पटना, : कांग्रेस नेता ललन कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने तालाबंदी 3 मई तक घोषणा किया है । जिसमें प्रधानमंत्री ने सात सलाह की घोषणा की जिसमें श्रमिकों की हित में कोई भी बात नहीं किया । जबकि श्रमिक वर्ग के रोजगार चले जाने से भूखमरी के शिकार हो रहे हैं । जीविका के कोई साधन नहीं है, इस परिस्थिति में प्रधानमंत्री का सलाह है कि अपने घर के बुजुर्गों का ख्याल रखें, और उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं किया जाना हास्यास्पद घोषणा है । वैसे श्रमिक जो विशेष रूप से असंगठित, ठेकेदारी ,आकस्मिक श्रमिक के रूप में कार्यरत हैं ,संगठित क्षेत्रों में प्रशिक्षु , प्रवासी श्रमिक , निर्माण ,ईट-भ_ा तथा सूक्ष्म और लघु उद्योग में कार्यरत श्रमिक , घरेलू कामगार , छोटे और मझोले किसान ,कृषि श्रमिक जो पहले से आर्थिक मंदी के शिकार थे और वर्तमान में कोरोना वायरस का खामियाजा भुगत रहे हैं।पत्रकार , आई.टी. क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारी, संगठित क्षेत्र के स्थाई कर्मचारी, इन सभी को भूखमरी के कगार पर लाकर खड़ा किया है।
ललन कुमार ने सरकार मांग करता है कि प्रख्यात अर्थशास्त्रियों और बुद्धिजीवियों के द्वारा दिए गए सुझाव को सरकार लागू करें। लाखों मेहनतकश लोगों को राहत प्रदान करने की तथा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 5 – 6 प्रतिशत का एक राहत पैकेज घोषित करें ,जिसका भारत सरकार तथा प्रधानमंत्री ने पूर्णता उपेक्षा किया है। इसके बजाय सरकार तालाबंदी का फायदा उठाते दिख रही है, सरकार किसी खास वर्ग के एजेंडे के विकास में लगा है , जैसा कि मीडिया के द्वारा बताया जा रहा है। तालाबंदी के दौरान सरकार कारखाना अधिनियम में संशोधन कर काम के घंटे 8 से 12 करने पर अमादा है जो श्रमिकों के साथ अन्याय है । सरकार पूंजीपतियों , कारपोरेट और बड़े व्यापारियों को हित को फायदा पहुंचाने, तथा श्रमिकों का शोषण करने के लिए श्रमिक संहिता को लागू करने पर आमादा है ।

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