पटना,  लॉक डाउन 2.O का दूसरा चरण चल रहा है, इस बीच प्रदेश की जनता त्राहिमाम कर रही है। बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूर और राशनकार्डधारियों के साथ बिना राशनकार्ड धारी को 1000 रुपये देने की हिम्मत जुटायी है। इसके लिए हम उन्हें बधाई देते हैं, लेकिन वो पैसे उन्हें कैसे और कब तक मिलेंगे इसकी हमें चिंता है। वैसे एक परिवार के लिए आज के समय मे 1000 से कुछ भी नहीं होता। प्रदेश की आम जनता विधायक की फैमली से तो आती नहीं है। ऐसे में जनता अब भूख से त्राहिमाम कर रही है और पूरी की पूरी नीतीश सरकार ही कोरन्टीन हो गयी है।
उक्त बातें आज जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जो गैर राशनकार्ड धारी लोगों को 1000 रुपये देने का निर्णय लिया है, उसकी जिम्मेदारी जीविका दीदी को दी गयी है कि वे तलाश करें ऐसे लोगों की। मगर इस आदेश में दिलचस्प बात यह है कि जीविका दीदी से असल मायनों में इस राशि के लिए उन्हें ढूंढने को कहा गया है, जो पहले दारू, तारी और शराब बेचते थे। यानी एक ओर बिहार में शराबबंदी है और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री जी को उनकी चिंता है। आम जनता की नहीं। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
उन्होंने भाजपा विधायक द्वारा अपने बच्चों को कोटा से वापस लाने के प्रकरण में कहा कि इस मामले में सरकार और उनके प्रशासन के बीच की संवादहीनता दिखता है। जब नीतीश कुमार ने कह दिया कि लॉक डाउन को सख्ती से पालन करना है और जो जहां है, वही रहे तो एक एसडीओ साहब ने विधायक के बच्चों को वापस लाने का फैसला कैसे कर लिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी पर हमें भरोसा है, लेकिन वे ऐसे लोगों से घिरे हैं, जो सिर्फ उनका माइंड वाश करते हैं। वरना इस मुश्किल स्थित में वे फ़ोन से सरकार नहीं चला रहे होते।

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