जनपथ न्यूज डेस्क, दिल्ली
Report: रंजीत कुमार
Editor: राकेश कुमार
25 मार्च 2023

नई दिल्ली: दो दिवसीय डिजिटल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट कॉन्क्लेव 2022 कार्यक्रम का आयोजन 18 और 19 मार्च, नई दिल्ली में हुआ, जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने पब्लिक सेक्टर यूनिट्स के विकास के लिए उन्नत टेक्नोलॉजी के उभरते आयाम पर अपनी बात रखा, देश और विदेश के वक्ता हिंदुस्तान हॉटलाइन न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से जुड़े और भारी संख्या में प्रतिभागी लाइव प्रोग्राम में भाग लिया, जिसका शुभारंभ वरिष्ठ टेक्नोलॉजी वक्ता एवं पूर्व राष्ट्रीय परियोजना अधिकारी चकित स्वरूप एवं इंटीग्रेटेड इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन रिसोर्स (आईआईएचआर) के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार ने संयुक्त रूप से किया l इस अवसर पर चकित स्वरूप ने कहा कि भारत तेजी से 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है इस क्रम में महत्वपूर्ण भूमिका तकनीकी है जितने लोग अधिक तकनीकी कौशल प्राप्त करेंगे उतने ही गतिशीलता अर्थव्यवस्था में आएगी, वर्तमान समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स का है, उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए कृत संकल्प है।

भारत में औद्योगिक क्रांति ना होने के कारण 100 वर्ष पीछे जाने को पलट कर हमें 100 वर्ष आगे ले जाना है भारत को विश्व पटल पर तकनीकी क्षेत्र में अवसर करना है, कार्यक्रम में आईआईएचआर के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार ने कहा कि तकनीकी कौशल और इसका अधिकाधिक उपयोग भारत को आर्थिक पावर बनाएगा और किसान भी डिजिटल तकनीक के माध्यम से अपने उत्पादों को देश के विभिन्न भागों में जहां उचित दाम मिले वहां पर भेज सकेंगे।

टेक्नोलॉजी लीडर अविनाश कुमार ने कहा कि टेक्नोलॉजी के माध्यम से दूषित वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है , डॉ नवीन विरमानी और डॉ जयप्रकाश नारायण द्विवेदी ने तकनीकी कौशल को अहम बताया, दूसरे दिन विद्यासागर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष अनम टी किशोर ने कहा कि पीएसयू में टेक्नोलॉजी के विकास की अपार संभावना है।

जापान के डिंडा प्रमानता ने कहा कि 5G आने के बाद टेक्नोलॉजी में अपार संभावनाएं होंगे जिससे भारत की कंपनियां की अर्थव्यवस्था अच्छी होगी सर्विस नाउ के अधिकारी स्वप्निल सौरभ ने ब्लॉकचेन की उपयोगिता पर जोर दिया और कहा कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी, इस कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षाविद एवं विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के शोधार्थी शामिल हुए।

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