तेजस्वी की डिमांड के पीछे छुपी सियासी मंशा ‘डिकोड’

जनपथ न्यूज डेस्क
Reported by: गौतम सुमन गर्जना
Edited by: राकेश कुमार
13 मार्च 2023

पटना/भागलपुर : बिहार की सियासी पीच पर लालू के लाल तेजस्वी यादव की सियासी बैटिंग जारी है। लालू के निर्देश पर तेजस्वी बिहार की राजनीति के माहिर खिलाड़ी बनते जा रहे हैं। उनके परिपक्व सियासी फैसले इस बात की गवाही दे रहे हैं। तेजस्वी हड़बड़ी में और अपने बड़े भाई तेज प्रताप की तरह कोई कदम नहीं उठाते। संयम और समझदारी के मेल जोल से तेजस्वी अपने राजनीतिक कैरियर को नया आयाम दे रहे हैं। सियासी जानकार मानते हैं कि शुरुआत में लालू परिवार एजेंसियों की कार्रवाई को रूटीन कार्रवाई मान रहा था। इसकी गंभीरता का अंदाजा तब लगा जब छापेमारी में करोड़ों रुपये की बरामदगी हुई। इतना ही नहीं ईडी ने यहां तक कहा कि लालू परिवार के पास 600 करोड़ रुपये की आपराधिक संपत्ति का पता चला है। सियासी जानकारों का अनुमान है कि इस मामले में तेजस्वी जेल भी जा सकते हैं। इसलिए तेजस्वी ने नई तारीख की मांग कर खुद को बचाने के साथ परिस्थिति को मैनेज करना शुरू कर दिया है।

*तारीख पर तारीख का क्या है मामला?*

तेजस्वी यादव कथित ‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिए शनिवार को निजी कारणों का हवाला देते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के सामने पेश नहीं हुए। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने तेजस्वी को पहले चार मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह सीबीआई अधिकारियों के समक्ष पेश नहीं हुए थे, जिसके बाद शनिवार को पेश होने को कहा गया। अधिकारियों के अनुसार अब तेजस्वी ने निजी कारणों से नयी तारीख की मांग की है। उन्होंने कहा कि एजेंसी उन्हें पूछताछ के लिए आगे किसी तारीख पर बुला सकती है। सीबीआई ने हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से क्रमश: दिल्ली और पटना में पूछताछ की थी। यह मामला रेलवे में कथित तौर पर नौकरी पाने के लिए लालू प्रसाद के परिवार और उनके सहयोगियों को तोहफे में जमीन देने या सस्ती जमीन बेचने से संबंधित है। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने मामले में आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है और सभी आरोपियों को 15 मार्च को अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा गया है।

*तेजस्वी यादव संभलकर चल रहे हैं?*

सियासी जानकारों की मानें तो तेजस्वी यादव नई तारीख की मांग पहले भी कर सकते थे। तेजस्वी को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी तोड़ने का इंतजार था। शनिवार को मुख्यमंत्री ने इस मामले पर चुप्पी तोड़ी। लालू परिवार का इशारों-इशारों में समर्थन किया। केंद्रीय जांच एजेंसियों पर सवाल खड़े किये। उसके बाद तेजस्वी यादव ने एजेंसियों से नई तारीख देने की मांग की। कानूनी जानकार मानते हैं कि तेजस्वी यादव अभी किसी झमेले में फंसने के मूड में नहीं हैं। उनकी पत्नी गर्भवती हैं। पिता अभी पूरी तरह स्वस्थ्य नहीं हुए हैं। बिहार विधान परिषद का चुनाव हैं। पार्टी को संभालने के साथ बिहार की राजनीति में किसी तरह का अभी खालीपन नहीं देखना चाहते हैं। तेजस्वी को पता है कि उनके जेल जाने के बाद पार्टी और बिहार की जनता में बहुत गलत संदेश जाएगा। उधर, राजद से जुड़े सूत्रों की मानें तो तेजस्वी यादव कोर्ट जाने की प्लानिंग भी कर रहे हैं। विरोधी लगातार उन पर हमलावर हैं। तेजस्वी बाहर रखकर खुद को और विरोधियों से पार्टी को सुरक्षित करने में दिमाग लगाएंगे। तेजस्वी ये भी तय कर लेना चाहते थे कि नीतीश कुमार की मंशा में कोई परिवर्तन तो नहीं हुआ है। उन्हें मुख्यमंत्री के शनिवार वाले बयान से आश्वासन मिल गया। तेजस्वी अब निश्चिंत हैं,इसलिए नई तारीख की मांग कर दी है।

