एनटीपीसी और ललमटिया कोलफिल्ड के बीच लूट रहा रेलवे,आखिर कौन करा रहा रेलवे रैक के पार्ट-पूर्जों की चोरी..?

जनपथ न्यूज़ डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
7 जुलाई 2023

भागलपुर : एनटीपीसी कहलगांव और ललमटिया कोयला परियोजना के बीच रेलवे की संपत्ति की लूट हो रही है और कानूनी कार्रवाई के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति की जा रही है। विदित हो कि रेलवे सामानों की लूट सालों से जारी है,मगर एनटीपीसी ललमटिया परियोजना प्रबंधन व सीआईएसएफ समेत सभी जिम्मेदार तमाशबिन बने हुए हैं। इस अनोखे तरह के रेलवे लूट में शामिल असली लोग आज तक बेनकाब नहीं हो पाए हैं। इसको लेकर खासतौर से एनटीपीसी प्रबंधन से जुड़े कुछ लोगों पर न केवल उंगली उठ रही है,बल्कि उन पर गंभीर आरोप भी लग रहे हैं। क्योंकि एक तो लुटेरों के खिलाफ वे सख्त कार्रवाई करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं और दूसरा उनकी लापरवाही से सरकारी कोष की बर्बादी हो रही है। अभी तक करोड़ों रूपए की रेलवे की संपत्ति की चोरी हो चुकी है और एनटीपीसी उतनी ही राशि हरजाने के रूप में रेलवे को भुगतान कर चुका है।

इस बावत अंग प्रदेश की भाषा-साहित्य,सभ्यता-संस्कृति और विरासत के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे अंग उत्थान आन्दोलन समिति,बिहार -झारखंड एवं देश भर में रेल यात्रियों के बीच नशाखोरी के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाने वाली संस्था केंद्रीय रेलवे रेल यात्री संघ ने इस लूट के बारे में प्रधानमंत्री व रेल मंत्री समेत तमाम आलाधिकारियों को पत्र प्रषित कर विस्तृत जानकारी भेजी है। इन द्वय संस्था के अलग-अलग अध्यक्ष गौतम सुमन गर्जना व विष्णु खेतान ने पत्र में बताया है कि बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव स्थित एनटीपीसी में झारखंड के गोड्डा जिले के ललमटिया कोयला परियोजना से कोयला मंगाया जाता है और इसके ढुलाई के दौरान बड़े पैमाने पर कोयले की चोरी तो होती ही है, उसी स्तर पर कोयला ढोने वाले रेलवे रैंक के पार्ट-पूर्जों की भी चोरी की जा रही है। एक -एक बार में तो 10 -10 लाख रुपए तक के पार्ट-पुर्जे चोरी कर लिए जा रहे हैं। एक रेल अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि इसके एवज में साल भर में 50-60 लाख रुपए तक हर्जाने के रूप में कहलगांव एनटीपीसी प्रबंधन मालदा रेल मंडल को भुगतान करता है और यह चोरी सालों से हो रही है।

*एनटीपीसी के रैक के सामानों की चोरी नहीं,उठ रहे सवाल*

उक्त दोनों संस्थाओं ने अपने प्रेषित पत्र में आलाधिकारियों को बताया है कि इस चोरी में एक अनोखी बात यह है कि एक ओर जहां केवल रेलवे रैक के ही सामान लुटे जाते हैं, वहीं दूसरी ओर एनटीपीसी के भी कुछ रैक कोयला ढोने के काम में लगे हुए हैं,मगर उनके सामानों की चोरी नहीं होती है। उनके पार्ट-पुर्जे नहीं खोले जाते हैं। इसको लेकर उक्त द्वय संस्थाओं के अध्यक्ष ने एनटीपीसी प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया है कि जिन रैंको को एनटीपीसी ने रेलवे से भाड़े पर ले रखा है, उनकी हिफाजत में वह गंभीर नहीं होकर,उसे दुधारु गाय बना कर रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया है कि अभी तक जितनी भी चोरियां हुई है,ज्यादातर चोरियों के मामले भी एनटीपीसी प्रबंधन दर्ज नहीं करवाते हैं। इन मामलों को आरपीएफ के लोग दर्ज करते हैं। एनटीपीसी प्रबंधन की उदासीनता का ही यह प्रमाण है कि अभी तक लगातार चोरी जारी है और इसमें शामिल गिरोह कंट्रोल से बाहर हैं।इस प्रेषित पत्र में वर्ष 2023 में हुई चोरियों का हवाला दिया गया है।

ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि कहलगांव एनटीपीसी की भारी भरकम फॉज आखिर कर क्या रही है! जबकि सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ का बटालियन भी कहलगांव में तैनात है। चोरी की भरपाई के लिए एनटीपीसी के कोष से मालदा रेल मंडल को पैसे दिए जाने को सरकारी राजस्व की क्षति बताते हुए उक्त द्वय संस्थाओं ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि एनटीपीसी के लापरवाह पदाधिकारियों के वेतन से हर्जाने की राशि वसूली जाए। उन्होंने ईडी और सीबीआई के निदेशक को भी पत्र लिखा है और कहा है कि इस मामले की विस्तृत जांच कर प्रभावकारी कार्रवाई किये जाएं, नहीं तो चोरी की घटनाएं होती रहेंगी और इस तरह सरकार के खजाने को चूना लगता रहेगा।

*बिना चालान के पीरपैंती से 253 रैक पत्थर बाहर भेजा*

विदित हो कि कहलगांव के बगल में पीरपैंती स्टेशन से बिना चालान के 253 रैक पत्थर बाहर भेजे जाने का मामला भी सुर्खियों में है। यह मामला साहिबगंज के एक हजार करोड़ के अवैध पत्थर घोटाले से जुड़ा हुआ है और इसमें रेल व खानन अधिकारियों की मिली भगत से 253 रैक पत्थर बिना सरकार को राजस्व दिए कारोबारीयो‌ ने बाहर भेजकर बेच दिया है। रांची के ईडी की टीम ने इस मामले को पकड़ा है और सीबीआई ने इसमें केस दर्ज किया है। ईडी ने पिछले दिनों इस मामले में जब मालदा रेल मंडल के एक अधिकारी को बुलाकर पूछताछ शुरू किया तो वह बेहोश होकर गिर पड़े थे। इस मामले में अभी भी छानबीन चल रही है।

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