14 अप्रैल को लॉक डाउन के दूसरे चरण की घोषणा के बाद शाम को मुंबई के ब्रांद्रा स्टेशन पर अचानक भीड़ लग गई। उसके बाद मीडिया में कई तरह की खबरें चलने लगी। मुंबई पुलिस के प्रवक्ता प्रणव अशोक के मुताबिक लगभग 15 सौ लोग बांद्रा स्टेशन के बाहर जमा हो गए। इस मामले में कुल तीन एफ आई आर दर्ज करते हुए लगभग एक हजार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। और अफवाह फैलाने के जुर्म में एवीपी समूह के मराठी चैनल एबीपी मांझा के रिपोर्टर सहित एक मजदूर नेता विनय दुबे को गिरफ्तार किया गया है।
आईये समझते हैं कि शायद ये गलतफहमी हुई क्यों..?
30 मार्च, 2020 को कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गौबा कहते हैं कि लॉकडाउन को बढ़ाने की कोई योजना नहीं है..।2 अप्रैल: 2020, से भारतीय रेलवे ने 15 अप्रैल से शुरू होने वाली यात्राओं के लिए टिकट बुकिंग शुरु की, कुल 39,00,000 टिकट बुक किये। जिसे निरस्त करने का आदेश 14 अप्रैल को लॉक डाउन – 2 की घोषणा के बाद आया।11 अप्रैल: 2020 को, प्रधानमंत्री सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बात करते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से बातचीत के बाद कोई सूचना या कोई जानकारी नहीं दिया जाता। इसके वावजूद उसी दिन शाम को दिल्ली और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का बयान आता है कि लॉकडाउन बढ़ाया जाएगा। जबकि उड़ीसा और पंजाब सरकार ये घोषणा करती है कि उनके राज्यों में 30 अप्रैल तक लॉक डाउन बढ़ा दिया गया है।11 अप्रैल से-13 अप्रैल तक मीडिया लगातार लॉकडाउन पर चर्चा करता है। लगभग सभी न्यूज चैनल इस बार भी ‘सूत्रों’ के हवाले से तमाम जानकारियां देते हैं। जैसे कि 14 अप्रैल के बाद पाँच दिन की रियायत दी जाएगी। लोग अपने घर भेजे जाएंगे वग़ैरह.. वगैरह…! लेकिन सरकार और सरकारी एजेंसी न तो इसका खंडन करती है न कोई बयान जारी होता है।उधर देश भर में फँसे हुए तमाम लोग, आम मज़दूरों सहित छात्र भी, जो अपने अपने कॉलेज यूनिवर्सिटीज वग़ैरह में फँसे हुए हैं, 5 दिन की रियायत की मीडिया की फैलाई अफ़वाह को गंभीरता से लेते हैं और घर लौटने की तैयारियां शुरू करते हैं।13 अप्रैल को खबर आती है कि प्रधानमंत्री 14 अप्रैल को राष्ट्र को संबोधित करेंगे। मीडिया चैनलों पर विचार विमर्श शुरू हो जाता है कि इस बार क्या घोषणा होगी..?14 अप्रैल को सुबह मोदी जी फिर से लॉक डाउन बढ़ाने की घोषणा करते हैं। वह भी और कड़ाई के साथ। उसी दिन दोपहर, एबीपी समूह का मराठी चैनल एबीपी माजा भारतीय रेलवे को उद्धृत करते हुए प्रवासी मज़दूरों के लिए विशेष ट्रेनें चलाए जाने की फ़र्ज़ी ख़बर चलाता है। (फिलहाल वह मुंबई पुलिस की गिरफ्त में हैं) और ख़ुद को मज़दूर नेता बताने वाला विनय दूबे प्रवासी मज़दूरों को घर लौटने का आह्वान करता है। उसका वीडियो वायरल हो जाता है। (वह भी मुंबई पुलिस के गिरफ्त में हैं और उसके भाई ने आज एनडीटीवी को बयान दिया है कि वह राजनीतिक साजिश का शिकार हुआ है..?)शायद इन्हीं सब का नतीजा था कि 14 अप्रैल की शाम को बांद्रा स्टेशन के सामने हज़ारों की तादाद में भीड़ इकट्ठा हो जाती है..? लगभग यही स्थिति गुजरात के सूरत और अहमदाबाद में भी थी।तमाम मीडिया खबरों के मुताबिक देश भर के महानगरों में मौजूद प्रवासी मजदूरों के सामने न सिर्फ आजीविका का संकट है बल्कि राज्य सरकारें व अन्य स्वयं सहायता समूहों द्वारा किए जाने वाले मदद नाकाफी साबित हो रहे हैं। अतः स्थानीय प्रशाशन, राज्य व केंद्र सरकार को इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा।

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