*तेजस्वी के नई तारीख मांगने के पीछे खड़े हैं नीतीश!*

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस तरह की चीज़ें 2017 में भी हुई थी जब वह बीजेपी के विरोधी गठबंधन में थे। यह टिप्पणी कर उन्होंने संकेत दिया है कि वह राजद की इस दलील से सहमत हैं कि प्रसाद और उनके परिवार के खिलाफ सीबीआई और ईडी की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। यह 2017 में नीतीश के रूख से विपरीत है जब वह चाहते थे कि राजद भ्रष्टाचार के आरोपों पर पाक-साफ निकलकर आए। उन्होंने इन अटकलों को भी खारिज किया है कि नीतीश मुद्दे पर जानबूझकर चुप हैं। क्योंकि उन्हें भ्रष्ट राजनीतिक नेताओं का साथ देने पर अपनी ईमानदारी वाली छवि खराब होने की चिंता है। वह महागठबंधन से नाता तोड़ सकते हैं। जिसमें राजद के अलावा कांग्रेस और वाम दल भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मैं क्या कहूं जो लोग प्रभावित हो रहे हैं वे पर्याप्त प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ऐसी चीज़ें 2017 में भी हुई थी जब मैं इस तरफ बीजेपी में था अब मैं फिर से इधर हूं तो ये चीज़ फिर हो रही हैं। नीतीश ने कहा कि मैं बीजेपी के उन लोगों के नाम नहीं लेना चाहता जो समर्थन की पेशकश लेकर मेरे पास आए थे, क्योंकि वह पार्टी में और हाशिए पर जा सकते हैं।

*राहत की उम्मीद में तेजस्वी*

तेजस्वी की नई तारीख वाली मांग पर एजेंसियों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कहा जा रहा है कि हो सकता है उन्हें नई तारीख मिल जाए। जानकार मानते हैं कि नई तारीख मिलने से तेजस्वी कई फ्रंट पर खुद को पहले ठीक करेंगे। तेजस्वी यादव अपने मंत्रालय से जुड़े सभी काम पूरे करना चाहते हैं। तेजस्वी हद तक स्थितियों को लोकसभा और विधानसभा चुनाव तक अपने अनुरूप करना चाहते हैं। तेजस्वी को पता है कि एजेंसियों की ओर से यदि आगे ऐसा किया जाता है और वे बाहर रहते हैं तो उसे इमोशनली भुनाया जा सकता है। राजद नेताओं के साथ लालू यादव और तेजस्वी की बहन ने ईडी की छापेमारी के दौरान कुछ ऐसे ही ट्वीट किये थे। राजद नेता शक्ति सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इमोशनल ट्वीट किया था। तेजस्वी की गर्भवती पत्नी को लेकर इमोशनल ट्वीट किये गये थे। कांग्रेस सहित बाकी नेताओं ने लालू और तेजस्वी के प्रति सहानुभूति जताई थी। जानकारों की मानें, तो तेजस्वी नई तारीख की मांग खुद के राहत के लिए की है। वे राजनीतिक रूप से संभल कर कदम उठाना चाहते हैं। नई तारीख मिल जाने के बाद वे अपने कानूनी सलाहकारों से भी मंत्रणा कर सकते हैं।

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