राहील/भागलपुर
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में विभागाध्यक्ष के द्वारा बनाई गई त्रिस्तरीय जांच कमेटी के द्वारा आज सिर्फ 15 वां पेपर की जांच हुई है। जिसमें आंतरिक परीक्षा में 30 में 30 अंक दिया गया था। उसके बाद हिंदी विभाग के छात्रों ने इस पर सवाल खड़ा किया। उसके बाद छात्रों ने इसकी शिकायत शुक्रवार को कुलपति से किया था। कुलपति के निर्देश पर कुलसचिव ने डीन प्रो. ईराल घोषाल को जांच करने का निर्देश दिया। उसके बाद विभागाध्यक्ष ने एक कमिटी बनाकर विभाग के शिक्षक को जांच करने की जिम्मेवारी सौंपी और प्रतिलिपि कुलसचिव, डीएसडब्ल्यू व डीन को भी पत्र भेजा। हिंदी विभाग में जांच कमिटी के सामने छात्र अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए पहुंचे। बांकी तीन पेपर की जांच कल होगी। इनमें बहुत ज्याद त्रुटि पाए गए। अभी देखना है कि और कितने त्रुटि पाए जाते हैं अन्य पेपर में
कुछ त्रुटि इस प्रकार है—-
1. अधिकांश अंक वाले कॉपियों में दो या तीन बार नंबर को काट काट कर सही किया गया है और वहां बहादुर मिश्र के हस्ताक्षर पाए गए।
2. अधिकांश काट छाट सिर्फ अधिकतम अंक वाले कॉपियों में की गई है।
3. उच्चतम अंक पाने वाले छात्र, छात्रा के कॉपी में जिसमें 15 में 15 अंक दिया गया है, उसमें दो त्रुटि पाई गई।
4. अधिकतम अंक वाले दो कॉपी में अक्षर की भिन्नता पाई गई। जो प्रश्न गलत हुआ उसे काट कर किसी अन्य व्यक्ति से सही लिखाया गया है। उसके बाद पुनः नंबर बढ़ाया गया।
5. अधिकतम अंक पाने वाले छात्रा जिसे 15 में 15 अंक आया है, उसे वस्तुनिष्ठ प्रश्न के उत्तर को लिखने की शैली तक का ज्ञान नहीं है। उसने 15 वस्तुनिष्ठ में कुछ वस्तुनिष्ठ जिसका अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद करने के लिए दिया गया था, उसमें उसने कुछ अंग्रेजी के शब्द लिखें और उसके सामने उसका अनुवाद लिखा जिसके बाद सिर्फ हिंदी (जो उत्तर होता है) उत्तर दिया। इससे साफ जाहिर होता है कि उसे वस्तुनिष्ठ प्रश्न के उत्तर लिखने की शैली तक का पता नहीं है।
6. अधिकांश कॉपी में बहादुर मिश्र के हस्ताक्षर पाए गए। उन्होंने बयान दिया था कि मैं कॉपी की जांच नहीं करता हूँ। कॉपी की जांच तो हमारे शिक्षक करते हैं, मैं तो हैड शिप करता हूँ। लेकिन जांच किए गए अधिकांश कॉपी पर बहादुर मिश्र के ही हस्ताक्षर पाए गए।