Janpathnews:- बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून को लचीला बना दिया है। बुधवार शाम को हुए कैबिनेट की बैठक में शराबबंदी कानून के कई कड़े प्रावधान को खत्म कर दिया गया। शराब बरामद होने पर जमीन, घर और गाड़ी जब्त करने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। इसके लिए बिहार राज्य मद्य निषेध विधेयक में संशोधन पर कैबिनेट की मुहर लगी है। पहले शराब मिलने पर गाड़ी, घर और जमीन जब्त कर ली जाती थी। इसका काफी विरोध हो रहा था।
रसोइयों की मौत पर मिलेगा 4 लाख रुपए मुआवजा
कैबिनेट की बैठक में 37 एजेंडे पर मुहर लगी है। सुल्तानगंज सावन मेले को राजकीय मेला का दर्जा दिया गया है। इससे सावन में भागलपुर के सुल्तानगंज से गंगा जल भरकर वैद्यनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए अधिक सुविधा जुट पाएगी। कैबिनेट ने ग्रामीण इलाके में बिजली आपूर्ति के लिए 9 नए ग्रिड बनाने की मंजूर दी है। ये ग्रिड अररिया के पलासी समेत अन्य शहरों में बनेंगे। मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों की मौत होने पर सरकार 4 लाख रुपए मुआवजा देगी।
2 साल में 62000 से अधिक केस दर्ज
बिहार में पूर्ण शराबबंदी 5 अप्रैल, 2016 को हुई थी। एक अप्रैल को विदेशी शराब पर पाबंदी लगी थी इसके बाद 5 अप्रैल से देसी भी बंद कर दिया गया था। दो साल तीन माह में शराबबंदी को कामयाब बनाने में 62 हजार से अधिक केस दर्ज हुए और 92 हजार से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई। पुलिस ने 8 लाख लीटर से अधिक शराब नष्ट किया है।
यह था बिहार मद्यनिषेध व उत्पाद विधेयक-2016
शराब पीते या बेचते पकड़े जाने पर 3 साल की सजा होगी। सभी अपराध गैरजमानती। किसी घर में शराब मिली तो घर के 18 से अधिक उम्र के सभी सदस्यों को सजा। एएसआई को पुलिसिंग का अधिकार। विशेष न्यायालय का गठन।

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