पटना : बिहार संग्रहालय के अस्थायी दीर्घा में भारतीय मुद्रा की स्वर्णिम यात्रा, कौड़ी से क्रेडिट कार्ड तक की सिक्‍का प्रदर्शनी का उद्घाटन आज बिहार के पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने दीप प्रज्‍जवलित कर  किया। इस दौरान उनके साथ समारोह के संग्रहालीय सहायक सह प्रदर्शनी समारोह की संयोजक डॉ विशि उपाध्‍याय, संग्रहालयाध्‍यक्ष डॉ रनवीर सिंह राजपूत, समकालीन कला के समन्‍वयक अमृत प्रकाश, समन्‍वयक आगंतुक सेवा स्‍वाति सिंह, पुस्‍तकालयाध्‍यक्ष डॉ आकांक्षा एवं कला संस्‍कृति एवं युवा विभाग के अन्‍य पदाधिकारी भी मौजूद थे।

सिक्‍का प्रदर्शनी के  उद्घाटन के बाद श्री सिंह ने कहा कि भारत में सिक्‍कों का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। इस देश की सभ्‍यता काफी पुरानी है। ऐसे में इसकी जानकारी अति आवश्‍यक है कि तब लोग कैसे व्‍यापार करते थे। कैसे  समान की खरीद-बिक्री होती थी। बाजार कैसे चलता था। तब की मुद्रा क्‍या थी। ऐसी ही चीजों को इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया है, जो न सिर्फ बिहार बल्कि देशभर से आये लोगों को भी देश में सिक्‍कों के डेवलपमेंट के बारे में बतायेगी। उन्‍होंने कहा कि बिहार संग्रहालय बनने के बाद हमारी ऐसी योजना थी कि‍ यहां इस तरह के आयोजन हों। ऐसी प्रदर्शनी का आयोजन बिहार में कभी नहीं हुआ है। इस प्रदर्शनी में देशभर से सिक्‍कों के संग्राहकों को आमंत्रित किया गया है,ताकि वे इसके बारे में वयाख्‍या कर सकें।

इस मौके पर संग्रहालीय सहायक सह प्रदर्शनी समारोह की संयोजक डॉ विशि उपाध्‍याय ने बताया कि यह प्रदर्शनी भारतीय सिक्कों के इतिहास से वर्तमान मुद्रा के स्वरूप तक को दर्शाएगी। इसे देखने के बाद लोग ये अनुभव लेकर जायेंगे कि किस प्रकार जब मुद्रा की शुरुआत नहीं हुयी थी, तब हम मुद्रा विहीन थे। और आज हम एक  फिर से इतनी आधुनिकता और विकास होने के बाद मुद्रा विहीन अर्थ व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं, क्यूंकि आज हम क्रेडिट कार्ड और ऑनलाइन भुगतान का इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसे में इस प्रदर्शनी का महत्व काफी खास है। यह भारतीय मुद्रा की विकास की एक झलक पेश करेगी। सिक्को के अविष्कार  लेकर वर्तमान समय में भुगतान के लिए चलन में आयी क्रेडिट कार्ड तक की यात्रा देखने को मिलेगी। इस दौरान 20 जुलाई को प्रशांत कुलकर्णी का स्‍पेशल लेक्‍चर भी होगा।

उन्होंने बताया कि बिहार संग्रहालय का प्रदर्शनी हॉल तीन खण्डों में विभाजित है – प्राचीन भारतीय मुद्रा, मध्यकालीन भारतीय मुद्रा और आधुनिक भारतीय मुद्रा। प्राचीन भारतीय मुद्रा खंड में वस्तु विनिमय, आदिम मुद्रा, आहत सिक्के, ढालित सिक्के, जनजातीय सिक्के, नगर राज्य सिक्के, इंडो ग्रीक सिक्के, कुषाण सिक्के, गुप्तकालीन सिक्के, उत्तर  गुप्तकालीन सिक्के व पूर्व मध्यकालीन सिक्के देख सकेंगे, जिनका काल खंड छठवीं शती ई पू से पहले से बारहवीं शती ई पू तक है। वहीं मध्यकालीन भारतीय मुद्रा खंड में दिल्ली सल्तनत के सिक्के, उत्तर भारत व दक्षिण भारत के प्रांतीय सल्तनत के सिक्के, मुगल सिक्के, मध्यकालीन उत्तर पूर्वी राज्यों के सिक्के, मुगलों के बाद स्वतंत्र राज्य और रजवाड़ों के सिक्के देख सकेंगे, जिनका काल खंड तेरहवीं शताब्दी से उन्नीसवीं शताब्दी तक है। और आधुनिक भारतीय मुद्रा खंड में यूरोपीय कंपनियों के सिक्के, ब्रिटिश भारत के सिक्के, स्वतंत्र भारत के सिक्के और करेंसी नोट देख सकेंगे, जिनका कल खंड 17 वीं शताब्दी से लेकर 21 वीं शताब्दी तक है।

डॉ उपाध्यय ने बताया कि भारतीय मुद्रा स्वर्णिम यात्रा थीम पर आयोजित इस प्रदर्शनी में धनबाद, झारखण्ड से अमरेंद्र आनंद, दिल्ली से मित्रेश सिंह, इंदौर, मध्य प्रदेश से गिरीश शर्मा शर्मा व इंदुबाला शर्मा, नागपुर, महाराष्ट्र से राम सिंह ठाकुर व प्रशांत कुलकर्णी, बंगलौर, कर्णाटक से आर्ची मरू व अमृतेश आनंद, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से नीरज अग्रवाल, कानपुर, उत्तर प्रदेश से अकीब अंसारी, लखनऊ से अहमद अंसारी, कोलकाता से रविशंकर शर्मा व हरविंदर सिंह सग्गू को उनके कलेक्शन के लिए आमंत्रित किया गया है।

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