गणतंत्र दिवस लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु कार्य करने की प्रेरणा देती है
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 25 जनवरी :: गणतंत्र दिवस हमें संविधान की रक्षा, देश की एकता, अखंडता, सम्प्रभुता, धर्मनिरपेक्षत एवं अन्य उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु कार्य करने की प्रेरणा देती है। आज का दिन हमें राष्ट्रीय नवनिर्माण में पारस्परिक शान्ति, साम्प्रदायिक सद्भाव के साथ राष्ट्र के विकास के लिए उत्प्रेरित करता है। 26 जनवरी, 1950 से लगातार गणतंत्र एवं गणतांत्रिक मूल्यों को प्रौढ़ बनाया गया है।, फिर भी अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए अभी भी लम्बी यात्रा तय करनी है।
महाभारत के अनुसार महाभारत संग्रामकाल में विशाल भूखण्ड पर राजतंत्रीय शासन व्यवस्था राज्यों के अतिरिक्त बहुत से गणतंत्री व्यवस्था वाले राज्य भी थे, जिसमें आग्रेय गणराज्य, मालव गणराज्य, यौधेय गणराज्य, कम्बोज गणराज्य, त्रिगत गणराज्य, प्रश्कन्व गणराज्य, गुरु गणराज्य, दक्ष गणराज्य, औदुम्बर गणराज्य, निसा गणराज्य, अम्बष्ठ गणराज्य, पांचाल गणराज्य, कुरु गणराज्य, शिवि (उसीनर) गणराज्य, मधमत गणराज्य, शूद्रक गणराज्य, हस्तिनायक गणराज्य, आशवायन गणराज्य, आसवकायन गणराज्य, अर्जुनायक गणराज्य, प्रार्जुन गणराज्य, खर्परिक गणराज्य, सनकनिक गणराज्य एवं काक गणराज्य प्रमुख हैं। ये सभी गणराज्य का अस्तित्व पश्चिमोत्तर भारत में बुद्धकाल के बाद तक ही नही, बल्कि ग्रीक मसेडोनियन राजा एलेक्जेंडर के आक्रमण काल तक था।
26 जनवरी को स्वाधीनता की ली गई प्रतिज्ञा व्यर्थ नहीं गई। 1930 से लेकर 1947 तक हर वर्ष 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। स्वाधीनता के बाद 1950 में जब भारत एक सम्पूर्ण प्रभुतासम्पन्न गणराज्य बना तब उसके लिए भी 26 जनवरी का हीं दिन चुना गया। 26 जनवरी, 1950 को भारतीय गणतंत्र की स्थापना हुई और विशाल भारतीय गणतंत्र के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद बने थे। इस प्रकार 26 जनवरी, 1930 को लिए गए स्वाधीनता दिवस की प्रतिज्ञा 26 जनवरी, 1950 में पूरी हुई।
हमारे गणतंत्र में 8 संहित है, जिसमें सम्प्रभुता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, प्रजातंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा है।
इसके अतिरिक्त हमारे गणराज्य को समझने के लिए अधिक स्पष्ट, वैज्ञानिक, वस्तुनिष्ठ एवं आनुभविक विवेचना भी किया गया है। देश के गणराज्य को अंग्रेजी में रिपब्लिक (RIPUBLIC) कहते हैं। रिपब्लिक के प्रत्येक लेटर का अर्थ निम्न प्रकार है- R- रे ऑफ रेनआंसा (पुनर्जागरण की किरण), I- इम्फेसीस ऑन एडुकेशन (शिक्षा पर जोर), P- पिलर ऑफ पौलिसी (नीति के स्तंभ), U- अरज फॉर यूनिटी (एकता के प्रति आग्रह), B- बेस बाई बैलोट (मत का आधार), L- लैम्प ऑफ लिबर्टी (स्वतंत्रता का चिराग), I- आइडिया ऑफ इंडिव्यूडियलिटी (व्यक्तिकता की धारणा), C- कन्सर्न फॉर कॉन्स्टिट्यूशन (संविधान का महत्व)।
देश के गणतंत्र के सम्बंध में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा है कि- “यदि गणतंत्र को विकृत न किया जाय तो वह संसार की सबसे अच्छी चीज बनी रहेगी।” 26 जनवरी हमारे राष्ट्र का एक पुनीत पर्व है। अनन्त बलिदानों, अवदानों की पावन स्मृति को लेकर यह दिन हमारे समक्ष सुरभित भाव से उपस्थित होता है।