मुख्यमंत्री रहते मुलायम सिंह यादव जब पहुंचे थे भागलपुर के नवगछिया..

*1995 के एक चुनावी सभा में दिया था भाषण*

जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना/भागलपुर
Edited by: राकेश कुमार
11 अक्टूबर 2022

भागलपुर : सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का रविवार को निधन हो गया, उनका निधन की खबर सुनते ही राजनीतिज्ञों के बीच शोक की लहर दौड़ पड़ी। श्री यादव कई बार बिहार के दौरे पर भी आ चुके हैं. वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव अपने प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने भागलपुर जिले के नवगछिया पहुंचे थे। उस वक्त समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजेंद्र यादव थे, जो वर्तमान में आजाद हिंद मोर्चा के बैनर तले विभिन्न मुद्दों पर संघर्षरत हैं।

विशाल मैदान में चुनावी सभा को किया था संबोधित : नवगछिया के कचहरी स्थित विशाल मैदान में उस वक्त मुलायम सिंह यादव ने चुनावी सभा को संबोधित किया था। इस बावत राजेन्द्र प्रसाद यादव कहते हैं कि हेलीकॉप्टर से मुलायम सिंह यादव नवगछिया पहुंचे थे। राजेन्द्र यादव ने बताया कि चुनावी सभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने लोगों से आपसी मिल्लत की अपील की थी। उस वक्त मंडल कमीशन को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म था, जिस पर मुलायम सिंह ने अपना वक्तव्य भी दिया था।मुलायम सिंह बेहद खुश नजर आ रहे थे : राजेंद्र यादव ने बताया कि सभा के माध्यम से उन्होंने एक तरफ मंडल कमीशन के पक्ष में अपना संबोधन दिया तो दूसरी तरफ उन्होंने मंडल कमीशन के नाम पर नफरत की राजनीति करने वाले लोगों का ध्यान गरीब सवर्णों की ओर भी आकृष्ठ किया था। राजेन्द्र यादव ने कहा कि मुलायम सिंह के चुनावी सभा में स्थानीय लोग काफी उत्साहित थे, यह देख मुलायम सिंह बेहद खुश नजर आ रहे थे। उन्होंने बताया कि इस सभा के बाद भी उन्होंने नवगछिया और भागलपुर के बारे में उनसे लंबी बातचीत की थी। राजेंद्र यादव ने कहा कि वर्ष 1995 और 2000 के विधानसभा में गोपालपुर विधानसभा से समाजवादी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया था। व्यस्तता की वजह से वर्ष 2000 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव नवगछिया नहीं आ सके थे।

लोगों के काम के लिए जोरदार पहल करते थे : राजेन्द्र यादव ने कहा कि वर्ष 1995 के बाद मुलायम सिंह यादव देश के रक्षा मंत्री बन गए। जब भी वे नवगछिया के लोगों का किसी भी प्रकार का जायज काम लेकर मुलायम सिंह के पास गए, उन्होंने उस कार्य में जोरदार पहल की। राजेन्द्र यादव ने कहा कि वर्ष 2010 तक वे फोन के माध्यम से लगातार उनके संपर्क में रहे थे। लेकिन जब वे अस्वस्थ हो गए तो उनसे बातचीत संभव नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि आज अचानक उनके निधन की खबर से वह आहत ही नहीं बल्कि मर्माहत भी हुए हैं।

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