प्रेस विज्ञप्ति
सावित्रीबाई फुले की 188वी जयंती समारोह में हुआ उनकी प्रतिमा का अनावरण
जनपथ न्यूज़  पटना :- बिहार में पहली बार भारत की प्रथम शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा का अनावरण एवं 188वी जयंती मनाई गयी, जिसमें बिहार-झारखंड से माली मालाकार कल्याण समिति के भारी मात्र में प्रतिनिधि एवं सदस्य गण उपस्थित हुए। प्रथम शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले जिन्होंने अपने यजस्वी पति महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ – साथ कदम से कदम मिलाकर भारत के दलितों, पिछडों, शोषितों, वैश्यों के सामाजिक अधिकार दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष करती रहीं।
सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले के साथ हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है।
उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए, सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।
महिला शिक्षा का ज्योत जलाने वाली माता सावित्रीबाई फुले के नाम पर शैक्षणिक संसथान महिला विश्वविध्यालय के रूप मे नामकरण किया जायेगा भारत की प्रथम शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले की भारतरत्न से नवाजा जायेगा। उपरोक्त विषय के सम्बन्ध में अध्यक्ष मनोज कुमार मालाकार ने कहा कि नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाये देते हुए आज माली मालाकार कल्याण समिति सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा स्थापित किया जा रहा है जो कि माली समाज के लिए एक गर्व की बात हैं |
वही कोषाध्यक्ष रामजीवन भगत और महासचिव वीरेंदर बाबु ने कहा कि ज्योतिबाई फुले भारत कि वो प्रथम महान शिक्षिका थी जो देश में एक अलग ज्योत जला कर गयी और हम जिस समाज से हैं हमें अपने आप पर गर्व महशुश होता हैं। मौके पर संगठन मंत्री संजीव मालाकार ने कहा कि सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर जाति और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फेका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती थी। इस कार्यकर्म में प्रतिमा अनावरण में (पूर्व शिक्षा मंत्री) श्री अशोक चौधरी, (ग्रामीण विकाश मंत्री बिहार सरकार) श्रवण कुमार, (कृषि मंत्री बिहार सरकार ) डॉ प्रेम कुमार, (दानापुर पार्षद) सीता देवी, (वार्ड पार्षद) पिंकी देवी और माली मालाकार कल्याण समिति के उपाध्यक्ष सुधीर कुमार मालाकार, पंकज मालाकार, मिडिया प्रभारी रौसन , चन्दन कुमार, निशिकांत सैनी, एवं रोहन भगत उपस्थित हुए।

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