह आश्चर्यजनक था। सामान्य भाषा गिलोटीन यानी मुखबंद का आशय है कि बिना बहस के किसी अनुदान मांग को स्वीकृति प्रदान करना। लेकिन गिलोटीन का शाब्दिक अर्थ है- ठेहा पर रखकर किसी का गर्दन काटना। शायद गर्दन काटने का भावार्थ ही मुखबंद के रूप में लिया गया हो। इसे छोटा करने के संबंध में देखा जाता है।
गिलोटीन का हिंदी अर्थ समझने के लिए हमने शब्दकोष की सहायता ली। गिलोटीन गर्दन काटने का एक उपकरण है। इसका निर्माण फ्रांस में किया गया था। इसका आविष्कार जोसेफ इग्नेस गिलोटीन ने किया था। इसी कारण इस मशीन का नाम गिलोटीन रखा गया है। इसका इस्तेमाल दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड देने के लिए किया जाता था। गर्दन काटने की क्रिया को भी गिलोटीन ही कहा जाता है। संसदीय कार्यवाही में गिलोटीन का इस्तेमाल समय की कटौती के संदर्भ में किया जाता है। सदन की कार्यवाही के दौरान कम समय में अधिक विषयों को निष्पादित करने के लिए स्पीकर वित्तीय मामलों को गिलोटीन कर देते हैं। मतलब यह है कि किसी विभाग की अनुदान मांग को स्पीकर बिना चर्चा के पारित करने की सहूलियत देते हैं और मांग सदन की सहमति से स्वीकृत हो जाती है। यही मुखबंद या गिलोटीन है।