*साइबर ठगों ने नौ माह में 33 लोगों के खातों से उड़ा लिये 39 लाख रुपए*

जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
16 अक्टूबर 2022

भागलपुर : साइबर अपराधियों ने 33 लोगों के खाते से 39 लाख 21 हजार रुपये उड़ा लिए। इनमें डीएम, कमिश्नर और डीआइजी स्तर तक के अधिकारी भी शुमार हैं, जिनसे ठगी करने के प्रयास हुए हैं। इधर त्योहारों के सीजन चल रहे हैं और साइबर ठगी के मामलों में इन दिनों इजाफा हुआ है। तीन महीने में ही लोगों से 14 लाख रुपए की ठगी अबतक हो चुकी है।

जनवरी से लेकर सितंबर तक शहरी क्षेत्रों में स्थित पांच पुलिस थानों में दर्ज 33 मामलों के अनुसार साइबर ठगों ने लोगों के बैंक खातों से 39 लाख 21 हजार रुपए उड़ा लिये। ठगी का तरीका भी काफी अलग-अलग है। ठग ने स्थानीय खलीफाबाग की शालिनी जिलोका को चार्टर्ड अकाउटेंट की नौकरी दिलाने का झांसा देकर 10 रुपए इंटरनेट चार्ज पेमेंट करने के लिए लिंक भेजा।
ठगों ने उनके अकाउंट से 43 हजार आठ सौ 59 रुपए उड़ा लिये। बरारी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के निवासी सत्यजीत अस्पताल में भाई के हार्ट अटैक के इलाज का पैसा चुकता करने जाते हैं। लेकिन क्रेडिट कार्ड का पासवर्ड भूलने पर गूगल से एक कस्टमर केयर के नंबर पर कॉल करते ही एक थर्ड पार्टी एप के जरिये एक लाख 46 हजार रुपए ठगों के द्वारा अकाउंट से गायब कर दिया गया। विदित हो कि क्रेडिट कार्ड उपयोग करने वाले सर्वाधिक हो रहे ठगी के शिकार।

आसान नहीं है मामले को दर्ज कराना : थाने में ठगी का केस दर्ज कराना भी आसान नहीं है। इस तरह ठगी के मामलों में पीड़ित को थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मिरजानहाट की रहने वाली पद्मजा भारती ने बताया कि 29 जुलाई को एक लिंक के द्वारा क्रेडिट कार्ड से 19 हजार सात सौ पचास रुपए की अवैध निकासी ठगों ने कर ली थी। पुलिस के उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद 30 अगस्त को मामला दर्ज किया गया।

सिकंदरपुर स्थित दालमिल रोड के कुमार आनंद को मारुति कूरियर कंपनी के नाम से कॉल आया और कहा कि पार्सल डिएक्टिवेट हो गया है। एक्टिवेट करने के लिए पांच रुपए का पेमेंट करना होगा। कुमार आनंद ने पार्सल का कनसाइनमेंट नंबर पूछा, ठग ने नंबर सही बताया। ठग के द्वारा भेजे लिंक पर क्लिक करते ही खाते से 99 हजार गायब हो गए।

एक्सपर्ट व्यू -अनजान लोगों के भेजे गए लिंक नहीं खोलें, हो सकती है ठगी : साइबर एक्सपर्ट सौरभ कुमार बताते हैं कि लोगों को अनजान व्यक्ति के द्वारा दिए गए लिंक को नहीं खोलना चाहिए। अनजान आदमी को किसी भी तरह का पिन नहीं बताएं। लॉटरी के झांसे में नहीं आएं, क्योंकि इन्हीं तरीकों के द्वारा साइबर अपराधी आपके अकाउंट और पासवर्ड इत्यादि की जानकारी लेकर रकम की हेरफेर करते हैं।

*जानिए, कैसे अफसरों के साथ हुआ था ठगी का प्रयास*

केस एक : 25 मई को डीएम सुब्रत कुमार सेन के नाम से फर्जी रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के द्वारा वरीय उप समाहर्ता कोमल किरण के मोबाइल पर व्हाट्सएप से अमेजन पे का लिंक भेजकर ठगी का प्रयास किया गया, लेकिन कोमल किरण ने ठग की मंशा भांपकर उस लिंक पर क्लिक नहीं किया।

केस दो : 6 जून को कमिश्नर दयानिधि के नाम से रजिस्टर्ड फर्जी मोबाइल नंबर से व्हाट्सएप के जरिए डीएम सुब्रत कुमार सेन के मोबाइल पर अमेज़न पे गिफ्ट का लिंक भेजकर ठगी का प्रयास किया गया। ठग ने व्हाट्सएप प्रोफाइल पर भी कमिश्नर का ही फ़ोटो लगा रखा था।

केस तीन : भागलपुर रेंज के डीआईजी विवेकानंद से भी साइबर ठग ने कमिश्नर बनकर ठगी का प्रयास किया। डीआईजी के व्हाट्सएप पर ठग ने कमिश्नर बन पैसे की मांग की। डीआइजी ने मामला समझ में आते ही कहा कि वे ऑनलाइन बैंकिंग उपयोग नहीं करते। उसके बाद ठग ने गूगल पे के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करने को कहा, लेकिन डीआईजी ने ऐसा करने से मना कर दिया।

*डार्क वेब के सहारे होती है ठगी, आईपी एड्रेस ट्रेस कर पाना भी मुश्किल : डीआईजी*

साइबर क्राइम को रोकने के लिए पुलिस की तैयारियों के जवाब में डीआईजी विवेकानंद ने बताया कि पुलिस अपने स्तर से मामलों की जांच करती है। लेकिन अधिकतर मामलों में जिस मोबाइल नंबर का उपयोग ठगी में किया जाता है, वह किसी ऐसे व्यक्ति का होता है जिसका इन सब से कोई लेना-देना नहीं है। फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर सिम खरीद कर लोग ठगी करते हैं। डार्क वेब के सहारे ठगी की जाती है जिसका आईपी एड्रेस भी ट्रेस करना नामुमकिन हो जाता है।

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